कोहरा और बादल संघनन नाभिक
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कोहरा और बादल संघनन नाभिक के बीच अंतर
कोहरा vs. बादल संघनन नाभिक
कोहरा या फ़ॉग (fog) प्रायः ठंडी आर्द्र हवा में बनता है और इसके अस्तित्व में आने की प्रक्रिया बादलों जैसी ही होती है। गर्म हवा की अपेक्षा ठंडी हवा अधिक नमी लेने में सक्षम होती है और वाष्पन के द्वारा यह नमी ग्रहण करती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ४ जनवरी २००९ ये वह बादल होता है जो भूमि के निकट बनता है। यानि एक बादल का वह भाग जो भूमि के ऊपर हवा में ठहरा हुआ हो कोहरा नहीं होता बल्कि बादल का वह भाग जो ऊपरी भूमि के संपर्क में आता है, कोहरा कहलाता है। इसके अतिरिक्त कोहरा कई अन्य तरीकों से भी बनता है। लेकिन अधिकांश कोहरे दो श्रेणियों, एडवेक्शन फॉग और रेडिएशन फॉग में बदल जाते हैं। दोनों ही प्रकार में कोहरा आम हवा से अधिक ठंडा महसूस होता है। ऐसा उसमें भरी हुई नमी के कणों के कारण होता है। सड़क पर हल्का कोहरा दृश्यता का ह्रास करता है। साइकिल चालक २००मी/(२१९ गज) पर बहुत ही धुंधला दिख रहा है। यहां की कुल दृश्यता ४००मी.(४३७ गज) है, जो सड़क के दूसरे छोर से बहुत पहले है।सैन फ्रांसिस्को के गोल्डन गेट सेतु पर सड़क एक चिह्न भी दिखने मुश्किल हैं एडवेक्शन फॉग तब बनता है जब गर्म हवा का एक विशेष हिस्सा किसी नम प्रदेश के ऊपर पहुंचता है। कई बार कोहरा काफी घना भी होता है जिससे दूर देखने में परेशानी महसूस होती है। समुद्र किनारे रहने वाले लोग एडवेक्शन फॉग से परिचित होते हैं। रेडिएशन फॉग तब बनता है जब धरती की ऊपरी परत ठंडी होती है। ऐसा प्रायः शाम के समय होता है। धरती की ऊपरी परत ठंडी होने के साथ ही हवा भी ठंडी हो जाती है, जिस कारण कोहरा उपजता है। कोहरा कई पहाड़ी घाटियों में भी छाता है। वहां ऊपरी गर्म हवा ठंडी हवा को जमीन के निकट रखती है। ऐसा कोहरा प्रायः सुबह के समय होता है। सूरज निकलने के बाद ठंडी हवा गर्म होती है और ऊपर उठती है। इसके बाद से कोहरा छंटना शुरू हो जाता है। . उत्तरी भारत और बांग्लादेश के ऊपर एअरोसोल प्रदूषण- नासाबादल संघनन नाभिक या संघनन का नाभिक (अंग्रेजी: Cloud condensation nuclei) वो छोटे कण (आमतौर पर 0.2 μm या बादल की बूदों के आकार का 1/100 वां भाग) होते हैं जिन पर, बादल की छोटी बूंदें आपस में जुड़कर एक बड़ी बूंद का निर्माण करती हैं। जल को वाष्प से द्रव अवस्था प्राप्त करने के लिए एक गैर-गैस सतह की आवश्यकता होती है और वातावरण में, यह सतह बादल संघनन नाभिक उपलब्ध कराते हैं। जब कोई बादल संघनन नाभिक मौजूद नहीं होता तो भी, जल वाष्प को 0° सेल्सियस (32 °F) से नीचे परमशीतल किया जा सकता है ताकि बूंदों का स्वत: निर्माण हो सके (यह उपपरमाण्विक कणों का पता लगाने के लिए प्रयुक्त बादल कक्ष तकनीक का आधार है)। हिमांक से ऊपर के तापमान में बूंदों के निर्माण के लिए वायु की परमसंतृप्ता 400% के आसपास होनी चाहिए। बादल संघनन नाभिक ही मेघांकुर की अवधारणा का आधार है, जिसके अंतर्गत वर्षा करवाने के लिए वायु में मेघांकुर छोड़े जाते हैं। .
कोहरा और बादल संघनन नाभिक के बीच समानता
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