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गंधर्वराज पुष्पदंत और स्तोत्ररत्नावली

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

गंधर्वराज पुष्पदंत और स्तोत्ररत्नावली के बीच अंतर

गंधर्वराज पुष्पदंत vs. स्तोत्ररत्नावली

गंधर्वराज पुष्पदंत तथा पुष्पदन्त जैन धर्म का 9वाँ तीर्थंकर के बीच भ्रमित न होवें। गंधर्वराज पुष्पदंत अथवा पुष्पदन्त बहुत ही बड़े शिवभक्त थे। शिव की भक्ति उनके मन में भरी थी। पुष्पदंत देवराज इंद्र के दरबार के महत्वपूर्ण गायक थे, उनके गीत पूरे स्वर्ग में प्रचलित थी, भूलोक भी अछूता न था। जिस प्रकार राजा इंद्र के दिन अप्सराओं के बिना नहीं कटती उसी प्रकार उन्हें पुष्पदंत के शिवमय गीत परमानंद प्रदान करते थे। इन्होंने ही प्रभासक्षेत्र में पुष्पदंतेश्वर महादेव की स्थापना की थी। तथा शिवमहिम्न स्तोत्र की रचना की थी। इन्होंने जो साहित्यदान किया इसी कारण इनका नाम सनातन धर्म के इतिहास में अमिट तथा श्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया। . स्तोत्ररत्नावली विभिन्न देवी-देवताओं के स्तोत्रों का एक संग्रह है। इसमें गणेश, शिव, शक्ति, विष्णु, राम, कृष्ण एवं सूर्य आदि प्रमुख देवताओं के प्रसिद्ध स्तोत्रों का संग्रह किया गया है। अन्त में प्रकीर्ण स्तोत्रों में देवताओं के प्रातः स्मरण तथा कुछ ज्ञानप्रद आध्यात्मिक स्तोत्र भी दिये गये हैं। यह ग्रन्थ (संग्रह) काफी प्राचीन है तथा इसके मूल संकलनकर्ता का नाम ज्ञात नहीं है। यह विभिन्न प्रकाशनों से प्रकाशित होता है जिनमें गीताप्रैस, गोरखपुर भी शामिल है। गीताप्रैस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित स्तोत्ररत्नावली का नवीनतम संस्करण सातवाँ है जो संवत् २०६५ में प्रकाशित हुआ। इसका आइऍसबीऍन क्रमाँक 81-293-1355-3 है। .

गंधर्वराज पुष्पदंत और स्तोत्ररत्नावली के बीच समानता

गंधर्वराज पुष्पदंत और स्तोत्ररत्नावली आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): शिव, शिव ताण्डव स्तोत्र, शिवमहिम्न स्तोत्र, श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र, गणेश

शिव

शिव या महादेव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ,गंगाधार के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। राम, रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। .

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शिव ताण्डव स्तोत्र

शिव ताण्डव स्तोत्र (संस्कृत:शिवताण्डवस्तोत्रम्) महान विद्वान एवं परम शिवभक्त लंकाधिपति रावण द्वारा विरचित भगवान शिव का स्तोत्र है। .

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शिवमहिम्न स्तोत्र

शिवमहिम्न स्तोत्र (संस्कृत: श्रीशिवमहिम्नस्तोत्रम्) Translation " Śrī śivamahimnastōtram".

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श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र

पंचाक्षर स्तोत्र (संस्कृत: श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्) एक स्तोत्र है। स्तोत्र संस्कृत साहित्य में किसी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गये काव्य को कहा जाता है। इस स्तोत्र में शिव जी की प्रार्थना की गई है। ॐ नम: शिवाय पर निर्धारित यह श्लोक संग्रह अत्यंत मनमोहक रूप से शिवस्तुति कर रहा है। परमपूज्य श्री शिवावतार आदिशंकराचार्य जी महाराज। इस स्तोत्र के रचयिता श्री आदि शंकराचार्य जी हैं जो महान शिव भक्त, अद्वैतवादी, एवं धर्मचक्रप्रवर्तक थे। सनातनी ग्रंथ एवं विद्वानों के अनुसार वे भगवान शिव के अवतार थे। इनके विषय में कहते हैं।..

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गणेश

गणेश शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन डिंक नामक मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते है। .

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गंधर्वराज पुष्पदंत और स्तोत्ररत्नावली के बीच तुलना

गंधर्वराज पुष्पदंत 12 संबंध है और स्तोत्ररत्नावली 18 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 16.67% है = 5 / (12 + 18)।

संदर्भ

यह लेख गंधर्वराज पुष्पदंत और स्तोत्ररत्नावली के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: