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गौतम बुद्ध के महालक्षण और लक्षण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गौतम बुद्ध के महालक्षण और लक्षण के बीच अंतर

गौतम बुद्ध के महालक्षण vs. लक्षण

परम्परागत रूप से माना जाता है कि गौतम बुद्ध में ३२ महापुरुष-लक्षण विद्यामान थे। मान्यता है कि ये ३२ लक्षण चक्रवर्ती राजाओं में भी विद्यमान होते हैं। दीर्घनिकाय के लक्खन सुत्त में ३२ लक्षणों का वर्णन है। मज्झिम निकाय के ब्रह्मायु सुत्त में भी इन लक्षणों की चर्चा है। ये ३२ मुख्य लक्षण ये हैं- १ सुप्पतिट्ठितपादो – (सुप्रतिष्ठित पादौ) -- समतल पाँव २ चक्रवरन्कित -- दोनों पाँवों के तलुवों पर १००० कड़ियों वाले चक्र ३ आयातपण्हि (आयत पार्ष्णि) - ४ दीघङ्गुलि (दीर्घाङ्गुलि) – हाथ और पैर की अंगुलियां लम्बी ५ मुदुतलुनहत्थपादो (मृदुतरुणहस्त पाद) ६ जाल हत्थोपादो (जाल हस्त पाद) ७ उस्सङ्गपादो (उस्सन्ख पाद) ८ एणिजङ्ख (एणी जँघ) ९ परिमसति परिमज्जति (आजान बाहु) -- घुटने तक लम्बी बाहें १० कोसोहितवत्थगुह्यो (कोषाच्छादित वस्ति गुह्य) ११ सुवर्णवण्णो – (सुवर्ण वर्ण) -- सोने के रंग की त्वचा १२ सुखुमच्छवि (सूक्ष्मछवि)- १३ एकेकलोमो (एक एक लोम) १४ उद्धग्गलोमो (उर्ध्वाग्रलोम) १५ ब्रह्मुजुगतोझ (ब्राह्मऋजु- गात्र) १६ सत्तुस्सदो (सप्त उद्सद) १७ सीहपुब्बद्धकायो (सिंहपूर्वार्धकाया) -- छाती सहित काया का मध्यभाग सिंह जैसा हो १८ चितन्तरसो (चिताँतराँस) १९ निग्रोधपरिमण्डलो (न्यग्रोध परिमण्डल) २० समवट्टक्खन्धो – (समवर्त स्कन्ध)- २१ रसग्गसग्गी (रस रसाग्रि) २२ सीहहनु (सिंहहनु) - सिंह के समान सुन्दर दाढ २३ चत्तालिस दन्तो (चत्तालिस दन्त) -- चालीस दांत २४ समदन्तो (समदन्त) -- दाँत आगे-पीचे न हों, समान पंक्तिबद्ध हों २५ अविरलदन्तो (अविवर दन्त) -- दांतों के बीच छिद्र न हों २६ सुसुक्कदाठो (सुशुक्लदाढ) -- २७ पहूतजिव्हो (प्रभूतजिव्हा) -- लम्बी जिह्वा २८ ब्रह्मस्सरो (ब्रह्मस्वर) -- २९ अभिनीलनेत् (अभिनीलनेत्र) -- अलसी जैसे नीले नेत्र ३० गोपखुमो (गो पक्ष्म) -- ३१ ओदाता उण्णा (श्वेत उर्णा) ३२ उण्हीससीसो (उष्णीष शीर्ष) . लक्षण का अर्थ है - 'पहचान का चिह्न' या गुणधर्म या प्रकृति। किसी पदार्थ की वह विशेषता जिसके द्वारा वह पहचाना जाय। वे गुण आदि जो किसी पदार्थ में विशिष्ट रूप से हों और जिनके द्वारा सहज में उसका ज्ञान हो सके। जैसे,—आकाश के लक्षण से जान पड़ता है कि आज पानी बरसेगा। शरीर में दिखाई पड़नेवाले वे चिह्न आदि जो किसी रोग के सूचक हों, भी 'लक्षण' कहलाते हैं। जैसे,—इस रोगी में क्षय के सभी लक्षण दिखाई देते हैं। सामुद्रिक के अनुसार शरीर के अँगों में मिलने वाले कुछ विशेष चिह्न भी लक्षण कहे जाते हैं जो शुभ या अशुभ माने जाते हैं। जैसे,—चक्रवर्ती और बुद्ध के लक्षण एक से होते हैं। लक्षणों को जाननेवाला या शुभ अशुभ चिह्नों का ज्ञाता लक्षणज्ञ कहलाता है। काव्य या साहित्य के लक्षणों का विवेचन करनेवाला ग्रंथ लक्षण ग्रंथ कहलाता है। दूसरे शब्दों में, लक्षण ग्रन्थ का अर्थ साहित्यिक समीक्षा की पुस्तक या 'समालोचना शास्त्र' है। .

गौतम बुद्ध के महालक्षण और लक्षण के बीच समानता

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गौतम बुद्ध के महालक्षण और लक्षण के बीच तुलना

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संदर्भ

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