लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और मित्तर प्यारे नूँ

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और मित्तर प्यारे नूँ के बीच अंतर

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) vs. मित्तर प्यारे नूँ

चार साहिबज़ादे 2014 में हैरी बावेजा द्वारा निर्देशित एक पंजाबी 3डी एनिमेटिड फिल्म है। यह सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों - साहिबज़ादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह के बलिदान पर आधारित है। फिल्म का निर्माण बावेजा मूवीज़ के बैनर तले पम्मी बावेजा द्वारा किया गया। ओम पुरी ने इस फिल्म में सूत्रधार के रूप में आवाज़ दी है। अन्य पात्रों को आवाज़ देने वाले कलाकारों का नाम गुप्त रखा गया है। . मित्तर प्यारे नूँ (हिंदी अनुवाद: मित्र प्यारे को) एक अतिप्रसिद्ध पंजाबी शबद है जो सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा रचित है। माना जाता है कि इसकी रचना उन्होंने माछीवाड़ा के वनवास के समय की थी। .

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और मित्तर प्यारे नूँ के बीच समानता

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और मित्तर प्यारे नूँ आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): सिख, गुरु गोबिन्द सिंह

सिख

भारतीय सेना के सिख रेजिमेन्ट के सैनिक सिख धर्म के अनुयायियों को सिख कहते हैं। इसे कभी-कभी सिक्ख भी लिखा जाता है। इनके पहले गुरू गुरु नानक जी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है। इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा में तथा भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में सिखों का बहुत बड़ा योगदान है। .

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और सिख · मित्तर प्यारे नूँ और सिख · और देखें »

गुरु गोबिन्द सिंह

गुरु गोबिन्द सिंह (जन्म: २२ दिसम्बर १६६६, मृत्यु: ७ अक्टूबर १७०८) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन १६९९ में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रन्थ, गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है। उन्होने मुगलों या उनके सहयोगियों (जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा) के साथ १४ युद्ध लड़े। धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान उन्होंने किया, जिसके लिए उन्हें 'सर्वस्वदानी' भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में ५२ कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उन्होंने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया। किसी ने गुरुजी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता, सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। गुरुजी की मान्यता थी कि मनुष्य को किसी को डराना भी नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए। वे अपनी वाणी में उपदेश देते हैं भै काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन। वे बाल्यकाल से ही सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है। .

गुरु गोबिन्द सिंह और चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) · गुरु गोबिन्द सिंह और मित्तर प्यारे नूँ · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और मित्तर प्यारे नूँ के बीच तुलना

चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) 12 संबंध है और मित्तर प्यारे नूँ 5 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 11.76% है = 2 / (12 + 5)।

संदर्भ

यह लेख चार साहिबज़ादे (फ़िल्म) और मित्तर प्यारे नूँ के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »