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क्षीणता और सूर्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

क्षीणता और सूर्य के बीच अंतर

क्षीणता vs. सूर्य

धूप के चश्मे (सन ग्लास) पहनकर किसी चमकीली वस्तु (जैसे सूर्य) को भी देखा जा सकता है। इससे आँख में पहुँचने वाला प्रकाश चश्मे पर गिरने वाले प्रकाश से बहुत कम हो जाता है। सामान्यतः देखने को मिलता है कि किसी प्रणाली या किसी माध्यम में घुसने वाली ऊर्जा/संकेत उससे निकलने पर कम को जाती है। इस प्रक्रिया को क्षीणन (attenuation) कहते हैं। उदाहरण के लिए रंगीन काच से गुजरने पर प्रकाश की त्तिव्रता कम हो जाती है। इसी तरह सीसे (lead) की सिल्ली को पार करने के बाद X-किरणे क्षीण हो जातीं हैं। जल तथा वायु प्रकाश एवं ध्वनि को क्षीण करतीं हैं। विद्युत इंजीनियरी में और सूरसंचार में, तंरंगें और संकेत जब किसी विद्युत नेटवर्क, ऑप्टिकल फाइबर या वायु से होकर गुजरते हैं तो उनका क्षीणन होता है। जो वस्तुएँ क्षीणन करतीं हैं, उन्हें क्षीणक (अटिनुएटर) कहते हैं। अतः क्षीणक, प्रवर्धक (ऐम्प्लिफायर) का उल्टा काम करता है। . सूर्य अथवा सूरज सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा जिसके चारों तरफ पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य अवयव घूमते हैं। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा पिंड है और उसका व्यास लगभग १३ लाख ९० हज़ार किलोमीटर है जो पृथ्वी से लगभग १०९ गुना अधिक है। ऊर्जा का यह शक्तिशाली भंडार मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशाल गोला है। परमाणु विलय की प्रक्रिया द्वारा सूर्य अपने केंद्र में ऊर्जा पैदा करता है। सूर्य से निकली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पृथ्वी पर पहुँचता है जिसमें से १५ प्रतिशत अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है, ३० प्रतिशत पानी को भाप बनाने में काम आता है और बहुत सी ऊर्जा पेड़-पौधे समुद्र सोख लेते हैं। इसकी मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी और अन्य ग्रहों को इसकी तरफ खींच कर रखती है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या ९,२९,६०,००० मील है तथा सूर्य से पृथ्वी पर प्रकाश को आने में ८.३ मिनट का समय लगता है। इसी प्रकाशीय ऊर्जा से प्रकाश-संश्लेषण नामक एक महत्वपूर्ण जैव-रासायनिक अभिक्रिया होती है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह पृथ्वी के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है। इनमें से हाइड्रोजन सूर्य के सतह की मात्रा का ७४ % तथा हिलियम २४ % है। इस जलते हुए गैसीय पिंड को दूरदर्शी यंत्र से देखने पर इसकी सतह पर छोटे-बड़े धब्बे दिखलाई पड़ते हैं। इन्हें सौर कलंक कहा जाता है। ये कलंक अपने स्थान से सरकते हुए दिखाई पड़ते हैं। इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला है कि सूर्य पूरब से पश्चिम की ओर २७ दिनों में अपने अक्ष पर एक परिक्रमा करता है। जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। Barnhart, Robert K. (1995) The Barnhart Concise Dictionary of Etymology, page 776.

क्षीणता और सूर्य के बीच समानता

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क्षीणता और सूर्य के बीच तुलना

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संदर्भ

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