लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
इंस्टॉल करें
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

कुम्भकर्ण और पुलस्त्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कुम्भकर्ण और पुलस्त्य के बीच अंतर

कुम्भकर्ण vs. पुलस्त्य

युद्ध मे कुम्भकर्ण कुम्भकर्ण रामायण के एक प्रमुख पात्र का नाम है। वह ऋषि व्रिश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र तथा लंका के राजा रावण का छोटा भाई था। कुम्भ अर्थात घड़ा और कर्ण अर्थात कान, बचपन से ही बड़े कान होने के कारण इसका नाम कुम्भकर्ण रखा गया था। यह विभीषण और शूर्पनखा का बड़ा भाई था। बचपन से ही इसके अंदर बहुत बल था, इतना की एक बार में यह जितना भोजन करता था उतना कई नगरों के प्राणी मिलकर भी नहीं कर सकते थे। जब इनके पिता ने तीनों भाईयों को तपस्या करने के लिए कहा और भगवान ब्रह्मा जी ने इन्हें दर्शन दिए तो देवताओं ने माता सरस्वती से प्रार्थना की जब कुम्भकर्ण वरदान मांगे तो वे उसकी जिव्हा पर बैठ जाएँ। परिणाम स्वरूप जब कुम्भकर्ण इंद्रासन मांगने लगा तो उसके मुख से इंद्रासन की जगह निंद्रासन (सोते रहने का वरदान)निकला जिसे ब्रह्मा जी ने पूरा कर दिया परंतु बाद में जब कुम्भकर्ण को इसका पश्चाताप हुआ तो ब्रह्मा जी ने इसकी अवधि घटा कर एक दिन कर दिया जिसके कारण यह छः महीने तक सोता रहता फिर एक दिन के लिए उठता और फिर छः महीने के लिए सो जाता,परंतु ब्रह्मा जी ने इसे सचेत किया कि यदि कोई इसे बलपूर्वक उठाएगा तो वही दिन कुम्भकर्ण का अंतिम दिन होगा। श्रेणी:रावण श्रेणी:रामायण के पात्र. पुलस्त्य या पुलस्ति (सिंहली: පුලස්ති/पुलस्ति, थाई: ท้าวจตุรพักตร์) हिन्दू पौराणिक कथाओं के एक पात्र हैं। ये कथाएँ इन्हें ब्रह्मा के दस मानस पुत्रों में से एक बताती हैं। ये इन्हें प्रथम मन्वन्तर के सात सप्तर्षियों में से एक भी बताती हैं। विष्णुपुराण के अनुसार ये ऋषि उन लोगों में से एक हैं जिनके माध्यम से कुछ पुराण आदि मानवजाति को प्राप्त हुए। इसके अनुसार इन्होंने ब्रह्मा से विष्णु पुराण सुना था और उसे पराशर ऋषि को सुनाया, और इस तरह ये पुराण मानव जाति को प्राप्त हुआ। ये आदिपुराण का मनुष्यों में प्रचार करने का श्रेय भी इन्हें देता है। हिन्दू धर्म ग्रंथ पुलस्त्य के वंश के बारे में ये कहते हैं (यह सारांश है): पुलस्त्य ऋषि के पुत्र हुए विश्रवा, कालान्तर में जिनके वंश में कुबेर एवं रावण आदि ने जन्म लिया तथा राक्षस जाति को आगे बढ़ाया। पुलस्त्य ऋषि का विवाह कर्दम ऋषि की नौ कन्याओं में से एक से हुआ जिनका नाम हविर्भू था। उनसे ऋषि के दो पुत्र उत्पन्न हुए -- महर्षि अगस्त्य एवं विश्रवा। विश्रवा की दो पत्नियाँ थीं - एक थी राक्षस सुमाली एवं राक्षसी ताड़का की पुत्री कैकसी, जिससे रावण, कुम्भकर्ण तथा विभीषण उत्पन्न हुए, तथा दूसरी थी इलाविडा- जिसके कुबेर उत्पन्न हुए। इलाविडा चक्रवर्ती सम्राट तृणबिन्दु की अलामबुशा नामक अपसरा से उत्पन्न पुत्री थी। ये वैवस्वत मनु श्राद्धदेव के वंशावली की कड़ी थे। इन्होंने अपने एक यज्ञ में केवल स्वर्ण पात्रों का ही उपयोग किया था एवं ब्रह्मा को इतना दान दिया कि वे उसे ले जा भी न पाये और काफ़ी कुछ वहीं छोड़ गये। उसी बचे हुए स्वर्ण से, जो कालान्तर में युधिष्ठिर को मिला, उन्होंने भी यज्ञ किया। तृणबिन्दु मारुत की वंशावली में आते थे। तुलसीदास ने रावण के संबंध में उल्लेख करते हुए लिखा है-: उत्तम कुल पुलस्त्य कर गाती। विश्रवा के दो पत्नियाँ थीं, बड़ी से कुबेर हुए और छोटी से रावण तथा उसके दो भाई। .

कुम्भकर्ण और पुलस्त्य के बीच समानता

कुम्भकर्ण और पुलस्त्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): रावण

रावण

त्रिंकोमली के कोणेश्वरम मन्दिर में रावण की प्रतिमा रावण रामायण का एक प्रमुख प्रतिचरित्र है। रावण लंका का राजा था। वह अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिसके कारण उसका नाम दशानन (दश .

कुम्भकर्ण और रावण · पुलस्त्य और रावण · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कुम्भकर्ण और पुलस्त्य के बीच तुलना

कुम्भकर्ण 1 संबंध नहीं है और पुलस्त्य 22 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.35% है = 1 / (1 + 22)।

संदर्भ

यह लेख कुम्भकर्ण और पुलस्त्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »