कोणीय संवेग और चिरसम्मत यांत्रिकी के बीच समानता
कोणीय संवेग और चिरसम्मत यांत्रिकी आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बलाघूर्ण, सदिश राशि, जड़त्वाघूर्ण, कोणीय संवेग, कोणीय वेग।
बलाघूर्ण
बल F, बलाघूर्ण τ, रेखीय संवेग p, तथा कोणीय संवेग L में संबन्ध; ध्यान दें कि यहाँ घूर्णन एक ही तल में सीमित है। right 'तौलना' वास्तव में दो बलों के आघूर्णों की समानता पर आधारित है। किसी बल द्वारा किसी वस्तु को किसी अक्ष के परितः घुमाने की प्रवृत्ति (tendency) को बलाघूर्ण (Torque, moment या moment of force) कहते हैं। पार्श्व चित्र में बल F का बिन्दु O के सापेक्ष बलाघूर्ण M है तो - जहां r बिन्दु O के सापेक्ष बल F की क्रियारेखा पर स्थित किसी बिन्दु का स्थिति सदिश (position vector) है। मोटे तौर पर बलाघूर्ण का अर्थ किसी वस्तु (बोल्ट या फ्लाईव्हील) पर लगने वाला 'घूर्नन बल' (घुमाने वाला बल) होता है। उदाहरण के लिये जब किसी पाने (रिंच) के हैंडिल को खींचते या धक्का देते हैं तो इससे एक बलाघूर्ण उत्पन्न होता है जो नट या बोल्ट को ढीला करता है या कसता है। .
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सदिश राशि
जिस भौतिक राशि में मात्रा (परिमाण) तथा दिशा दोनो निहित होते हैं उन्हें सदिश राशि कहते है। सदिश राशियों के उदाहरण हैं - वेग, बल, संवेग इत्यादि। जिन राशियों में सिर्फ परिमाण होता है उन्हें अदिश राशि कहते हैं, जैसे - चाल, दूरी, द्रव्यमान, आयतन इत्यादि। सदिश राशियों को अदिश से अलग समझने का कारण यह है कि हम कभी-कभी किसी राशि की दिशा का ज्ञान करना आवश्यक होता है। जैसे कि जमीन पर रखे बक्से पर बल किस दिशा में लग रहा है - कितना लग रहा है यह स्पष्टतटा नहीं बताता कि बक्सा खिसकेगा या नहीं। अगर हम बल उपर से नीचे की ओर लगाएं तो बक्सा कितना भी बल लगाने से नहीं खिसकेगा। पर यदि हम इसको क्षैतिज रूप से लगाएं तो एक नियत मात्रा के बल के बाद यह खिसकने लगेगा। गणित तथा भौतिक विज्ञान में सदिशों के बहुत उपयोग हैं। .
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जड़त्वाघूर्ण
रस्सी पर करतब दिखाने वाला नट रस्सी पर संतुलन बनाये रखने के लिए एक लम्बी लाठी (रॉड) का प्रयोग करता है। इसके कारण लाठी सहित उसका जडत्वाघूर्ण बहुत अधिक हो जाता है और चलते समय उत्पन्न थोड़े-थोड़े असंतुलित बलों को आसानी से संतुलित कर लेता है। किसी पिण्ड की घूर्णन की दर के परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध की माप उस पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण (Moment of inertia) कहलाता है। किसी पिण्ड का जड़त्वाघूर्ण उसके आकार-प्रकार एवं उसके अन्दर द्रव्यमान के वितरण की प्रकृति पर निर्भर करता है। स्थानान्तरण गति में जो कार्य द्रव्यमान का है वही कार्य घूर्णन गति में जड़त्वाघूर्ण का होता है। जड़त्वाघूर्ण के प्रतीक के लिये I या कभी-कभी J का प्रयोग किया जाता है। जड़त्वाघूर्ण की अवधारणा का उल्लेख सबसे पहले यूलर (Euler) ने सन् १७३० में अपनी पुस्तक ' Theoria motus corporum solidorum seu rigidorum ' में किया था। .
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कोणीय संवेग
भौतिक विज्ञान में कोणीय संवेग (Angular momentum), संवेग आघूर्ण (moment of momentum) या घूर्णी संवेग (rotational momentum) किसी वस्तु के द्रव्यमान, आकृति और वेग को ध्यान में रखते हुए इसके घूर्णन का मान का मापन है। यह एक सदिश राशि है जो किसी विशेष अक्ष के सापेक्ष जड़त्वाघूर्ण व कोणीय वेग के गुणा के बराबर होता है। किसी कणों के निकाय (उदाहरणार्थ: दृढ़ पिण्ड) का कोणीय संवेग उस निकाय में उपस्थित सभी कणों के कोणीय संवेग के योग के तुल्य होता है। .
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कोणीय वेग
कोणीय वेग समय के साथ ध्रुवांतर द्वारा घुमे गए कोण की दर को कोणीय वेग कहते हैं। इसका संकेत \omega है। यदि समय \mathbf में ध्रुवोत्तर कोण \mathbf से घूम गया हो, तो- \omega .
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कोणीय संवेग और चिरसम्मत यांत्रिकी के बीच तुलना
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संदर्भ
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