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कौशी समाकल सूत्र और विश्लेषणात्मक फलन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कौशी समाकल सूत्र और विश्लेषणात्मक फलन के बीच अंतर

कौशी समाकल सूत्र vs. विश्लेषणात्मक फलन

गणित में, कौशी समाकल सूत्र (cauchy's Integral formula) सम्मिश्र विश्‍लेषण में महत्वपूर्ण सूत्र है। इसका नाम ऑगस्टिन लुइस कौशी के नाम पर किया गया है। इसके अनुसार किसी चकती पर परिभषित होलोमार्फिक फलन को चकती की सीमा पर इसके मान से पूर्णतया ज्ञात किया जा सकता है और यह सभी होलोमार्फिक फलनों के अवकलनों लिए समाकल सूत्र भी प्रदान कराता है। कौशी सूत्र के अनुसार सम्मिश्र विश्लेषण में "अवकलन, समाकलन के तुल्य है"। . गणित में विश्लेषणात्मक फलन वह फलन कहलाता है जिसे अभिसारी बहुघात श्रेणी में बदला जा सके। वास्तविक व समिश्र दोनों तरह के विश्लेषणात्मक फलन पाये जाते हैं जिनके जिनकी श्रेणियाँ कुछ समानता व कुछ भिन्नता के साथ होती हैं। .

कौशी समाकल सूत्र और विश्लेषणात्मक फलन के बीच समानता

कौशी समाकल सूत्र और विश्लेषणात्मक फलन आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): होलोमार्फिक फलन, गणित, कोशी रीमान समीकरण

होलोमार्फिक फलन

एक आयताकार ग्रिड (उपर) और उसका ''f'' अनुकोण प्रतिचित्रण प्रतिबिम्ब (नीचे)। गणित में, होलोमार्फिक फलन अथवा पूर्णसममितिक फलन सम्मिश्र विश्‍लेषण में केन्द्रिय उद्देश्य का अध्ययन है। एक होलोमार्फिक फलन एक अथवा अधिक सम्मिश्र चरों का सम्मिश्र फलन है जो अपने प्रांत में प्रत्येक बिन्दु के प्रतिवेश में सम्मिश्र अवकलनिय हो। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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कोशी रीमान समीकरण

गणित में सम्मिश्र विश्‍लेषण के क्षेत्र में कोशी-रीमान समीकरण (Cauchy–Riemann equations) दो आंशिक अवकल समीकरणों की प्रणाली (system of two partial differential equations) है। ये समीकरण अवश्य ही संतुष्ट होंगे यदि दिया हुआ समिश्र फलन समिश्र-अवकलनिय (complex differentiable) है। समीकरण का यह नाम अगस्तिन कोशी (Augustin Cauchy) और बर्नार्ड रीमान (Bernhard Riemann) के नम पर पड़ा है। इसके अलावा, समिश्र अवकलन के लिये कोशी-रीमान समीकरण आवश्यक एवं पर्याप्त शर्त भी हैं। समीकरणों की यह प्रणाली सर्वप्रथम डी'अल्म्बर्ट (d'Alembert 1752) के कार्यों में देखने को मिली। बाद में लियोनार्द आइलर (Euler 1797) ने इन समीकरणों का सम्बन्ध एनालिटिक फलनों से भी होना बताया। कोशी ने 1814 में इन फलनों का उपयोग करके 'फलनों का सिद्धान्त' निर्मित किया। फलनों के सिद्धान्त पर रीमान का शोधपत्र 1851 में आया। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कौशी समाकल सूत्र और विश्लेषणात्मक फलन के बीच तुलना

कौशी समाकल सूत्र 5 संबंध है और विश्लेषणात्मक फलन 7 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 25.00% है = 3 / (5 + 7)।

संदर्भ

यह लेख कौशी समाकल सूत्र और विश्लेषणात्मक फलन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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