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क्रमचय-संचय और विविक्त गणित

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

क्रमचय-संचय और विविक्त गणित के बीच अंतर

क्रमचय-संचय vs. विविक्त गणित

दोहराव के साथ क्रमपरिवर्तन। क्रमचय-संचय (Combinatorics) गणित की शाखा है जिसमें गिनने योग्य विवर्त (discrete) संरचनाओं (structures) का अध्ययन किया जाता है। शुद्ध गणित, बीजगणित, प्रायिकता सिद्धांत, टोपोलोजी तथा ज्यामिति आदि गणित के विभिन्न क्षेत्रों में क्रमचय-संचय से संबन्धित समस्याये पैदा होतीं हैं। इसके अलावा क्रमचय-संचय का उपयोग इष्टतमीकरण (आप्टिमाइजेशन), संगणक विज्ञान, एर्गोडिक सिद्धांत (ergodic theory) तथा सांख्यिकीय भौतिकी में भी होता है। ग्राफ सिद्धांत, क्रमचय-संचय के सबसे पुराने एवं सर्वाधिक प्रयुक्त भागों में से है। ऐतिहासिक रूप से क्रमचय-संचय के बहुत से प्रश्न विलगित रूप में उठते रहे थे और उनके तदर्थ हल प्रस्तुत किये जाते रहे। किन्तु बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शक्तिशाली एवं सामान्य सैद्धांतिक विधियाँ विकसित हुईं और क्रमचय-संचय गणित की स्वतंत्र शाखा बनकर उभरा। . यह एक छः नोड वाला ग्राफ है। अन्य चीजों के अलावा इस तरह के ग्राफ भी विविक्त गणित के अध्ययन के विषय हैं। विविक्त गणित (Discrete mathematics) गणित की वह शाखा है जो ऐसी गणितीय संरचनाओं का अध्ययन करती है जो मूलतः विविक्त (discrete) होती हैं, न कि सतत (continuous)। विविक्त गणित में पूर्णांकों, ग्राफों, तथा तार्किक कथनों का अध्ययन किया जाता है जिनका परिवर्तन असतत होता है न कि वास्तविक संख्याओं की भांति सतत। विविक्त गणित में प्रयुक्त संरचनाएँ सतत नहीं होतीं बल्कि परस्पर विलग (separated) मान ही धारण करतीं हैं। इस कारण विविक्त गणित में कैलकुलस तथा विश्लेषण आदि विषय नहीं आते और वे 'सतत गणित' के विषय हैं। .

क्रमचय-संचय और विविक्त गणित के बीच समानता

क्रमचय-संचय और विविक्त गणित आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रायिकता, संस्थितिविज्ञान, गणित, ग्राफ़ सिद्धान्त

प्रायिकता

किसी घटना के होने की सम्भावना (likelihood or chance) को प्रायिकता या संभाव्यता (Probability) कहते हैं। सांख्यिकी, गणित, विज्ञान, दर्शनशास्त्र आदि क्षेत्रों में इसका बहुतायत से प्रयोग होता है। .

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संस्थितिविज्ञान

मोबियस स्ट्रिप (Möbius strip) एक ऐसी वस्तु है जिसमें केवल एक तल एवं एक ही कोर (one surface and one edge) है। ऐसे आकारों का अध्ययन 'टोपोलॉजी' के अन्तर्गत किया जाता है। एक कप से बदललते हुए टोरस का सृजन संस्थितिविज्ञान या टोपोलॉजी गणित का बड़ा क्षेत्र है। इसे ज्यामिति के विस्तार के रूप में देखा जाता है। इसमें उन गुणों का अध्ययन किया जाता है जो वस्तुओं को सतत रूप से विकृत करने पर उनमें बने रहे हैं। उदाहरण के लिये किसी चीज को बिना फाड़े या साटे हुए तानने पर आने वाली विकृतियाँ। संस्थिति का विकास ज्यामिति तथा समुच्चय सिद्धान्त से हुआ है। 'टोपोलॉजी' शब्द से दो चीजों का बोध होता है: संस्थितिविज्ञान एक विस्तृत क्षेत्र वाला विषय है। इसके कई उपक्षेत्र हैं। इसके कुछ प्रमुख क्षेत्र निम्नांकित हैं.

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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ग्राफ़ सिद्धान्त

एक ग्राफ जिसमें छः नोड और सात कोर हैं। गणित तथा संगणक विज्ञान में ग्राफ सिद्धांत (graph theory) में वस्तुओं से जुड़ी वस्तुओं और उनकी आपसी दूरी का अध्ययन किया जाता है। इस संदर्भ में ग्राफ उन गणितीय संरचनाओं को कहते हैं जो वस्तुओं के बीच जुड़े या युग्मित संबन्धों (pairwise relations) को मॉडल करने के काम आती हैं। इसकी तुलना किसी मानचित्र में शहरों के बीच बने सड़कों के जाल से कर सकते हैं। दो शहरों के बीच की दूरी उनके बीच बनी सड़क की लंबाई बताती है। यदि उन शहरों से बीच सीधी सड़क न हो, तो किसी अन्य शहर द्वारा वहाँ तक पहुँचने की दूरी निकाली जा सकती है। इसके आरेखों और चित्रों में दर्शाने के लिए वस्तुओं को बिन्दु या गोले (node, vertex) से दर्शाया जाता है। इनके बीच के जुड़ाव को एक रेख द्वारा जिसे कोर (edges) कहते हैं। अतः ग्राफ शीर्षों (vertices or nodes) तथा उनको जोड़ने वाली कोरों (edges) का समुच्चय है। विविक्त गणित (discrete mathematics) में ग्राफ का अध्ययन एक महत्वपूर्ण विषय है। ध्यान रहे कि 'ग्राफ सिद्धान्त' का 'ग्राफ', फलनों के आलेख (ग्राफ) यानि वक्र रेखा द्वारा किसी संबंध को दिखाने से बिलकुल भिन्न चीज है। ग्राफ़ सिद्धांत का प्रयोग वस्तुओं के विशाल समूह में एक दूसरे से दूरी (या अन्तर) निकालने के लिए किया जाता है। ग्राफ़ सिद्धांत के अनुसार, इसी प्रकार आकड़ों के पुंजीकरण, वस्तुओं की समरूपता इत्यादि जैसे कार्यों का हल निकाला जा सकता है। सामान्यतया ग्राफ़ को G.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

क्रमचय-संचय और विविक्त गणित के बीच तुलना

क्रमचय-संचय 26 संबंध है और विविक्त गणित 17 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 9.30% है = 4 / (26 + 17)।

संदर्भ

यह लेख क्रमचय-संचय और विविक्त गणित के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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