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क्या भूलूं क्या याद करूँ और सरस्वती सम्मान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

क्या भूलूं क्या याद करूँ और सरस्वती सम्मान के बीच अंतर

क्या भूलूं क्या याद करूँ vs. सरस्वती सम्मान

क्या भूलूं क्या याद करूँ हरिवंश राय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा तथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में हैः 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ', नीड़ का निर्माण फिर', 'बसेरे से दूर' और '"दशद्वार" से "सोपान" तक'। इसके लिए बच्चनजी को भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार 'सरस्वती सम्मान' से सम्मनित भी किया जा चुका है। हिन्दी प्रकाशनों में इस आत्मकथा का अत्यंत ऊचा स्थान है। डॉ॰ धर्मवीर भारती ने इसे हिन्दी के हज़ार वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली घटना बताया जब अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी, साहस और सद्भावना से कह दिया है। डॉ॰ हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार इसमें केवल बच्चन जी का परिवार और उनका व्यक्तित्व ही नहीं उभरा है, बल्कि उनके साथ समूचा काल और क्षेत्र भी अधिक गहरे रंगों में उभरा है। डॉ॰ शिवमंगल सिंह सुमन की राय में ऐसी अभिव्यक्तियाँ नई पीढ़ी के लिए पाथेय बन सकेंगी, इसी में उनकी सार्थकता भी है।;आत्मकथा की प्रसिद्ध पंक्तियाँ . Saraswathi samman 1.jpg सरस्वती सम्मान के.

क्या भूलूं क्या याद करूँ और सरस्वती सम्मान के बीच समानता

क्या भूलूं क्या याद करूँ और सरस्वती सम्मान आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): हरिवंश राय बच्चन, आत्मकथा

हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। इलाहाबाद के प्रवर्तक बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है। .

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आत्मकथा

आत्मकथा हिंदी गद्य की एक विधा है जिसमें लेखक अपनी ही कथा स्मृतियों के आधार पर लिखता है। आत्मकथा में निष्पक्षता जरूरी है। इसे काल्पनिक बातों और घटनाओं से बचाना भी जरूरी है और रोचकता भी बनाए रखने की जरूरी है। .

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क्या भूलूं क्या याद करूँ और सरस्वती सम्मान के बीच तुलना

क्या भूलूं क्या याद करूँ 7 संबंध है और सरस्वती सम्मान 34 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 4.88% है = 2 / (7 + 34)।

संदर्भ

यह लेख क्या भूलूं क्या याद करूँ और सरस्वती सम्मान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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