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चित्रा तारा

सूची चित्रा तारा

आसमान में चित्रा तारा ढूँढने का तरीक़ा - स्वाती तारे (आर्कट्युरस) से सीधी लक़ीर खेंचे चित्रा या स्पाइका (Spica), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा वर्जिनिस" (α Virginis या α Vir) है, कन्या तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सब से रोशन तारों में से पंद्रहवाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 260 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। चित्रा वास्तव में एक द्वितारा है जो पृथ्वी से एक तारे जैसा प्रतीत होता है। इसका मुख्य तारा एक नीला दानव तारा है और छोटा तारा एक मुख्य अनुक्रम तारा है।, Elizabeth Howell, 20 जुलाई 2013, SPACE.com, Accessed: 19 Aug 2013,...

18 संबंधों: चमक, तारा, तारों की श्रेणियाँ, दानव तारा, द्रव्यमान, द्वितारा, निरपेक्ष कांतिमान, प्रकाश-वर्ष, बायर नामांकन, ब्राज़ील, बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा, महानोवा, मुख्य अनुक्रम, सबसे रोशन तारों की सूची, सौर द्रव्यमान, सौर अर्धव्यास, कन्या तारामंडल, उपदानव तारा

चमक

चमक, चमकीलापन या रोशनपन दृश्य बोध का एक पहलु है जिसमें प्रकाश किसी स्रोत से उभरता हुआ या प्रतिबिंबित होता हुआ लगता है। दुसरे शब्दों में चमक वह बोध है जो किसी देखी गई वस्तु की प्रकाश प्रबलता से होता है। चमक कोई कड़े तरीके से माप सकने वाली चीज़ नहीं है और अधिकतर व्यक्तिगत बोध के बारे में ही प्रयोग होती है। चमक के माप के लिए प्रकाश प्रबलता जैसी अवधारणाओं का प्रयोग होता है। .

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तारा

तारे (Stars) स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय पिंड हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से तारे दिखलाई देते हैं। .

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तारों की श्रेणियाँ

अभिजीत (वेगा) एक A श्रेणी का तारा है जो सफ़ेद या सफ़ेद-नीले लगते हैं - उसके दाएँ पर हमारा सूरज है जो G श्रेणी का पीला या पीला-नारंगी लगने वाला तारा है खगोलशास्त्र में तारों की श्रेणियाँ उनसे आने वाली रोशनी के वर्णक्रम (स्पॅकट्रम) के आधार पर किया जाता है। इस वर्णक्रम से यह ज़ाहिर हो जाता है कि तारे का तापमान क्या है और उसके अन्दर कौन से रासायनिक तत्व मौजूद हैं। अधिकतर तारों कि वर्णक्रम पर आधारित श्रेणियों को अंग्रेज़ी के O, B, A, F, G, K और M अक्षर नाम के रूप में दिए गए हैं-.

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दानव तारा

एक लाल दानव तारे और सूरज के अंदरूनी ढाँचे की तुलना खगोलशास्त्र में दानव तारा ऐसे तारे को बोलते हैं जिसका आकार और चमक दोनों उस से बढ़ के हो जो उसकी सतह के तापमान के आधार पर मुख्य अनुक्रम के किसी तारे के होते। ऐसे तारे आम तौर पर सूरज से १० से १०० गुना व्यास (डायामीटर) में बड़े होते हैं और चमक में १० से १००० गुना ज़्यादा रोशन होते हैं। अपने तापमान के हिसाब से ऐसे दानव तारे कई रंगों में मिलते हैं - लाल, नारंगी, नीले, सफ़ेद, वग़ैराह। महादानव तारे और परमदानव तारे इन दानव तारों से भी बड़े और अधिक रोशन होते हैं। .

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द्रव्यमान

द्रव्यमान किसी पदार्थ का वह मूल गुण है, जो उस पदार्थ के त्वरण का विरोध करता है। सरल भाषा में द्रव्यमान से हमें किसी वस्तु का वज़न और गुरुत्वाकर्षण के प्रति उसके आकर्षण या शक्ति का पता चलता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली *.

