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कुमाऊँ हिमालय

सूची कुमाऊँ हिमालय

कुमाऊँ हिमालय, हिमालय पर्वत श्रंखला के चार क्षैतिज विभाजनों में से एक है। सतलुज नदी से काली नदी के बीच फैली लगभग ३२० किलोमीटर लम्बी हिमालय श्रंखला को ही कुमाऊँ हिमालय कहा जाता है। उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश में स्थित इस पर्वत श्रंखला के पूर्व में नेपाल हिमालय तथा पश्चिम में कश्मीर हिमालय स्थित हैं। कुमाऊँ हिमालय चारों विभाजनों में सबसे छोटा है। यह अपनी झीलों तथा प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। नन्दा देवी, कामेत, त्रिशूल, केदारनाथ, बद्रीनाथ, दूनागिरी तथा गंगोत्री इत्यादि कुमाऊँ हिमालय की प्रमुख पर्वत चोटियाॅं हैं। गंगा, यमुना तथा रामगंगा नदियों का उद्गम कुमांऊँ हिमालय में ही होता है। नैनीताल, भीमताल, नौकुचियाताल तथा सात ताल इत्यादि यहाँ की प्रसिद्ध झीलें हैं। यहाँ कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी स्थित हैं, जिनमें चार धाम, पंच प्रयाग तथा पंच केदार प्रमुख हैं। .

24 संबंधों: त्रिशूल, दूनागिरी, नन्दा देवी पर्वत, नौकुचियाताल, नैनीताल, नेपाल हिमालय, पंच प्रयाग, पंच केदार, बद्रीनाथ मन्दिर, भीमताल (बहुविकल्पी), यमुना नदी, रामगंगा नदी, सतलुज नदी, सात ताल, नैनीताल, हिमाचल प्रदेश, हिमालय, गंगा नदी, कश्मीर हिमालय, कामेट पर्वत, काली नदी, उत्तराखण्ड, केदारनाथ कस्बा, असम हिमालय, उत्तराखण्ड, छोटा चार धाम

त्रिशूल

त्रिशूल के कई अर्थ हो सकते हैं.

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दूनागिरी

दूनागिरी भूमंडल में दक्षिण एशिया स्थित भारतवर्ष के उत्तराखण्ड प्रदेश के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में एक पौराणिक पर्वत शिखर का नाम है। द्रोण, द्रोणगिरी, द्रोण-पर्वत, द्रोणागिरी, द्रोणांचल, तथा द्रोणांचल-पर्वत इसी पर्वत के पर्यायवाची शब्द हैं। कालान्तर के उपरांत द्रोण का अपभ्रंश होते-होते वर्तमान में इस पर्वत को कुमांऊँनी बोली के समरूप अथवा अनुसार दूनागिरी नाम से पुकारा जाने लगा है। यथार्थत: यह पौराणिक उल्लिखित द्रोण है। .

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नन्दा देवी पर्वत

नन्दा देवी पर्वत भारत की दूसरी एवं विश्व की २३वीं सर्वोच्च चोटी है।। हिन्दुस्तान लाइव। १४ अक्टूबर २००९ इससे ऊंची व देश में सर्वोच्च चोटी कंचनजंघा है। नन्दा देवी शिखर हिमालय पर्वत शृंखला में भारत के उत्तरांचल राज्य में पूर्व में गौरीगंगा तथा पश्चिम में ऋषिगंगा घाटियों के बीच स्थित है। इसकी ऊंचाई ७८१६ मीटर (२५,६४३ फीट) है। इस चोटी को उत्तरांचल राज्य में मुख्य देवी के रूप में पूजा जाता है।। नवभारत टाइम्स। हरेन्द्र सिंह रावत इन्हें नन्दा देवी कहते हैं। नन्दादेवी मैसिफ के दो छोर हैं। इनमें दूसरा छोर नन्दादेवी ईस्ट कहलाता है। इन दोनों के मध्य दो किलोमीटर लम्बा रिज क्षेत्र है। इस शिखर पर प्रथम विजय अभियान में १९३६ में नोयल ऑडेल तथा बिल तिलमेन को सफलता मिली थी। पर्वतारोही के अनुसार नन्दादेवी शिखर के आसपास का क्षेत्र अत्यंत सुंदर है। यह शिखर २१००० फुट से ऊंची कई चोटियों के मध्य स्थित है। यह पूरा क्षेत्र नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया जा चुका है। इस नेशनल पार्क को १९८८ में यूनेस्को द्वारा प्राकृतिक महत्व की विश्व धरोहर का सम्मान भी दिया जा चुका है। .

