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कैयट और पतञ्जलि

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कैयट और पतञ्जलि के बीच अंतर

कैयट vs. पतञ्जलि

कैयट पतंजलि के व्याकरण भाष्य की 'प्रदीप' नामक टीका के रचयिता। देवीशतक के व्याख्याकार कैयट इनसे भिन्न है। उनके पिता का नाम जैयटोपाध्याय था (महामाष्यार्णवाऽवारपारीणंविवृतिप्लवम्। यथागमं विधास्येहं कैयटो जैयटात्मज)। अनुमान है कि वे कश्मीर निवासी थे। पीटर्सन ने कश्मीर की रिपोर्ट में कैयट (और उव्वट) को प्रकाशक ऽर मम्मट का भाई और जैयट का पुत्र कहा है। काव्यप्रकाश की 'सुधासागर' नामक टीका में १८वीं शती के भीमसेन ने भी कैयट और औवट शुक्लयजुर्वेद को सम्मट के भाष्यकार को मम्मट का अनुज और शिष्य बताया है। पर यजुर्वेदभाष्य पुष्पिका में औवट (या उव्वट) के पिता का नाम वज्रट कहा गया है। काश्मीरी ब्राह्मणपंडितों के बीच प्रचलित अनुश्रुति के अनुसार कैयट पामपुर (या येच) गाँव के निवासी थे। महाभाष्यांत पाणिनि व्याकरण को वे कंठस्थ ही पढ़ाया करते थे। आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण उदरपोषण के लिये उन्हें कृषि आदि शरीरश्रम करना पड़ता था। एक बार दक्षिण देश से कश्मीर आए हुए पंडित कृष्ण भट्ट ने कश्मीरराज से मिलकर तथा अन्य प्रयत्नों द्वारा कैयट के लिए एक गाँव का शासन और धनधान्य संग्रह किया और उसे लेकर जब वे उसे समर्पित करने उनके यहाँ पहुँचे तो उन्होने भिक्षा दान ग्रहण करना अस्वीकार कर दिया। वे कश्मीर से पैदल काशी आए और शास्त्रार्थ मे अनेक पंडितों को हराया। वहीं प्रदीप की रचना हुई। इस टीकाग्रंथ के संबंध में उन्होने लिखा है कि उसका आधार भर्तृहरि (वाक्यपदीयकार) की भाष्यटीका है जो अब पूर्णरूप से अप्राप्य है)। प्रदीप में स्थान स्थान पर पतंजलि और भर्तृहरि के स्फोटवाद का अच्छा दार्शनिक विवेचन हुआ है। . पतंजलि योगसूत्र के रचनाकार है जो हिन्दुओं के छः दर्शनों (न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदान्त) में से एक है। भारतीय साहित्य में पतंजलि के लिखे हुए ३ मुख्य ग्रन्थ मिलते हैः योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ। कुछ विद्वानों का मत है कि ये तीनों ग्रन्थ एक ही व्यक्ति ने लिखे; अन्य की धारणा है कि ये विभिन्न व्यक्तियों की कृतियाँ हैं। पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))। इनका काल कोई २०० ई पू माना जाता है। .

कैयट और पतञ्जलि के बीच समानता

कैयट और पतञ्जलि आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): महाभाष्य, काशी

महाभाष्य

पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखी जिसे व्याकरणमहाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))। व्याकरण महाभाष्य में कात्यायन वार्तिक भी सम्मिलित हैं जो पाणिनि के अष्टाध्यायी पर कात्यायन के भाष्य हैं। कात्यायन के वार्तिक कुल लगभग १५०० हैं जो अन्यत्र नहीं मिलते बल्कि केवल व्याकरणमहाभाष्य में पतंजलि द्वारा सन्दर्भ के रूप में ही उपलब्ध हैं। संस्कृत के तीन महान वैयाकरणों में पतंजलि भी हैं। अन्य दो हैं - पाणिनि तथा कात्यायन (१५० ईशा पूर्व)। महाभाष्य में शिक्षा (phonology, including accent), व्याकरण (grammar and morphology) और निरुक्त (etymology) - तीनों की चर्चा हुई है। .

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काशी

काशी जैनों का मुख्य तीर्थ है यहाँ श्री पार्श्वनाथ भगवान का जन्म हुआ एवम श्री समन्तभद्र स्वामी ने अतिशय दिखाया जैसे ही लोगों ने नमस्कार करने को कहा पिंडी फट गई और उसमे से श्री चंद्रप्रभु की प्रतिमा जी निकली जो पिन्डि आज भी फटे शंकर के नाम से प्रसिद्ध है काशी विश्वनाथ मंदिर (१९१५) काशी नगरी वर्तमान वाराणसी शहर में स्थित पौराणिक नगरी है। इसे संसार के सबसे पुरानी नगरों में माना जाता है। भारत की यह जगत्प्रसिद्ध प्राचीन नगरी गंगा के वाम (उत्तर) तट पर उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी कोने में वरुणा और असी नदियों के गंगासंगमों के बीच बसी हुई है। इस स्थान पर गंगा ने प्राय: चार मील का दक्षिण से उत्तर की ओर घुमाव लिया है और इसी घुमाव के ऊपर इस नगरी की स्थिति है। इस नगर का प्राचीन 'वाराणसी' नाम लोकोच्चारण से 'बनारस' हो गया था जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने शासकीय रूप से पूर्ववत् 'वाराणसी' कर दिया है। विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है - 'काशिरित्ते..

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कैयट और पतञ्जलि के बीच तुलना

कैयट 9 संबंध है और पतञ्जलि 19 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 7.14% है = 2 / (9 + 19)।

संदर्भ

यह लेख कैयट और पतञ्जलि के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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