कृष्ण और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर के बीच समानता
कृष्ण और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर आम में 9 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्रेम मन्दिर, भारत, भागवत पुराण, मथुरा, लंदन, होली, वृन्दावन, अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ।
प्रेम मन्दिर
प्रेम मंदिर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के समीप वृंदावन में स्थित है। इसका निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर के रूप में करवाया गया है।, भास्कर डॉट कॉम, अभिगमन तिथि: ०२.०३.२०१२ प्रेम मन्दिर का लोकार्पण १७ फरवरी को किया गया था। इस मन्दिर के निर्माण में ११ वर्ष का समय और लगभग १०० करोड़ रुपए की धन राशि लगी है। इसमें इटैलियन करारा संगमरमर का प्रयोग किया गया है और इसे राजस्थान और उत्तरप्रदेश के एक हजार शिल्पकारों ने तैयार किया है। इस मन्दिर का शिलान्यास १४ जनवरी २००१ को कृपालुजी महाराज द्वारा किया गया था।, वेबदुनिया, अभिगमन तिथि: ०३-०३-२०१२ ग्यारह वर्ष के बाद तैयार हुआ यह भव्य प्रेम मन्दिर सफेद इटालियन करारा संगमरमर से तराशा गया है। मन्दिर दिल्ली – आगरा – कोलकाता के राष्ट्रीय राजमार्ग २ पर छटीकरा से लगभग ३ किलोमीटर दूर वृंदावन की ओर भक्तिवेदान्त स्वामी मार्ग पर स्थित है। यह मन्दिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला के पुनर्जागरण का एक नमूना है। .
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भारत
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
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भागवत पुराण
सन १५०० में लिखित एक भागवत पुराण मे यशोदा कृष्ण को स्नान कराते हुए भागवत पुराण (Bhaagwat Puraana) हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवतम् (Shrimadbhaagwatam) या केवल भागवतम् (Bhaagwatam) भी कहते हैं। इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। परंपरागत तौर पर इस पुराण का रचयिता वेद व्यास को माना जाता है। श्रीमद्भागवत भारतीय वाङ्मय का मुकुटमणि है। भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया भक्तिमार्ग तो मानो सोपान ही है। इसके प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। .
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मथुरा
मथुरा उत्तरप्रदेश प्रान्त का एक जिला है। मथुरा एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। लंबे समय से मथुरा प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म,दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, कवि रसखान आदि महान आत्माओं से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है। मथुरा को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है। .
कृष्ण और मथुरा · मथुरा और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर ·
लंदन
लंदन (London) संयुक्त राजशाही और इंग्लैंड की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। ग्रेट ब्रिटेन द्वीप के दक्षिण पूर्व में थेम्स नदी के किनारे स्थित, लंदन पिछली दो सदियों से एक बड़ा व्यवस्थापन रहा है। लंदन राजनीति, शिक्षा, मनोरंजन, मीडिया, फ़ैशन और शिल्पी के क्षेत्र में वैश्विक शहर की स्थिति रखता है। इसे रोमनों ने लोंड़िनियम के नाम से बसाया था। लंदन का प्राचीन अंदरुनी केंद्र, लंदन शहर, का परिक्षेत्र 1.12 वर्ग मीटर (2.9 किमी2) है। 19वीं शताब्दी के बाद से "लंदन", इस अंदरुनी केंद्र के आसपास के क्षेत्रों को मिला कर एक महानगर के रूप में संदर्भित किया जाने लगा, जिनमें मिडलसेक्स, एसेक्स, सरे, केंट, और हर्टफोर्डशायर आदि शमिल है। जिसे आज ग्रेटर लंदन नाम से जानते है, एवं लंदन महापौर और लंदन विधानसभा द्वारा शासित किया जाता हैं। कला, वाणिज्य, शिक्षा, मनोरंजन, फैशन, वित्त, स्वास्थ्य देखभाल, मीडिया, पेशेवर सेवाओं, अनुसंधान और विकास, पर्यटन और परिवहन में लंदन एक प्रमुख वैश्विक शहर है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र के रूप में ताज पहनाया गया है और दुनिया में पांचवां या छठा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र