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घुटनों का दर्द

सूची घुटनों का दर्द

मानव शरीर में पैर जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं, उतने ही उनके बीच में बने घुटने। उन्हीं से पैरों को मुड़ने की क्षमता मिलती है। इन्हिं घुटनों में कई कारणों से दर्द होने लग जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं: .

2 संबंधों: संक्रमण, उपास्थि

संक्रमण

रोगों में कुछ रोग तो ऐसे हैं जो पीड़ित व्यक्तियों के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क, या उनके रोगोत्पादक, विशिष्ट तत्वों से दूषित पदार्थों के सेवन एवं निकट संपर्क, से एक से दूसरे व्यक्तियों पर संक्रमित हो जाते हैं। इसी प्रक्रिया को संक्रमण (Infection) कहते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में ऐसे रोगों को छुतहा रोग या छूआछूत के रोग कहते हैं। रोगग्रस्त या रोगवाहक पशु या मनुष्य संक्रमण के कारक होते हैं। संक्रामक रोग तथा इन रोग के संक्रमित होने की क्रिया समाज की दृष्टि से विशेष महत्व की है, क्योंकि विशिष्ट उपचार एवं अनागत बाधाप्रतिषेध की सुविधाओं के अभाव में इनसे महामारी (epidemic) फैल सकती है, जो कभी-कभी फैलकर सार्वदेशिक (pandemic) रूप भी धारण कर सकती है। .

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उपास्थि

सूक्ष्मदर्शी से देखने पर केटिलेज उपास्थि मानव शरीर एवं अन्य प्राणियों में पाया जाने वाला लचीला संयोजी उत्तक है। यह हमारी मज्जा में स्थापित कॉन्ड्रोसाइट्स कोशिकाओं से बने होते हैं। कान की हड्डी, नाक की हड्डी, अस्थियों के जोड़ आदि उपास्थि के बने हैं। उपास्थि की संरचना के अनुसार ये कोलेजन या एलॉस्टिन के बने होते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं- हाइलीन उपास्थि, एलास्टिक और फाइब्रो उपास्थि। उपास्थि शरीर के ऊतकों को मजबूत बनाने का काम करते हैं। ये हमारे शरीर के जोड़ों को लचीला भी बनाते हैं। इसकी मौजूदगी की वजह से ही हमारे शरीर के कई अंग सुचारू रूप से काम करते हैं। उपास्थि रक्त वाहिकाओं से जुड़े नहीं होते बल्कि इनके अंदर पोषक तत्व बिखरा रहता है। आमतौर पर ये लचीले होते हैं लेकिन जरूरत और प्रकार के हिसाब से इनकी प्रकृति में अंतर होता है। कुछ ऐसे अंग जिनमें उपास्थि पाया जाता है, वे हैं- कान, नाक, पंजर और इंटरवर्टीब्रल डिस्क। तीन तरह के उपास्थि में हाइलीन को ही आमतौर पर उपास्थि कहा जाता है क्योंकि शरीर में ज्यादातर हाइलीन उपास्थि ही होता है। यह हड्डियों को जोड़ों में बांटता है ताकि वे मुड़कर सहजता से काम कर सकें। हाइलीन उपास्थि आमतौर पर कोलेजन फाइबर का बना होता है। लोचदार उपास्थि बाकी अन्य उपास्थि से ज्यादा लचीले होते हैं क्योंकि इनमें एलॉस्टिन फाइबर पाया जाता है। इस तरह का उपास्थि कान के बाहरी हिस्से (जिसे लैरिक्स कहते हैं) और यूस्टेशियन ट्यूब में मौजूद होता है। लचीला होने के कारण यह इन अंगों की संरचना को बेहतर संतुलित करता है, जिससे कान में बाहर रहने वाली गोलाकार संरचना खुली रह सके। फाइब्रो उपास्थि तीनों उपास्थि में सबसे अधिक मजबूत और दृढ़ संरचना वाला होता है। इसमें हाइलीन उपास्थि से ज्यादा टाइप वन कोलेजन होते हैं, जो टाइप सेकेंड से ज्यादा मजबूत होते हैं। फाइब्रो उपास्थि अंतरवर्टीबल डिस्क का निर्माण करते हैं। इसके अलावा ये शिराओं और अस्थिमज्जा को हड्डियों से जोड़ने का काम भी करते हैं। हाइलीन उपास्थि क्षतिग्रस्त होने पर फाइब्रो उपास्थि में बदल जाते हैं। हालांकि दृढ़ता की वजह से इन उपास्थि का वजन कम होता है। .

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