क्रीडा और संगणक नेटवर्क
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
क्रीडा और संगणक नेटवर्क के बीच अंतर
क्रीडा vs. संगणक नेटवर्क
''बच्चों के खेल'' (१५६० में पीतर ब्रुगेल द्वारा चित्रित) 300px कोई भी कार्य जिनमें नियमों की संरचना हो और जिसको आनन्द प्राप्ति के लिये या कभी-कभी शिक्षा प्रदान करने के लिये किया जाता है, क्रीडा या खेल (game) कहलाता है। खेल की सबसे पहली विशेषता है कि खेल आमोद-प्रमोद है। खेल में मजा आता है। कोई भी ऐसा कार्यकलाप जिससे बच्चों को आनंद मिलता है, खेल है। खेल बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते है ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेलों के प्रकारों में अन्वेषणात्मक, संरचनात्मक, काल्पनिक और नियमबद्ध खेल शामिल हैं। खेलों में सांस्कृतिक विभिन्नताएं भी देखी जाती हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक, संज्ञानात्मक, संवेगात्मक, सामाजिक एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता हैं किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। अतः यह अनिवार्य हैं कि शिक्षक और माता-पिता खेल के महत्व को समझें। खेल के बारे में आम धारणा यह है कि यह काम का विलोम है। खेल एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोग कोई उपयोगी या विशिष्ट काम नहीं कर रहे होते हैं। खेल के बारे में एक सोच यह भी है कि यह आनन्ददायक, मुक्त और अनायास होता है। यह दृष्टिकोण छोटे बच्चे के विकास में खेल के महत्व को नकारता है। कई सालों से कई मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तकार बच्चे के विकास में खेल के महत्व पर जोर देने लगे हैं। इन्होंने खेल के अनेक पक्षों पर बल दिया है और बताया है कि खेल कैसे मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। मनोवैज्ञानिकों की दृष्टि में खेल अतीत से मुक्त और पुर्नजीवन का रास्ता है। यह खोज, पहल और स्वतंत्रता है। खेल से मनुष्य की मनोवैज्ञानिक जरूरतें पूरी होती हैं। तथा वह मनुष्य को सामाजिक कौशलों के विकास का भी अवसर देता है। पियाजे के अनुसार खेल बच्चों की मानसिक क्षमताओं के विकास में भी एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। पहले चरण में बच्चा वस्तुओं के साथ संवेदन प्राप्त करने व कार्य संचालन करने का प्रयास करता है। दूसरे चरण में बच्चा कल्पनाओं को रूप देने के लिए वस्तुओं को किसी के प्रतीक के रूप में उपयोग करने लगता है। अन्तिम चरण में (7 से 11 वर्ष) काल्पनिक भूमिकाओं के खेलों की तुलना में बच्चा नियमबद्ध खेल (या क्रीड़ाओं) में संलग्न रहता है। खेलों से तार्किक क्षमता व स्कूल सम्बन्धी कौशलों को विकसित होने में मदद मिलती है। वाइगोत्स्की उसके विचारों से प्रेरित शोधकर्त्ता यह नहीं मानते कि खेलों में उम्र के साथ सहज परिवर्तन हो जाता है। वे वयस्कों व सामाजिक सन्दर्भों से मिलने वाले मार्गदर्शन को इसके लिए महत्त्वपूर्ण मानते हैं। उनके अनुसार बच्चों के खेल के स्तर को वयस्क बढ़ा सकते हैं। वाइगोत्स्की के अनुसार - जटिल भूमिकाओं वाले खेलों में बच्चों का अपने व्यवहार को संगठित करने का बेहतर व सुरक्षित अवसर मिलता है जो वास्तविक स्थितियों में नहीं मिलता। इस तरह खेल बच्चे के लिए निकट विकास का क्षेत्र बनाते है। स्कूली स्थिति की तुलना में खेल के दौरान बच्चों की एकाग्रता, स्मृति आदि उच्चतर स्तर पर काम करती हैं। खेल में बच्चे की नई विकासमान दक्षताएँ पहले उभर कर आती हैं। खेल नाटकों में बच्चा अपने आन्तरिक विचार के अनुसार काम करता है और मूर्त रूप में दिखने वाली चीज़ों से बँधा नहीं रहता। यहीं से उसमें अमूर्त चिन्तन व विचार करने की तैयारी होने लगती है। यह लेखन की भी तैयारी होती है क्योंकि लिखित रूप में शब्द वस्तु जैसा नहीं होता, उसके विचार का प्रतीक होता है। जितनी उम्र तक खेल में जटिल और विस्तृत भूमिकाओं व भाषा का प्रयोग होता है वह बच्चे के विकास के लिए एक प्रमुख गतिविधि बना रहता है। यह स्थिति 10-11 साल तक के बच्चों में कम रह सकती है। धीरे-धीरे इसका महत्व कम होने लगता है। शिक्षक बच्चों को खेलने का पर्याप्त समय व साधन देकर विषयों का सुझाव देकर, झगड़ों का समाधान करके खेल को और समृद्ध बना सकते हैं। . एक कम्प्यूटर नेटवर्क का योजनामूलक चित्र आर-जे-४५ कनेक्टर दो या दो से अधिक परस्पर जुड़े हुए कम्प्यूटर या अन्य डिजिटल युक्तियों और उन्हें जोडने वाली व्यवस्था को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं। ये कम्प्यूटर आपस में इलेक्ट्रोनिक सूचना का आदान-प्रदान कर सकते हैं और आपस में तार या बेतार से जुडे रहते हैं। सूचना का यह आवागमन खास परिपाटी से होता है, जिसे प्रोटोकॉल कहते हैं और नेटवर्क के प्रत्येक कम्प्यूटर को इसका पालन करना पड़ता है। कई नेटवर्क जब एक साथ जुड़ते हैं तो इसे इंटरनेटवर्क कहते हैं जिसका संक्षिप्त रूप इन्टरनेट (अंतर्जाल, अंग्रेज़ी में Internet) काफ़ी प्रचलित है। अलग अलग प्रकार की सूचनाओं के कार्यकुशल आदान-प्रदान के लिये विशेष प्रोटोकॉल हैं। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए एनालॉग तथा डिजिटल विधियों का प्रयोग होता है। नेटवर्क के उपादानों में तार, हब, स्विच, राउटर आदि उपकरणों का नाम लिया जा सकता है। स्थानीय कम्प्यूटर नेटवर्किंग में बेतार नेटवर्क का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। .
क्रीडा और संगणक नेटवर्क के बीच समानता
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संदर्भ
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