जीडीपी है। लंदन एक है विश्व सांस्कृतिक राजधानी। यह दुनिया का सबसे अधिक का दौरा किया जाने वाला शहर है, जो अंतरराष्ट्रीय आगमन द्वारा मापा जाता है और यात्री ट्रैफिक द्वारा मापा जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा शहर हवाई अड्डा है। लंदन विश्व के अग्रणी निवेश गंतव्य है, किसी भी अन्य शहर की तुलना में अधिक अंतरराष्ट्रीय खुदरा विक्रेताओं और अल्ट्रा हाई-नेट-वर्थ वाले लोगों की मेजबानी यूरोप में लंदन के विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा संस्थानों का सबसे बड़ा केंद्र बनते हैं। 2012 में, लंदन तीन बार आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन गया। लंदन में लोगों और संस्कृतियों की विविधता है, और इस क्षेत्र में 300 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। इसकी 2015 कि अनुमानित नगरपालिका जनसंख्या (ग्रेटर लंदन के समरूपी) 8,673,713 थी, जो कि यूरोपीय संघ के किसी भी शहर से सबसे बड़ा, और संयुक्त राजशाही की आबादी का 12.5% हिस्सा है। 2011 की जनगणना के अनुसार 9,787,426 की आबादी के साथ, लंदन का शहरी क्षेत्र, पेरिस के बाद यूरोपीय संघ में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला है। शहर का महानगरीय क्षेत्र यूरोपीय संघ में 13,879,757 जनसंख्या के साथ सबसे अधिक आबादी वाला है, जबकि ग्रेटर लंदन प्राधिकरण के अनुसार शहरी-क्षेत्र की आबादी के रूप में 22.7 मिलियन है। 1831 से 1925 तक लंदन विश्व के सबसे अधिक आबादी वाला शहर था। लंदन में चार विश्व धरोहर स्थल हैं: टॉवर ऑफ़ लंदन; किऊ गार्डन; वेस्टमिंस्टर पैलेस, वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी और सेंट मार्गरेट्स चर्च क्षेत्र; और ग्रीनविच ग्रीनविच वेधशाला (जिसमें रॉयल वेधशाला, ग्रीनविच प्राइम मेरिडियन, 0 डिग्री रेखांकित, और जीएमटी को चिह्नित करता है)। अन्य प्रसिद्ध स्थलों में बकिंघम पैलेस, लंदन आई, पिकैडिली सर्कस, सेंट पॉल कैथेड्रल, टावर ब्रिज, ट्राफलगर स्क्वायर, और द शर्ड आदि शामिल हैं। लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय, नेशनल गैलरी, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, टेट मॉडर्न, ब्रिटिश पुस्तकालय और वेस्ट एंड थिएटर सहित कई संग्रहालयों, दीर्घाओं, पुस्तकालयों, खेल आयोजनों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का घर है। लंदन अंडरग्राउंड, दुनिया का सबसे पुराना भूमिगत रेलवे नेटवर्क है। .
कृष्ण और लंदन · लंदन और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर ·
होली
होली (Holi) वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह प्रमुखता से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। यह त्यौहार कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं। राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्यौहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोया) और मैदा से बनती है और मेवाओं से युक्त होती है इस दिन कांजी के बड़े खाने व खिलाने का भी रिवाज है। नए कपड़े पहन कर होली की शाम को लोग एक दूसरे के घर होली मिलने जाते है जहाँ उनका स्वागत गुझिया,नमकीन व ठंडाई से किया जाता है। होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है। .
कृष्ण और होली · वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर और होली ·
वृन्दावन
कृष्ण बलराम मन्दिर इस्कॉन वृन्दावन वृन्दावन मथुरा क्षेत्र में एक स्थान है जो भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिर की विशाल संख्या है। यहाँ स्थित बांके विहारी जी का मंदिर सबसे प्राचीन है। इसके अतिरिक्त यहाँ श्री कृष्ण बलराम, इस्कान मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, अक्षय पात्र, निधि वन आदिदर्शनीय स्थान है। यह कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार गोकुल से कंस के अत्याचार से बचने के लिए नंदजी कुटुंबियों और सजातीयों के साथ वृन्दावन निवास के लिए आये थे। विष्णु पुराण में इसी प्रसंग का उल्लेख है। विष्णुपुराण में अन्यत्र वृन्दावन में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन भी है। .
