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कैसिनी-होयगेन्स और संयोजन (खगोलशास्त्र)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कैसिनी-होयगेन्स और संयोजन (खगोलशास्त्र) के बीच अंतर

कैसिनी-होयगेन्स vs. संयोजन (खगोलशास्त्र)

छल्लों के आगे कैसिनी शोध यान का काल्पनिक चित्रण कैसिनी-होयगेन्स (Cassini-Huygens) एक अंतरिक्ष यान मिशन है जो सन् २००४ से हमारे सौर मंडल के दूसरे सबसे बड़े ग्रह शनि और उसके प्राकृतिक उपग्रहों का अध्ययन कर रहा है। यह १९९७ में पृथ्वी से रोकेट के ज़रिये छोड़ा गया और इस मिशन में शनि के इर्द-गर्द कक्षा (ऑरबिट) में घूमने वाला एक कृत्रिम उपग्रह और शनि के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन पर उतरना वाला एक यान शामिल थे। टाइटन पर उतरने वाले यान का नाम 'होयगेन्स' था और २००५ में वह मुख्य कैसिनी यान से अलग होकर उस उपग्रह पर उतरा। कैसिनी सन् २०१५ तक शनि की परिक्रमा करके उसकी तस्वीरें लेता रहेगा और उसपर जानकारी एकत्रिक कर के पृथ्वी की ओर प्रसारित करता रहेगा। २०१५ में उसे शनि के भयंकर वायुमंडल में गिराकर ध्वस्त का दिया जाएगा।, Michele Dougherty, Larry Esposito, Springer, 2009, ISBN 978-1-4020-9216-9, David Michael Harland, Springer, 2007, ISBN 978-0-387-26129-4 . संयोजन (Conjuction), तब होता है जब कोई ग्रह पृथ्वी और सूर्य के बीच की सीधी रेखा पर स्थित होता है। संयोजन का खगोलीय प्रतीक ơ है। इसे हस्तलिपी में और यूनिकोड में U+260C लिखते हैं। हालांकि, इस प्रतीक को आधुनिक खगोल विज्ञान में कभी इस्तेमाल नहीं किया गया है, मात्र ऐतिहासिक रुचि भर का है। ग्रहों के औसत कक्षीय वेग, सूर्य से बढ़ती दूरी के साथ घटते जाते है, जो ग्रहों की परस्पर बदलती स्थिति का कारण बनता है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी अपनी कक्षा पर मंगल से ज्यादा तेज चलती है, इसलिए नियमित रूप से मंगल के पास से होकर गुजरती है। इसी तरह से, शुक्र पृथ्वी को पकड़ लेता है और नियमित रूप से उसे पार करता है क्योंकि शुक्र का कक्षीय वेग पृथ्वी की तुलना में ज्यादा है। ग्रहों की पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष स्थिति का परिणाम संयोजन और विमुखता के रूप में होता है। यदि कोई अवर ग्रह (बुध व शुक्र) सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच आ जाये तो स्थिति अवर संयोजन कहलाती है। इन्ही में से कोई एक ग्रह यदि सूर्य के पीछे की तरफ चला जाये तो स्थिति वरिष्ठ संयोजन कहलाती है। वरिष्ठ ग्रहों (मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून) के संयोजन तब होते है जब इनमें से कोई ग्रह पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य के पीछे की तरफ होता है। इसके विपरित, जब वरिष्ठ ग्रह पृथ्वी की तरफ होते है तब संयोजन को विमुखता के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है। वरिष्ठ ग्रहों को संयोजन में नहीं देख सकते क्योंकि तब वें सूर्य के पीछे मौजुद होते हैं। हालांकि, जब वें विमुखता पर होते है उनकी स्पष्टता सर्वोत्तम होती है। ध्यान रहें केवल अवर ग्रहों में ही अवर और वरिष्ठ संयोजन होते हैं। वरिष्ठ ग्रहों में या तो संयोजन होता है या विमुखता होती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वें कहां पर स्थित है, पृथ्वी से देखने पर सूर्य के पीछे की तरफ या सूर्य के इस तरफ जहां पृथ्वी है। जब बुध या शुक्र ग्रह, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरते है, पृथ्वी से देखने पर हो सकता है उनकी छवि काली चकती जैसी नजर आये और सूर्य की मुखाकृति के आरपार खिसकती हुई दिखाई दे, इस तरह की स्थिति पारगमन कहलाती है। पारगमन सभी परिस्थिति में पृथ्वी से नहीं नजर आते, कारण, उनकी कक्षाओं का क्रांतिवृत्त से झुकाव। .

कैसिनी-होयगेन्स और संयोजन (खगोलशास्त्र) के बीच समानता

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संदर्भ

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