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के पी सक्सेना और स्वदेश (2004 फ़िल्म)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

के पी सक्सेना और स्वदेश (2004 फ़िल्म) के बीच अंतर

के पी सक्सेना vs. स्वदेश (2004 फ़िल्म)

के पी सक्सेना (जन्म: 1934 बरेली- मृत्यु: 31 अक्टूबर 2013 लखनऊ) भारत के एक हिन्दी व्यंग्य और फिल्म पटकथा लेखक थे। साहित्य जगत में उन्हें केपी के नाम से अधिक लोग जानते थे। उनकी गिनती वर्तमान समय के प्रमुख व्यंग्यकारों में होती है। हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के बाद वे हिन्दी में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले व्यंग्यकार थे। उन्होंने लखनऊ के मध्यवर्गीय जीवन को लेकर अपनी रचनायें लिखीं। उनके लेखन की शुरुआत उर्दू में उपन्यास लेखन के साथ हुई थी लेकिन बाद में अपने गुरु अमृत लाल नागर की सलाह से हिन्दी व्यंग्य के क्षेत्र में आ गये। उनकी लोकप्रियता इस बात से ही आँकी जा सकती है कि आज उनकी लगभग पन्द्रह हजार प्रकाशित फुटकर व्यंग्य रचनायें हैं जो स्वयं में एक कीर्तिमान है। उनकी पाँच से अधिक फुटकर व्यंग्य की पुस्तकों के अलावा कुछ व्यंग्य उपन्यास भी छप चुके हैं। भारतीय रेलवे में नौकरी करने के अलावा हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं के लिये व्यंग्य लिखा करते थे। उन्होंने हिन्दी फिल्म लगान, हलचल और स्वदेश की पटकथायें भी लिखी थी। उन्हें 2000 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे कैंसर से पीड़ित थे। उनका निधन 31 अक्टूबर 2013 को लखनऊ में हुआ। . स्वदेश 2004 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। .

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संदर्भ

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