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नौकुचियाताल

नौकुचियाताल भीमताल से ४ किलोमीटर दक्षिण-पूरब समुद्र की सतह से १२९२ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। नैनीताल से इस ताल की दूरी २६.२ कि॰मी॰ है। यह ९८३ मीटर लम्बी, ६९३ मीटर चौड़ी और ४० मीटर गहरी है। इस नौ कोने वाले ताल की अपनी विशिष्ट महत्ता है। इसके टेढ़े-मेढ़े नौ कोने हैं। इस अंचल के लोगों का विश्वास है कि यदि कोई व्यक्ति एक ही दृष्टि से इस ताल के नौ कोनों को देख ले तो उसे मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। परन्तु वास्तविकता यह है कि सात से अधिक कोने एक बार में नहीं देखे जा सकते। इस ताल की एक और विशेषता यह है कि इसमें विदेशों से आये हुए नाना प्रकार के पक्षी रहते हैं। ताल में कमल के फूल खिले रहते हैं। इस ताल में मछलियों का शिकार बड़े अच्छे ढ़ंग से होता है। २०-२५ पौण्ड तक की मछलियाँ इस ताल में आसानी से मिल जाती है। मछली के शिकार करने वाले और नौका विहार शौकीनों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इस ताल के पानी का रंग गहरा नीला है। यह भी आकर्षण का एक मुख्य कारण है। पर्यटकों के लिए यहाँ पर खाने और रहने की सुविधा है। धूप और वर्षा से बचने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गयी है। .

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नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

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नेपाल हिमालय

नेपाल हिमालय, हिमालय पर्वत श्रंखला के चार क्षैतिज विभाजनों में से एक है। काली नदी से तीस्ता नदी के बीच फैली लगभग ८०० किलोमीटर लम्बी हिमालय श्रंखला को ही नेपाल हिमालय कहा जाता है। नेपाल, तिब्बत तथा सिक्किम में स्थित इस पर्वत श्रंखला के पूर्व में असम हिमालय तथा पश्चिम में कुमाऊँ हिमालय स्थित हैं। नेपाल हिमालय चारों विभाजनों में सबसे बड़ा है। माउंट एवरेस्ट, कंचनजंघा, ल्होत्से, मकालू, चोयु, मनास्लु, धौलागिरी और अन्नपूर्णा इत्यादि नेपाल हिमालय की प्रमुख पर्वत चोटियां हैं। मेची, कोशी, बागमती, गंडक तथा कर्णाली नदियों का उद्गम नेपाल हिमालय में ही होता है। काठमांडू घाटी यहाँ की एक प्रसिद्ध घाटी है। .

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पंच प्रयाग

उत्तराखंड के पंच प्रयाग हैं विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग। उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंच प्रयाग देवप्रयाग रुद्रप्रयाग कर्णप्रयाग नन्दप्रयाग तथा विष्णुप्रयाग मुख्य नदियों के संगम पर स्थित हैं। नदियों का संगम भारत में बहुत ही पवित्र माना जाता है विशेषत: इसलिए कि नदियां देवी का रूप मानी जाती हैं। इलाहाबाद में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के बाद गढ़वाल-हिमालय के क्षेत्र के संगमों को सबसे पवित्र माना जाता है, क्योंकि गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियों का यही उद्गम स्थल है। जिन जगहों पर इनका संगम होता है उन्हें प्रमुख तीर्थ माना जाता है। यहीं पर श्राद्ध के संस्कार होते हैं। .

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पंच केदार

पंचकेदार (पाँच केदार) हिन्दुओं के पाँच शिव मंदिरों का सामूहिक नाम है। ये मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित हैं। इन मन्दिरों से जुड़ी कुछ किंवदन्तियाँ हैं जिनके अनुसार इन मन्दिरों का निर्माण पाण्दवों ने किया था। उत्तराखंड कुमाउँ-गढ्वाल और नेपाल का डोटी भाग में असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने गर्भ में छिपाए, हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के मध्य, सनातन हिन्दू संस्कृति का शाश्वत संदेश देनेवाले, अडिग विश्वास के प्रतीक केदारनाथ और अन्य चार पीठों सहित, नव केदार के नाम से जाने जाते हैं। श्रद्धालु तीर्थयात्री, सदियों से इन पावन स्थलों के दर्शन कर, कृतकृत्य और सफल मनोरथ होते रहे हैं। .

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बद्रीनाथ मन्दिर

Badrinath बदरीनाथ मंदिर, जिसे बदरीनारायण मंदिर भी कहते हैं, अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बदरीनाथ को समर्पित है। यह हिन्दुओं के चार धाम में से एक धाम भी है। ऋषिकेश से यह २९४ किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है। ये पंच-बदरी में से एक बद्री हैं। उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार तथा पंच प्रयाग पौराणिक दृष्टि से तथा हिन्दू धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। .

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भीमताल (बहुविकल्पी)

भीमताल उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध झील है, जिसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी इसी नाम से जाना जाता है। इससे संबंधित पृष्ठ निम्न हैं.

