केलाग-ब्रियाँ समझौता और १९२९
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
केलाग-ब्रियाँ समझौता और १९२९ के बीच अंतर
केलाग-ब्रियाँ समझौता vs. १९२९
केलाग-ब्रियाँ समझौता (Kellogg–Briand Pact) पारस्परिक विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिये किया गया एक अंतरराष्ट्रीय समझौता था जिसपर पेरिस में 27 अगस्त 1928 को 15 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के पूर्व, अंतरराष्ट्रीय विधि में, युद्ध विधानत: ग्राह्य साधन था, जिसके द्वारा राष्ट्र अपने वास्तविक या काल्पनिक अधिकारों की रक्षा करते थे। इस अधिकार को सीमित करने का प्रयास 1899 तथा 1907 की हेग कानफरेंसों तथा सन् 1914 की ब्रायन संधियों द्वारा किया गया था। 1924 में स्वीकृत जिनीवा प्रोटोकल के दूसरे अनुच्छेद में यह किया गया कि उन अवस्थाओं को छोड़कर जो उसमें परिगणित थीं, किसी भी अवस्था में युद्ध का आश्रय न लिया जाए। सितंबर 1927 में लीग ऑव नेशंस की सभा ने अपनी आठवीं बैठक में पोलैंड का यह प्रस्ताव स्वीकार किया कि: (1) सभी अभिधावनात्मक युद्धों (आल वार ऑव ऐग्रेशन) का निषेध होना चाहिए। (2) हर प्रकार के विवाद, जो देशों के बीच उत्पन्न हों, शांतिपूर्ण उपायों से हल किए जाएँ। फरवरी, सन् 1928 में छठी पैन-अमरीकन कानफरेंस ने एक प्रस्ताव करते हुए घोषित किया कि प्रथमाक्रमण मनुष्य मात्र के प्रति एक अपराध है, प्रत्येक प्रथमाक्रमण प्रतिषिद्ध और इस कारण निषिद्ध है। इन्हीं विचारों तथा प्रयत्नों को केलाग-ब्रियाँ समझौते का रूप प्रदान किया गया। प्रोफेसर शाटवेल के सुझाव पर फ्रांस के विदेश- सचिव ब्रियाँ ने अमरीका के सचिव केलाग के बीच इस संबंध में पत्राचार आरंभ किया और इस पत्राचार के फलस्वरूप यह संधिपत्र स्वीकार किया गया। इस कारण इसे केलाग-ब्रियाँ अथवा पेरिस समझौता (पैक्ट) कहते हैं। इस समझौते में एक प्राक्कथन तथा दो मुख्य अनुच्छेद हैं। इसमें यह घोषणा की गई है- (1) उच्च संविदित पक्ष (हाई कांट्रैक्टिंग पार्टीज), अपने अपने देशवासियों की ओर से गंभीरतापूर्वक घोषित करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में, युद्ध का आश्रय लेना तिरस्कृत समझते हैं और एक दूसरे से संबंधित विषयों में राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में उसका परित्याग करते हैं। (2) उच्च संविदित पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सारे झगड़े अथवा विवादों का समाधान, चाहे वे किसी भी प्रकार के हों या किसी भी कारण से उत्पन्न हुए हों, जो उनके बीच उठें, केवल शांतिपूर्ण रीतियों से ही सुलझाए जाएँ। इस प्रकार कहा जाता है कि यह समझौता युद्ध का त्याग करने की एक सार्वजनिक संधि है। कालांतर में यह संधि केवल मौखिक घोषणा मात्र बन कर रह गई। इसपर हस्ताक्षर करनेवाले देशों ने शीघ्र इसका उल्लंघन किया। 1929 ई. में रूस ने चीन के विरुद्ध, 1931-32 में जापान ने मंचूरिया के विरुद्ध और 1931 में पेरू ने कोलंबिया के विरुद्ध बड़े पैमाने पर बल-प्रयोग किया, यद्यपि उन्होंने युद्ध की विधिवत घोषणा नहीं की। सन् 1935 में इटली ने अबीसीनिया के विरुद्ध, 1937 में जापान ने चीन के विरुद्ध और 1939 में रूस ने फिनलैंड के विरुद्ध स्पष्ट रूप से युद्ध की घोषणा की। इस प्रकार, यद्यपि इस समझौते का व्यतिक्रमण शीघ्र ही होना आरंभ हो गया फिर भी इससे यह नहीं कहा जा सकता कि उसका विधिक महत्व घट गया। एक स्थायी समझौता होने के नाते तथा अंतरराष्ट्रीय समाज के विधिक ढाँचे में एक मूलभूत परिवर्तन उत्पन्न करने के कारण अंतरराष्ट्रीय विधि व्यवस्था में वह अपना महत्वपूर्ण स्थान तो रखता ही है। . 1929 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
केलाग-ब्रियाँ समझौता और १९२९ के बीच समानता
केलाग-ब्रियाँ समझौता और १९२९ आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): चीन।
---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पूर्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .
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केलाग-ब्रियाँ समझौता और १९२९ के बीच तुलना
केलाग-ब्रियाँ समझौता 8 संबंध है और १९२९ 34 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.38% है = 1 / (8 + 34)।
संदर्भ
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