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ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया और नील हरित शैवाल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया और नील हरित शैवाल के बीच अंतर

ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया vs. नील हरित शैवाल

ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया (Gram-negative bacteria) वे बैक्टीरिया होते हैं जो ग्राम अभिरंजन परीक्षण में क्रिस्टल वायोलेट (crystal violet) नामक रंग से सने जाने पर उस रंग को नहीं पकड़ते हैं और रंगहीन ही रहते हैं। ऐसे बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति (कोशिकाओं की दिवारें) पेप्टाइडोग्लाइकैन (peptidoglycan) की पतली परतों से बनी होती हैं। ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया विश्वभर में मिलते हैं। इनकी कुछ जातियाँ रोग का कारण होती हैं और एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक) की कुछ श्रेणियाँ ऐसी हैं जो केवल इस प्रकार के बैक्टीरिया द्वारा फैलाए गए रोगों की रोकथाम करती हैं। . नील हरित शैवाल (अंग्रेज़ी:ब्लू-ग्रीन ऐल्गी, सायनोबैक्टीरिया) एक जीवाणु फायलम होता है, जो प्रकाश संश्लेषण से ऊर्जा उत्पादन करते हैं। यहां जीवाणु के नीले रंग के कारण इसका नाम सायनो (यूनानी:κυανός अर्थात नीला) से पड़ा है। नील हरित काई वायुमंडलीय नाइट्रोजन यौगिकीकरण कर, धान के फसल को आंशिक मात्रा में की नाइट्रोजन पूर्ति करता है। यह जैविक खाद नत्रजनधारी रासायनिक उर्वरक का सस्ता व सुलभ विकल्प है जो धान के फसल को, न सिर्फ 25-30 किलो ग्राम नत्रजन प्रति हैक्टेयर की पूर्ति करता है, बल्कि उस धान के खेत में नील हरित काई के अवशेष से बने सेन्द्रीय खाद के द्वारा उसकी गुणवत्ता व उर्वरता कायम रखने में मददगार साबित होती है। .

ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया और नील हरित शैवाल के बीच समानता

ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया और नील हरित शैवाल आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): जीवाणु

जीवाणु

जीवाणु जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं जो प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थों में, जल में, भू-पपड़ी में, यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं। साधारणतः एक ग्राम मिट्टी में ४ करोड़ जीवाणु कोष तथा १ मिलीलीटर जल में १० लाख जीवाणु पाए जाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनुमानतः लगभग ५X१०३० जीवाणु पाए जाते हैं। जो संसार के बायोमास का एक बहुत बड़ा भाग है। ये कई तत्वों के चक्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थरीकरण में। हलाकि बहुत सारे वंश के जीवाणुओं का श्रेणी विभाजन भी नहीं हुआ है तथापि लगभग आधी प्रजातियों को किसी न किसी प्रयोगशाला में उगाया जा चुका है। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टिरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है जो कि सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा है। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं है, उसकी लगभग १० गुणा संख्या तो जीवाणु कोष की ही है। इनमें से अधिकांश जीवाणु त्वचा तथा अहार-नाल में पाए जाते हैं। हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे - हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग, प्लेग इत्यादि.

ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया और जीवाणु · जीवाणु और नील हरित शैवाल · और देखें »

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ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया और नील हरित शैवाल के बीच तुलना

ग्राम-ऋणात्मक बैक्टीरिया 7 संबंध है और नील हरित शैवाल 13 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.00% है = 1 / (7 + 13)।

संदर्भ

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