कुस्तुन्तुनिया का पतन और बायज़ीद द्वितीय के बीच समानता
कुस्तुन्तुनिया का पतन और बायज़ीद द्वितीय आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): महमद द्वितीय, उस्मानी साम्राज्य।
महमद द्वितीय
महमद द्वितीय फ़ातिह (محمد ثانى،; II.; उर्फ़ ، الفاتح) 1444 से 1446 और 1451 से 1481 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुलतान रहे। उन्होंने क़रीब 21 साल की उम्र में क़ुस्तुंतुनिया पर फ़तह करके बाज़न्तीनी साम्राज्य को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया था। इस विशाल फ़तह के बाद उन्होंने "क़ैसर" (रोम के शासक) का ख़िताब प्राप्त किया। कई लोग मानते हैं कि सुलतान महमद द्वितीय ने ईसाई जगत के इस महत्वपूर्ण केंद्र और बाज़न्तीनी साम्राज्य के इस महानतम क़िले पर क़ब्ज़ा करके पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद की इच्छा को पूरा कर दिखाया। कुछ हदीसों के अनुसार पैग़म्बर मुहम्मद ने अपनी ज़िंदगी में क़ुस्तुंतुनिया फ़तह की इच्छा का अभिव्यक्तिकरण करते हुए कहा कि उस के फ़ातिहों को जन्नत जाने का आशीर्वाद प्राप्त होंगे। क़ुस्तुंतुनिया पर क़ब्ज़ा करके सुलतान महमद ने इस्लाम की नामवर हस्तियों में एक प्रतिष्ठित शख़्सियत की हैसियत प्राप्त कर ली। महमद फ़ातिह ने एंज़, गलाता और कैफ़े के इलाक़ों को उस्मानिया साम्राज्य में सम्मिलित किया था जबकि बलग़राद की घेराबन्दी के दौरान वे बहुत ज़ख़्मी हुए। 1458 में उन्होंने पेलोपोनीज़ का अधिकतर हिस्सा और एक साल बाद सर्बिया पर क़ब्ज़ा कर लिया। 1461 में मास्रा और असफ़ंडर उस्मानिया साम्राज्य में सम्मिलित हुए। इसके साथ-साथ उन्होंने यूनानी तराबज़ोन साम्राज्य को ख़त्म कर दिया और 1462 में उन्होंने रोमानिया, याइची और मदीली को भी अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया। .
कुस्तुन्तुनिया का पतन और महमद द्वितीय · बायज़ीद द्वितीय और महमद द्वितीय ·
उस्मानी साम्राज्य
उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था। अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था। .
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संदर्भ
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