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द्वितारा

हबल दूरबीन से ली गयी व्याध तारे की तस्वीर जिसमें अमुख्य "व्याध बी" तारे का बिंदु (बाएँ, निचली तरफ़) मुख्य व्याघ तारे से अलग दिख रहा है द्वितारा या द्विसंगी तारा दो तारों का एक मंडल होता है जिसमें दोनों तारे अपने सांझे द्रव्यमान केंद्र (सॅन्टर ऑफ़ मास) की परिक्रमा करते हैं। द्वितारों में ज़्यादा रोशन तारे को मुख्य तारा बोलते हैं और कम रोशन तारे को अमुख्य तारा या "साथी तारा" बोलते हैं। कभी-कभी द्वितारा और दोहरा तारा का एक ही अर्थ निकला जाता है, लेकिन इन दोनों में भिन्नताएँ हैं। दोहरे तारे ऐसे दो तारे होते हैं जो पृथ्वी से इकठ्ठे नज़र आते हों। ऐसा या तो इसलिए हो सकता है क्योंकि वे वास्तव में द्वितारा मंडल में साथ-साथ हैं या इसलिए क्योंकि पृथ्वी पर बैठे हुए वे एक दुसरे के समीप लग रहे हैं लेकिन वास्तव में उनका एक दुसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है। किसी दोहरे तारे में इनमें से कौनसी स्थिति है वह लंबन (पैरलैक्स) को मापने से जाँची जा सकती है। .

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निरपेक्ष कांतिमान

निरपेक्ष कांतिमान किसी खगोलीय वस्तु के अपने चमकीलेपन को कहते हैं। मिसाल के लिए अगर किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है कि यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता तो वह कितना चमकीला लगता। इस तरह से "निरपेक्ष कांतिमान" और "सापेक्ष कांतिमान" में गहरा अंतर है। अगर कोई तारा सूरज से बीस गुना ज़्यादा मूल चमक रखता हो लेकिन सूरज से हज़ार गुना दूर हो तो पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के लिए सूरज का सापेक्ष कांतिमान अधिक होगा, हालाँकि दूसरे तारे का निरपेक्ष कांतिमान सूरज से अधिक है। निरपेक्ष कांतिमान और सापेक्ष कांतिमान दोनों को मापने की इकाई "मैग्निट्यूड" (magnitude) कहलाती है। .

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प्रकाश-वर्ष

प्रकाश वर्ष (चिन्ह:ly) लम्बाई की मापन इकाई है। यह लगभग 950 खरब (9.5 ट्रिलियन) किलोमीटर के अन्दर होती है। यहां एक ट्रिलियन 1012 (दस खरब, या अरब पैमाने) के रूप में लिया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार, प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश द्वारा निर्वात में, एक वर्ष में पूरी की जाती है। यह लम्बाई मापने की एक इकाई है जिसे मुख्यत: लम्बी दूरियों यथा दो नक्षत्रों (या ता‍रों) बीच की दूरी या इसी प्रकार की अन्य खगोलीय दूरियों को मापने मैं प्रयोग किया जाता है। .

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बायर नामांकन

शिकारी तारामंडल के तारे, जिनमें बायर नामांकन के यूनानी अक्षर दिख रहे हैं बायर नामांकन तारों को नाम देने का एक तरीक़ा है जिसमें किसी भी तारामंडल में स्थित तारे को एक यूनानी अक्षर और उसके तारामंडल के यूनानी नाम से बुलाया जाता है। बायर नामों में तारामंडल के यूनानी नाम का सम्बन्ध रूप इस्तेमाल होता है। मिसाल के लिए, पर्णिन अश्व तारामंडल (पॅगासस तारामंडल) के तारों में से तीन तारों के नाम इस प्रकार हैं - α पॅगासाए (α Pegasi), β पॅगासाए (β Pegasi) और γ पॅगासाए (γ Pegasi)। .

