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गैल्वानी सेल और संक्षारण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गैल्वानी सेल और संक्षारण के बीच अंतर

गैल्वानी सेल vs. संक्षारण

300px दो अर्ध सेलों को लवण-सेतु से जोड़कर बना सेल (जिंक-कॉपर गैल्वानी सेल) आजकल तरह-तरह के सेल और बैटरियाँ बाजार में उपलब्ध हैं। गैल्वानी सेल (galvanic cell) या वोल्टाई सेल (voltaic cell) एक विद्युतरासायनिक युक्ति है अपने अन्दर होने वाली रेडॉक्स अभिक्रिया के फलस्वरूप विद्युत ऊर्जा प्रदान करता है। इसके ये नाम क्रमशः लुइगी गैल्वानी तथा एलेसान्द्रो वोल्टा के नाम पर रखे गये हैं जिन्होने इस क्षेत्र में सबसे पहले काम किया। सेल के अन्दर दो भिन्न धातुएँ होतीं हैं जो एक लवण-सेतु (साल्ट ब्रिज) के माध्यम से जुड़ी होतीं हैं। वोल्टा ने वोल्टाई पाइल (voltaic pile) का आविष्कार किया जो प्रथम विद्युत बैटरी थी। साधारण प्रयोग में बैटरी एक सेल को भी बैटरी कह दिया जाता है किन्तु बैटरी का वास्तविक अर्थ 'एक से अधिक सेलों का संयोजन' है। This cell is also called 'syed' or 'galloesa'. मास्को के सुखोव टॉवर में दृष्टिगत संक्षारण रेल कीपटरी का संक्षारण (मोरचा लग गया है।) मोरचा लगा नट और बोल्ट धातुओं का संक्षारण (Corrosion of metals) रासायनिक क्रिया है, जिसके फलस्वरूप धातुओं का क्षय एवं ह्रास होता है। धातुओं की क्षरणक्रिया, (Erosion) जिनमें यांत्रिक कारकों के फलस्वरूप धातुओं का ह्रास होता है, इस क्रिया से भिन्न होती है। धातुओं में संक्षारण वस्तुत: रासायनिक क्रिया, अथवा वैद्युत्रासायनिक क्रिया, के रूप में होता है। मूल आधार के अनुसार उपर्युक्त दोनों प्रकार की संक्षारण क्रियाएँ मूल क्रिया की विभिन्न अवस्थाएँ हैं। धातुओं की संक्षारण क्रियाप्रणाली की मुक्त ऊर्जा में विशिष्ट एवं आवश्यक रूप में न्यूनता उत्पन्न होती है। प्रत्यक्ष रासायनिक क्रिया द्वारा धातुओं के संक्षारण में गैस, अथवा आर्द्रतायुक्त वातावरण, का संसर्ग संक्षारण के लिए उपयुक्त परिस्थितयाँ उत्पन्न करता है। संक्षारण की विद्युत्रासायनिक क्रिया में, धातुओं के द्रव में निमज्जित होने से, विद्युत्धारा उत्पन्न होने की उपयुक्त परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इस प्रकार संक्षारण क्रिया में धातुओं का विद्युत्रासायनिक ह्रास होता है। उनमें तथा द्रवों में निमज्जित होने से धातुओं की संक्षारण केवल उपर्युक्त परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती, अन्य कारकों का भी विशेष एवं महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। सामान्यत: धातुओं की संक्षारण क्रिया में निर्मित होनेवाला अंतिम उत्पाद ऐसा यौगिक होता है जो प्रकृति में खनिज पदार्थ के रूप में पाया जाता है। उदाहरणार्थ, ताँबे के पट्ट को बहुत वर्षों तक आंतरस्थलीय वातावरण में, खुली अवस्था में रखने से पट्ट के ऊपरी तल पर क्षारक सल्फेट की एक परत जर्म जाती है। ताँबे का यह क्षारक सल्फेट प्रकृति में पाए जानेवाले खनिज ब्रोकैटाइट जैसा होता है। इसी प्रकार लोहे अथवा इस्पात के पट्ट को लवणीय जल में पूर्णत: निमज्जित रखने पर वर्षा में उसके तल पर जलयोजित लोह (फेरिक) ऑक्साइड की कठोर परत जम जाती है। जलयोजित फेरिक ऑक्साइड प्रकृति में पाए जानेवाले खनिज गोथइट जैसा होता है। इस प्रकार धातुओं की संक्षारण क्रिया धातुओं के मध्यस्थायी धात्विक अवस्था में स्थायी ऑक्सीकृत अवस्था में प्रत्यावर्तन की क्रिया है। जो धातुएँ प्रकृति में अपने शुद्ध रूप में पाई जाती हैं, जैसे स्वर्ण, उनमें सामान्यत: प्रकृति में उपस्थित कारकों द्वारा संक्षारण क्रिया नहीं होती और इसके फलस्वरूप ही ऐसी धातुएँ असंयुक्त अवस्था में पाई जाती हैं। .

गैल्वानी सेल और संक्षारण के बीच समानता

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गैल्वानी सेल और संक्षारण के बीच तुलना

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संदर्भ

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