गुप्त लिपि और तिब्बती लिपि
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गुप्त लिपि और तिब्बती लिपि के बीच अंतर
गुप्त लिपि vs. तिब्बती लिपि
गुप्त लिपि, जिसे गुप्त ब्राह्मी लिपि भी कहते हैं, भारत में गुप्त साम्राज्य के काल में संस्कृत लिखने के लिए प्रयोग की जाती थी। गुप्त लिपि ब्राह्मी लिपि से बनी थी, और इसने आगे चलकर देवनागरी, गुरुमुखी, तिब्बतन और बंगाली-असमिया लिपियों को जन्म दिया। . तिब्बती बौद्धधर्म का मूल मंत्र: '''ॐ मणिपद्मे हूँ''' तिब्बती लिपि भारतीय मूल की ब्राह्मी परिवार की लिपि है। इसका उपयोग तिब्बती भाषा, लद्दाखी भाषा तथा कभी-कभी बलती भाषा को लिखने के लिये किया जाता है। इसकी रचना ७वीं शताब्दी में तिब्बत के धर्मराजा स्रोंचन गम्पो (तिब्बती: སྲོང་བཙན་སྒམ་པོ།, Wylie: srong btsan sgam po) के मंत्री थोन्मि सम्भोट (तिब्बती: ཐོན་མི་སམྦྷོ་ཊ།, Wyl. thon mi sam+b+ho Ta) ने की थी। इसलिये इसको सम्भोट लिपि भी कहते हैं। यह लिपि प्राचीन समय से ही तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भूटानी, भोटे, सिक्किमी आदि हिमाकयी भाषाओं को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है। .
गुप्त लिपि और तिब्बती लिपि के बीच समानता
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संदर्भ
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