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ब्राज़ील

ब्रास़ील (ब्राज़ील) दक्षिण अमरीका का सबसे विशाल एवं महत्त्वपूर्ण देश है। यह देश ५० उत्तरी अक्षांश से ३३० दक्षिणी अक्षांश एवँ ३५० पश्चिमी देशान्तर से ७४० पश्चिमी देशान्तरों के मध्य विस्तृत है। दक्षिण अमरीका के मध्य से लेकर अटलांटिक महासागर तक फैले हुए इस संघीय गणराज्य की तट रेखा ७४९१ किलोमीटर की है। यहाँ की अमेज़न नदी, विश्व की सबसे बड़ी नदियों मे से एक है। इसका मुहाना (डेल्टा) क्षेत्र अत्यंत उष्ण तथा आर्द्र क्षेत्र है जो एक विषुवतीय प्रदेश है। इस क्षेत्र में जन्तुओं और वनस्पतियों की अतिविविध प्रजातियाँ वास करती हैं। ब्राज़ील का पठार विश्व के प्राचीनतम स्थलखण्ड का अंग है। अतः यहाँ पर विभिन्न भूवैज्ञानिक कालों में अनेक प्रकार के भूवैज्ञानिक संरचना सम्बंधी परिवर्तन दिखाई देते हैं। ब्राज़ील के अधिकांश पूर्वी तट एवं मध्य अमेरिका की खोज अमेरिगो वाससक्की ने की एवं इसी के नाम से नई दुनिया अमेरिका कहलाई। सन् १५०० के बाद यहाँ उपनिवेश बनने आरंभ हुए। यहाँ की अधिकांश पुर्तगाली बस्तियों का विकास १५५० से १६४० के मध्य हुआ। २४ जनवरी १९६४ को इसका नया संविधान बना। इसकी प्रमुख भाषा पुर्तगाली है। .

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बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा

बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा ऐसे तारे को कहा जाता है जिसकी सतह पर स्पन्दन (धक-धकी या कंपन) होने की वजह से उसकी चमक में बदलाव आता रहता हो, यानि की वह सतही कंपन की वजह से एक परिवर्ती तारा हो। आम तौर पर ऐसे तारो की चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) में हर 0.1 से 0.6 दिनों के अंतराल पर 0.01 से 0.3 मैग्नीट्यूड का फ़र्क़ पड़ता है। बेटा सॅफ़ॅ​ई परिवर्ती तारे सौर द्रव्यमान के 7 से 20 गुना द्रव्यमान (मास) रखने वाले मुख्य अनुक्रम तारे होते हैं। इस श्रेणी का नाम बेटा सॅफ़ॅ​ई तारे पर पड़ा है जिसकी पृथ्वी से देखी जाने वाली चमक (सापेक्ष कान्तिमान) 4.57 घंटे के अंतराल में +3.16 से +3.27 मैग्नीट्यूड के बीच बदलता रहता है। .

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महानोवा

केंकड़ा नॅब्युला - यह एक महानोवा विस्फोट का बचा हुआ बादल है हम से २१,००० प्रकाश-वर्ष दूर डब्ल्यू॰आर॰ १२४ नाम के वुल्फ़-राये श्रेणी के तारे के इर्द-गिर्द महानोवा अवशेष का नॅब्युला खगोलशास्त्र में महानोवा (सुपरनोवा) किसी तारे के भयंकर विस्फोट को कहते हैं। महानोवा नोवा से अधिक बड़ा धमाका होता है और इस से निकलता प्रकाश और विकिरण (रेडीएशन) इतना ज़ोरदार होता है के कुछ समय के लिए अपने आगे पूरी आकाशगंगा को भी धुंधला कर देता है लेकिन फिर धीरे-धीरे ख़ुद धुंधला जाता है। जब तक महानोवा अपनी चरमसीमा पर होता है, वह कभी-कभी कुछ ही हफ़्तों या महीनो में इतनी उर्जा प्रसारित कर सकता है जितनी की हमारा सूरज अपने अरबों साल के जीवनकाल में करेगा। महानोवा के धमाके में सितारा अपने अधिकाँश भाग को ३०,००० किमी प्रति सैकिंड (यानि प्रकाश की गति का १०%) तक की रफ़्तार से व्योम में फेंकता है, जो अंतरतारकीय माध्यम (इन्टरस्टॅलर स्पेस) में एक आक्रमक झटके की तरंग बन के फैलती है। इसके नतीजे से जो फैलता हुआ गैस और खगोलीय धूल का बादल बनता है उसे "महानोवा अवशेष" कहते हैं। .