कृष्ण और वृन्दावन · वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर और वृन्दावन ·
अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद
अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (1 सितम्बर 1896 – 14 नवम्बर 1977) जिन्हें स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद के नाम से भी जाना जाता है, बीसवीं सदी के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। उन्होंने वेदान्त, कृष्ण-भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर शुद्ध कृष्ण भक्ति के प्रवर्तक श्री ब्रह्म-मध्व-गौड़ीय संप्रदाय के पूर्वाचार्यों की टीकाओं के प्रचार प्रसार और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत में पहुँचाने का काम किया। ये भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे जिन्होंने इनको अंग्रेज़ी भाषा के माध्यम से वैदिक ज्ञान के प्रसार के लिए प्रेरित और उत्साहित किया। इन्होने इस्कॉन (ISKCON) की स्थापना की और कई वैष्णव धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन और संपादन स्वयं किया। इनका पूर्वाश्रम नाम "अभयचरण डे" था और ये कलकत्ता में जन्मे थे। सन् १९२२ में कलकत्ता में अपने गुरुदेव श्री भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर से मिलने के बाद उन्होंने श्रीमद्भग्वद्गीता पर एक टिप्पणी लिखी, गौड़ीय मठ के कार्य में सहयोग दिया तथा १९४४ में बिना किसी की सहायता के एक अंगरेजी आरंभ की जिसके संपादन, टंकण और परिशोधन (यानि प्रूफ रीडिंग) का काम स्वयं किया। निःशुल्क प्रतियाँ बेचकर भी इसके प्रकाशन क जारी रखा। सन् १९४७ में गौड़ीय वैष्णव समाज ने इन्हें भक्तिवेदान्त की उपाधि से सम्मानित किया, क्योंकि इन्होने सहज भक्ति के द्वारा वेदान्त को सरलता से हृदयंगम करने का एक परंपरागत मार्ग पुनः प्रतिस्थापित किया, जो भुलाया जा चुका था। सन् १९५९ में सन्यास ग्रहण के बाद उन्होंने वृंदावन में श्रीमदभागवतपुराण का अनेक खंडों में अंग्रेजी में अनुवाद किया। आरंभिक तीन खंड प्रकाशित करने के बाद सन् १९६५ में अपने गुरुदेव के अनुष्ठान को संपन्न करने वे ७० वर्ष की आयु में बिना धन या किसी सहायता के अमेरिका जाने के लिए निकले जहाँ सन् १९६६ में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) की स्थापना की। सन् १९६८ में प्रयोग के तौर पर वर्जीनिया (अमेरिका) की पहाड़ियों में नव-वृन्दावन की स्थापना की। दो हज़ार एकड़ के इस समृद्ध कृषि क्षेत्र से प्रभावित होकर उनके शिष्यों ने अन्य जगहों पर भी ऐसे समुदायों की स्थापना की। १९७२ में टेक्सस के डैलस में गुरुकुल की स्थापना कर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की वैदिक प्रणाली का सूत्रपात किया। सन १९६६ से १९७७ तक उन्होंने विश्वभर का १४ बार भ्रमण किया तथा अनेक विद्वानों से कृष्णभक्ति के विषय में वार्तालाप करके उन्हें यह समझाया की कैसे कृष्णभावना ही जीव की वास्तविक भावना है। उन्होंने विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक पुस्तकों की प्रकाशन संस्था- भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट- की स्थापना भी की। कृष्णभावना के वैज्ञानिक आधार को स्थापित करने के लिए उन्होंने भक्तिवेदांत इंस्टिट्यूट की भी स्थापना की। .
अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद और कृष्ण · अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर ·
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन(International Society for Krishna Consciousness - ISKCON; उच्चारण: इंटर्नैशनल् सोसाईटी फ़ॉर क्रिश्ना कॉनशियस्नेस् -इस्कॉन), को "हरे कृष्ण आन्दोलन" के नाम से भी जाना जाता है। इसे १९६६ में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने प्रारंभ किया था। देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय है। .
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ और कृष्ण · अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर ·
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या कृष्ण और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर लगती में
- यह आम कृष्ण और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर में है क्या
- कृष्ण और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर के बीच समानता
कृष्ण और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर के बीच तुलना
कृष्ण 120 संबंध है और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर 26 है। वे आम 9 में है, समानता सूचकांक 6.16% है = 9 / (120 + 26)।
संदर्भ
यह लेख कृष्ण और वृंदावन चन्द्रोदय मंदिर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: