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केश (सिख धर्म) और सिख

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

केश (सिख धर्म) और सिख के बीच अंतर

केश (सिख धर्म) vs. सिख

एक सिख पुरुष, अपने केशों पर दस्तार (पगड़ी) बाँधे हुए एक सिख बालक सिर पर रुमाल बाँधे हुएl केश (अथवा केस) सिख मजहब की एक प्रथा/व्यवहार है यह अवैज्ञानिक है क्योकी इससे लाल रक्त कण की कमी हो सकती है जिससे शरीर ठकावत महसूस करता है जिसेे हीमोग्लोबिन की कमी भी कहते है लेकिन सिख समुदाय इसे शरीर के लिए लाभदायक मानताा है । यह प्रथा पाँच ककार में से एक है, जो सिख वेश हेतु गुरु गोबिन्द सिंह जी ने आवश्यक घोषित किए थे। केशों को दिन में दो बार कंघे (ये भी पाँच क में सम्मिलित) से संवारा जाता है, और इसकी साधारण गाँठ बाँध दी जाती है जिसे जूड़ा या ऋषि केश कहा जाता है। सामान्यतः जूड़े को कंघे की सहायता से स्थिर रखा जाता है और पगड़ी (पंजाबी में: दस्तार) से ढका जाता है। . भारतीय सेना के सिख रेजिमेन्ट के सैनिक सिख धर्म के अनुयायियों को सिख कहते हैं। इसे कभी-कभी सिक्ख भी लिखा जाता है। इनके पहले गुरू गुरु नानक जी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है। इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा में तथा भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में सिखों का बहुत बड़ा योगदान है। .

केश (सिख धर्म) और सिख के बीच समानता

केश (सिख धर्म) और सिख आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): सिख, सिख धर्म

सिख

भारतीय सेना के सिख रेजिमेन्ट के सैनिक सिख धर्म के अनुयायियों को सिख कहते हैं। इसे कभी-कभी सिक्ख भी लिखा जाता है। इनके पहले गुरू गुरु नानक जी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का पवित्र ग्रन्थ है। इनके प्रार्थना स्थल को गुरुद्वारा कहते हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा में तथा भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में सिखों का बहुत बड़ा योगदान है। .

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सिख धर्म

सिख धर्म (सिखमत और सिखी भी कहा जाता है; पंजाबी: ਸਿੱਖੀ) एक एकेश्वरवादी धर्म है। इस धर्म के अनुयायी को सिख कहा जाता है। सिखों का धार्मिक ग्रन्थ श्री आदि ग्रंथ या ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब है। आमतौर पर सिखों के 10 सतगुर माने जाते हैं, लेकिन सिखों के धार्मिक ग्रंथ में 6 गुरुओं सहित 30 भगतों की बानी है, जिन की सामान सिख्याओं को सिख मार्ग पर चलने के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता ह। सिखों के धार्मिक स्थान को गुरुद्वारा कहते हैं। 1469 ईस्वी में पंजाब में जन्मे नानक देव ने गुरमत को खोजा और गुरमत की सिख्याओं को देश देशांतर में खुद जा जा कर फैलाया था। सिख उन्हें अपना पहला गुरु मानते हैं। गुरमत का परचार बाकि 9 गुरुओं ने किया। 10वे गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ये परचार खालसा को सोंपा और ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब की सिख्याओं पर अम्ल करने का उपदेश दिया। संत कबीर, धना, साधना, रामानंद, परमानंद, नामदेव इतियादी, जिन की बानी आदि ग्रंथ में दर्ज है, उन भगतों को भी सिख सत्गुरुओं के सामान मानते हैं और उन कि सिख्याओं पर अमल करने कि कोशिश करते हैं। सिख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है। .

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केश (सिख धर्म) और सिख के बीच तुलना

केश (सिख धर्म) 10 संबंध है और सिख 19 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 6.90% है = 2 / (10 + 19)।

संदर्भ

यह लेख केश (सिख धर्म) और सिख के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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