लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

खंभात की खाड़ी और भ्रंश (भूविज्ञान)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

खंभात की खाड़ी और भ्रंश (भूविज्ञान) के बीच अंतर

खंभात की खाड़ी vs. भ्रंश (भूविज्ञान)

खंभात की खाड़ी (पूर्व नाम: कैंबे की खाड़ी) अरब सागर स्थित एक तिकोनी आकृति की खाड़ी है। यह दक्षिणी ओर से अरब सागर में खुलती है। यह भारतीय राज्य गुजरात के सागर तट, पश्चिमी भारत के शहर मुंबई और काठियावाड़ प्रायद्वीप के मध्य स्थित है और उसे पूर्व और पश्चिमी, दो भागों में बांटती है। केन्द्र शासित प्रदेश दमन और दीव के निकट इसका मुहाना लगभग १९० किलोमीटर चौड़ा है, जो तीव्रता सहित २४ किमी तक संकरा हो जाता है। इस खाड़ी में साबरमती, माही, नर्मदा और ताप्ती सहित कई नदियों का विलय होता है। दक्षिण दिशा से दक्षिण पश्चिमी मानसून के सापेक्ष इसकी आकृति और इसकी अवस्थिति, इसकी लगभग १०-१५ मीटर ऊँची उठती और प्रवेश करती लहरों की ६-७ नॉट्स की द्रुत गति के कारण है। इसे शैवाल और रेतीले तट नौपरिवहन के लिए दुर्गम बनाते हैं साथ ही खाड़ी में स्थित सभी बंदरगाहों को लहरों व नदियों में बाढ़ द्वारा लाई गई गाद का बाहुल्य मिलता है। गुजरात से ४ बड़ी, ५ मध्यम, २५ छोटी एवं ५ मरुस्थलीय नदियां खाड़ी में गिरती हैं एवं खाड़ी में प्रतिवर्ष ७१,००० घन मि.मी जल विसर्जित करती हैं। खाड़ी की पूर्व में भरुच नामक भारत का एक प्राचीनतम बंदरगाह शहर एवं सूरत हैं, जो भारत और यूरोप के बीच का आरंभिक वाणिज्यिक संपर्क स्थल के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं। ये शहर इसके मुहाने पर स्थित हैं। हालांकि इस खाड़ी में स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय लोगों हेतु ही है, फिर भी यहाँ पर खनिज तेल के लिये किये गए खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है। वर्ष २००० में भारत के तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, डॉ॰ मुरली मनोहर जोशी ने जल के नीचे बड़े स्तर पर मानव-निर्मित ढांचों के मिलने की घोषणा की थी। यद्यपि खाड़ी पर स्थित बंदरगाहों का महत्त्व स्थानीय मात्र ही है, लेकिन यहाँ पर तेल के मिलने और खोज प्रयासों ने, विशेषकर भरुच के निकट, खाड़ी के मुहाने और बॉम्बे हाई के अपतटीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक पुनरुत्थान हुआ है। खंभात की खाड़ी में तृतीय कल्प (Tertiary) के निक्षेप मिलते हैं। भूगर्भिक क्रियाओं का प्रभाव इस क्षेत्र पर रहा है, अत: यहाँ अनेक भ्रंश (Faults) पाए जाते हैं। बाद के युग में यह क्षेत्र ऊपर की ओर उठ गया। तटीय क्षेत्र में नदियों की पुरानी घाटियाँ तथा झीलें आज भी दृष्टिगत होती हैं। नर्मदा, ताप्ती, माही, साबरमती तथा काठियावाड की अन्य नदियों के वेगवान निक्षेपण के कारण विस्तृत तटीय क्षेत्र दलदल से परिपूर्ण हो गए हैं और खाड़ी के बीच कुछ द्वीप बन गए हैं। . सान ऐड्रियास भ्रंश (कैलिफोर्निया) का पर से लिया गया दृष्य भूपटल के भौगोलिक प्लेटें दबाव या तनाव के कारण संतुलन की अवस्था में नहीं रहती। जब भी प्लेटों में खिंचाव अधिक बढ़ जाता है, अथवा शिलाओं पर दोनों पार्श्व से पड़ा दबाव उनकी सहन शक्ति के बाहर होता है, तब शिलाएँ अनके प्रभाव से विस्थापित हो जाती हैं अथवा टूट जाती हैं। एक ओर की शिलाएँ दूसरी ओर की शिलाओं की अपेक्षा नीचे या ऊपर चली जाती हैं। इसे ही भ्रंश (Fault) कहते हैं। .

खंभात की खाड़ी और भ्रंश (भूविज्ञान) के बीच समानता

खंभात की खाड़ी और भ्रंश (भूविज्ञान) आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

खंभात की खाड़ी और भ्रंश (भूविज्ञान) के बीच तुलना

खंभात की खाड़ी 30 संबंध है और भ्रंश (भूविज्ञान) 1 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (30 + 1)।

संदर्भ

यह लेख खंभात की खाड़ी और भ्रंश (भूविज्ञान) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »