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कोविलन

सूची कोविलन

मलयालम के महान उपन्यासकार कोविलन कण्डाणिशेरिल वट्टोंपरम्बिल वेलप्पन अय्यप्पन (9 जुलाई 1923 – 2 जून 2010), मलायलम के वरिष्ठ उपन्यासकार थे। वे कोविलन नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। वह प्रयोगधर्मी रचनाकार थे। स्वतंत्रता सेनानी रहे कोविलन का असली नाम वी वी अयाप्पन था। मलयालम साहित्य में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें 2006 में केरल सरकार के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान इजहुथाचन पुरास्कारोम से नवाजा गया था। केंद्र साहित्य अकादमी के सदस्य कोविलन ने 1972 और 1977 में केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1998 में केंद्र साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त किया। कोविलन जी भारतीय नौ सेना के लिए 1943 से 1946 तक काम किया था। वे भारत के जन साधारण के मन की बातें, जाति, संस्कार, धर्म और भाषा की आवाज़ अपने उपन्यासों और कहानियों में उजागर किया हैं। .

3 संबंधों: नारियल, सुपारी, काजू

नारियल

नारियल के पेड़ नारियल (Cocos nucifera, कोकोस् नूकीफ़ेरा) एक बहुवर्षी एवं एकबीजपत्री पौधा है। इसका तना लम्बा तथा शाखा रहित होता है। मुख्य तने के ऊपरी सिरे पर लम्बी पत्तियों का मुकुट होता है। ये वृक्ष समुद्र के किनारे या नमकीन जगह पर पाये जाते हैं। इसके फल हिन्दुओं के धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होता है। बांग्ला में इसे नारिकेल कहते हैं। नारियल के वृक्ष भारत में प्रमुख रूप से केरल, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में खूब उगते हैं। महाराष्ट्र में मुंबई तथा तटीय क्षेत्रों व गोआ में भी इसकी उपज होती है। नारियल एक बेहद उपयोगी फल है। नारियल देर से पचने वाला, मूत्राशय शोधक, ग्राही, पुष्टिकारक, बलवर्धक, रक्तविकार नाशक, दाहशामक तथा वात-पित्त नाशक है। .

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सुपारी

सुपारी के फल सुपारी (areca nut), 'अरेका कटेचु' (Areca catechu) नामक पौधे के फल का बीज है जो दक्षिणी एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया तथा अफ्रीका के अनेक भागों में पैदा होता है। श्रेणी:बीज.

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काजू

काजू काजू का वृक्ष बीज सहित काजू का फल काजू का नया-नया फल वे क्षेत्र जहाँ काजू का उत्पादन होता है। काजू (द्विपद नामकरण: Anacardium occidentale / आनाकार्द्यूम् ओक्सीदेन्ताले) एक प्रकार का पेड़ है जिसका फल सूखे मेवे के लिए बहुत लोकप्रिय है। काजू का आयात निर्यात एक बड़ा व्यापार भी है। काजू से अनेक प्रकार की मिठाईयाँ और मदिरा भी बनाई जाती है। काजू का पेड़ तेजी से बढ़ने वाला उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है। काजू की उत्पत्ति ब्राजील से हुई है। किन्तु आजकल इसकी खेती दुनिया के अधिकांश देशों में की जाती है। सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक बढ़ता है। हालांकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है, जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है। काजू का उपभोग कई तरह से किया जाता है। काजू के छिलके का इस्तेमाल पेंट से लेकर स्नेहक (लुब्रिकेंट्स) तक में होता है। एशियाई देशों में अधिकांश तटीय इलाके काजू उत्पादन के बड़े क्षेत्र हैं। काजू की व्यावसायिक खेती दिनों-दिन लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि काजू सभी अहम कार्यक्रमों या उत्सवों में अल्पाहार या नाश्ता का जरूरी हिस्सा बन गया है। विदेशी बाजारों में भी काजू की बहुत अच्छी मांग है। काजू बहुत तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है और इसमे पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है। बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार (कल्टीवर्स) का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। .

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