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कुलीनवर्ग और नाटक

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कुलीनवर्ग और नाटक के बीच अंतर

कुलीनवर्ग vs. नाटक

सन् १७५०-१७६० काल के चित्र में जोधपुर के दरबार में राठौड़ कुलीनवर्गी पुरुष कुलीनवर्ग (Nobility) उस सामाजिक वर्ग को कहा जाता है जिसके सदस्यों को समाज के अन्य वर्गों की तुलना में अधिक प्रतिष्ठा, मान्यता और अधिकार दिए जाएँ। आम तौर पर इस वर्ग में सदस्यता किसी देश या समाज के शासकों द्वारा दी जाती है और अक्सर इसके सदस्यों को उनका दर्जा दर्शाने वाली उपाधियाँ भी मिलती हैं, जैसे कि 'राजा', 'ड्यूक', 'कुँवर', 'राजकुमारी', 'ख़ातून', इत्यादि। अधिकतर समाजों में कुलीनवर्ग के सदस्य कुलीनवर्गी परिवार में जन्म लेने के आधार पर स्वयं भी कुलीनवर्गी हो जाते हैं। कुलीनवर्ग के भीतर और भी श्रेणीकरण होता है, जिसमें कुछ उपवर्ग ऊँचे और कुछ नीचे के माने जाते हैं, हालांकि पूरा कुलीनवर्ग ही सभी अन्य वर्गों से ऊँचा होता है। कुलीनवर्ग का सर्वोच्च स्थान शासक का होता है, जैसे कि सम्राट, महारानी, वग़ैराह। भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और श्रीलंका जैसे आधुनिक गणतंत्रों में आमतौर पर कोई सरकारी-मान्य कुलीनवर्ग नहीं होता, लेकिन संयुक्त राजशाही और सउदी अरब जैसी आधुनिक राजशाहियों में यह आज भी मिलते हैं।, Friedrich Julius Stahl, pp. नाटक, काव्य का एक रूप है। जो रचना श्रवण द्वारा ही नहीं अपितु दृष्टि द्वारा भी दर्शकों के हृदय में रसानुभूति कराती है उसे नाटक या दृश्य-काव्य कहते हैं। नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। .

कुलीनवर्ग और नाटक के बीच समानता

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कुलीनवर्ग और नाटक के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख कुलीनवर्ग और नाटक के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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