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मुख्य अनुक्रम

यह चित्र २३,००० तारों के रंग और उनकी निरपेक्ष कान्तिमान (चमक) की तुलना कर रहा है और जो बाएँ ओर पट्टी बन गई है उसे से इन दोनों चीज़ों का सम्बन्ध साफ़ नज़र आता है। ऐसे तुलनात्मक चित्र को "हर्ट्ज़्प्रुन्ग-रसल" चित्रण कहते हैं। मुख्य अनुक्रम या मेन सीक्वॅन्स एक तारों की श्रेणी है। हज़ारों-लाखों तारों के अध्ययन के बाद देखा गया है के बहुत से छोटे आकार के तारों में तारे के रंग और उसकी निरपेक्ष कान्तिमान (यानि मूल चमक) में गहरा सम्बन्ध होता है। इन तारों की चमक जितनी ज़्यादा हो वे उतने ही नीले नज़र आते हैं और चमक जितनी कम हो वे उतने ही लाल नज़र आते हैं। ऐसे तारों को मुख्य अनुक्रम तारे या बौने तारे कहा जाता है। .

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सबसे रोशन तारों की सूची

किसी तारे की चमक उसकी अपने भीतरी चमक, उसकी पृथ्वी से दूरी और कुछ अन्य परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी तारे के निहित चमकीलेपन को "निरपेक्ष कान्तिमान" कहते हैं जबकि पृथ्वी से देखे गए उसके चमकीलेपन को "सापेक्ष कान्तिमान" कहते हैं। खगोलीय वस्तुओं की चमक को मैग्निट्यूड में मापा जाता है - ध्यान रहे के यह मैग्निट्यूड जितना कम होता है सितारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है। .

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सौर द्रव्यमान

वी॰वाए॰ कैनिस मेजौरिस का द्रव्यमान ३०-४० \beginsmallmatrixM_\odot\endsmallmatrix है, यानि सूरज के द्रव्यमान का ३०-४० गुना है खगोलविज्ञान में सौर द्रव्यमान (solar mass) (\beginM_\odot\end) द्रव्यमान की मानक इकाई है, जिसका मान १.९८८९२ X १०३० कि.ग्रा.

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सौर अर्धव्यास

सौर अर्धव्यास (solar radius), जिसे \beginR_\odot\end के चिन्ह से दर्शाया जाता है, हमारे सूरज का अर्धव्यास (रेडियस) है जो ६.९५५ x १०५ किलोमीटर के बराबर है। खगोलशास्त्र में, सौर्य अर्धव्यास का तारों के अर्धव्यास बताने के लिए इकाई की तरह इस्तेमाल होता है। अगर किसी तारे का अर्धव्यास हमारे सूरज से बीस गुना है, जो कहा जाएगा के उसका अर्धव्यास २० \beginR_\odot\end है। ज़ाहिर है के सूरज का अपना अर्धव्यास १ \beginR_\odot\end है। .

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कन्या तारामंडल

कन्या तारामंडल बिना दूरबीन के रात में कन्या तारामंडल की एक तस्वीर (जिसमें काल्पनिक लक़ीरें डाली गयी हैं) कन्या या वर्गो (अंग्रेज़ी: Virgo) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक कन्या के रूप में दर्शाया जाता था। आकाश में इसके पश्चिम में सिंह तारामंडल होता है और इसके पूर्व में तुला तारामंडल। कन्या तारामंडल को आकाश में इसके सबसे रोशन तारे, चित्रा (स्पाइका) के ज़रिये ढूँढा जा सकता है, जो आसमान का १५वा सब से चमकीला तारा है। .

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उपदानव तारा

तारों की श्रेणियाँ दिखने वाला हर्ट्ज़स्प्रुंग-रसल चित्र उपदानव तारा ऐसा तारा होता है जो मुख्य अनुक्रम के बौने तारों से तो अधिक चमकीला हो लेकिन इतनी भी चमक और द्रव्यमान न रखता हो के दानव तारों की श्रेणी में आ सके। यर्कीज़ वर्णक्रम श्रेणीकरण में इसकी चमक की श्रेणी "IV" होती है। वॄश्चिक तारामंडल का सर्गस नाम का तारा (जिसका बायर नाम "θ स्को" है) ऐसे एक चमकीले दानव का उदहारण है। .

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निवर्तमानआने वाली
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