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कृष्णप्रसाद भट्टराई और भारतीय संसद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कृष्णप्रसाद भट्टराई और भारतीय संसद के बीच अंतर

कृष्णप्रसाद भट्टराई vs. भारतीय संसद

सन २०१० में अस्पताल से घर लौटते समय '''कृष्णप्रसाद भट्टराई''' कृष्णप्रसाद भट्टराई का मृत शरीर कृष्ण प्रसाद भट्टराई (13 दिसम्बर, 1924 – 4 मार्च, 2011) नेपाल के वरिष्ठ प्रजातन्त्रवादी नेता थे। ये नेपाल के पहले संसद के पहले सभामुख तथा बहुदलीय व्यवस्था की पुनर्स्थापना के बाद के के पहले प्रधानमन्त्री थे। वि॰सं॰ २००३ में नेपाली कांग्रेस गठन गर्दा देखि नै राजनीतिमा संलग्न हुए भट्टराई २००७ सालको सशस्त्र क्रान्तिमा जनकपुर―उदयपुर कब्जा गर्ने मुक्ति सेनाको कमाण्डरके रूपमे काम किये थे। ये वि॰सं॰ २०१५ सालमे संसदके छोटे सदनके प्रतिनिधि सभाके सभामुख हुए थे। कृष्णप्रसाद भट्टराईका जन्म पिता संकटाप्रसाद और माता ललितादेवीके छोटे लडकेके रूपमे वि॰सं॰ १९८१ पौष कृष्ण द्वादशीके दिन भारत में बनारसमे हुआ था। गोर्खा दरबारमे पुरोहित यज्ञेश्वर भट्टराईके बेटे पति भट्टराई पृथ्वीनारायण शाहके साथ काठमाडौं आकर दरबारमे हि पुरोहित बनके बैठे रहे। यिनके सन्तति परम्परामे क्रमशः विष्णुहरि, कृष्णलाल, मेदिनीधर, कमलकान्त, विश्वनाथ होते हुये पिछले पुस्तेमे संकटाप्रसाद हुये। संकटाप्रसादके चार भाइ लडके― बटुकप्रसाद, नारायणप्रसाद, गोपालप्रसाद और कृष्णप्रसाद थे। ये चार मध्येके छोटे बेटे कृष्णप्रसाद भट्टराई थे। भट्टराई वि॰सं॰ २०४६ के जनआन्दोलन के बाद गठित अन्तरिम मन्त्रीपरिषदमा पहलि बार प्रधानमन्त्री बने थे। नेपाल अधिराज्यका संविधान २०४७ (१९२४-२०११) निर्माण कर लागू करवाने और बहुदलीय प्रतिस्पर्धाके आधारमे संसदीय चुनाव करानेके महत्त्वपूर्ण दायित्त्व ये सफलता पूर्वक बहन कर रहे थे। पर जब वे प्रधानमन्त्री थे और यिनके नेत्रित्व में २०४८ के आम निर्वाचनमे ये खुद काठमाण्डौंसे पराजित हुये थे। उसके वाद जब ये २०५६ के आम निर्वाचनमे विजयी हुये तब ये पुनः प्रधानमन्त्री बने थे। भट्टराईको गान्धीवादी सन्त नेता माना जाता था और ये दृढ अठोट और संकल्पके धनी व्यक्तित्व माना जाता था। ये स्पष्टवक्ता और सिद्धान्तनिष्ठ नेताके रूपमे भी जाना जाता है। हरदम मुस्कुराते रहने वाले भट्टराईका सेन्स अफ ह्युमर उच्च रहता था। गम्भीर समस्याओको हल्के रूपमे लेकर पचानेके क्षमता यिनमे रहता था। पदमे बैठते समय व्यक्तिगत लाभमे नापडनेके कारण यिनको स्वच्छ छवि वाले नेताके रूपमे लिया जाता है। . संसद भवन संसद (पार्लियामेंट) भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। यह द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा (लोगों का सदन) एवं राज्यसभा (राज्यों की परिषद) होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन 'संसद भवन' में होता है। जो कि नई दिल्ली में स्थित है। लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या ५५२ है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें सदस्य संख्या २५० है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन / मनोनयन ६ वर्ष के लिए होता है। जिसके १/३ सदस्य प्रत्येक २ वर्ष में सेवानिवृत्त होते है। .

कृष्णप्रसाद भट्टराई और भारतीय संसद के बीच समानता

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संदर्भ

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