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यमुना नदी

आगरा में यमुना नदी यमुना त्रिवेणी संगम प्रयाग में वृंदावन के पवित्र केशीघाट पर यमुना सुबह के धुँधलके में यमुनातट पर ताज यमुना भारत की एक नदी है। यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो यमुनोत्री (उत्तरकाशी से ३० किमी उत्तर, गढ़वाल में) नामक जगह से निकलती है और प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा से मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन उल्लेखनीय हैं। यमुना के तटवर्ती नगरों में दिल्ली और आगरा के अतिरिक्त इटावा, काल्पी, हमीरपुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नदी के रूप में प्रस्तुत होती है और वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। ब्रज की संस्कृति में यमुना का महत्वपूर्ण स्थान है। .

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रामगंगा नदी

रामगंगा नदी भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इसका उल्लेख रथवाहिनी के नाम से हुआ है। उत्तराखण्ड के हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं के कुमाऊँ मण्डल के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले के दूनागिरी (पौराणिक नाम द्रोणगिरी) के विभिन्न प्राकृतिक जलस्रोत निकलकर कई गधेरों अर्थात लघु सरिताओं के रूप में तड़ागताल पहुंचते हैं। इस झील का कोई मुहाना नहीं है। चन्द कदमों की दूरी के उपरान्त स्वच्छ स्वेत धवल सी भूगर्भ से निकलती है और इसी अस्तित्व में प्रकट होकर रामगंगा नाम से पुकारी जाती है। दूसरी ओर गढ़वाल मण्डल के चमोली जिले के अन्तर्गत ग्वालदम तथा दूधातोली के मध्यवर्ती क्षेत्र के कई गधेरों के ताल नामक गॉंव के समीप मिलने पर रामगंगा कहलाती है। यहीं से रामगंगा का उद्गम होता है। .

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सतलुज नदी

सतलुज (पंजाबी: ਸਤਲੁਜ, अँग्रेजी:Sutlej River, उर्दू: درياۓ ستلُج) उत्तरी भारत में बहनेवाली एक सदानीरा नदी है। इसका पौराणिक नाम शतद्रु है। जिसकी लम्बाई पंजाब में बहने वाली पाँचों नदियों में सबसे अधिक है। यह पाकिस्तान में होकर बहती है। .

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सात ताल, नैनीताल

'कुमाऊँ' अंचल के सभी तालों में 'सातताल' का जो अनोखा और नैसर्गिक सौन्दर्य है, वह किसी दूसरे ताल का नहीं है। इस ताल तक पहुँचने के लिए भीमताल से ही मुख्य मार्ग है। भीमताल से 'सातताल' की दूरी केवल ४ कि॰मी॰ है। नैनीताल से सातताल २१ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। आजकल यहां के लिए एक दूसरा मार्ग माहरा गाँव से भी जाने लगा है। माहरा गाँव से सातताल केवल ७ कि॰मी॰ दूर है। .

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हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश (अंग्रेज़ी: Himachal Pradesh, उच्चारण) उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²) से अधिक क्षेत्र में फ़ैला है तथा उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब (भारत), दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है। हिमाचल प्रदेश को "देव भूमि" भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गया। सन 1857 तक यह महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था। सन 1950 मे इसे केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन 1971 मे इसे, हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अन्तर्गत इसे 25 january 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया। हिमाचल प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक है । बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली बेचता है जिनमे प्रमुख हैं दिल्ली, पंजाब (भारत) और राजस्थान। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, पर्यटन और कृषि। हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों मे ब्राह्मण, राजपूत, घिर्थ (चौधरी), गद्दी, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश में केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है। .

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हिमालय

हिमालय पर्वत की अवस्थिति का एक सरलीकृत निरूपण हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं। इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत पाँच देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान और चीन। अन्तरिक्ष से लिया गया हिमालय का चित्र संसार की अधिकांश ऊँची पर्वत चोटियाँ हिमालय में ही स्थित हैं। विश्व के 100 सर्वोच्च शिखरों में हिमालय की अनेक चोटियाँ हैं। विश्व का सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट हिमालय का ही एक शिखर है। हिमालय में 100 से ज्यादा पर्वत शिखर हैं जो 7200 मीटर से ऊँचे हैं। हिमालय के कुछ प्रमुख शिखरों में सबसे महत्वपूर्ण सागरमाथा हिमाल, अन्नपूर्णा, गणेय, लांगतंग, मानसलू, रॊलवालिंग, जुगल, गौरीशंकर, कुंभू, धौलागिरी और कंचनजंघा है। हिमालय श्रेणी में 15 हजार से ज्यादा हिमनद हैं जो 12 हजार वर्ग किलॊमीटर में फैले हुए हैं। 72 किलोमीटर लंबा सियाचिन हिमनद विश्व का दूसरा सबसे लंबा हिमनद है। हिमालय की कुछ प्रमुख नदियों में शामिल हैं - सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र और यांगतेज। भूनिर्माण के सिद्धांतों के अनुसार यह भारत-आस्ट्र प्लेटों के एशियाई प्लेट में टकराने से बना है। हिमालय के निर्माण में प्रथम उत्थान 650 लाख वर्ष पूर्व हुआ था और मध्य हिमालय का उत्थान 450 लाख वर्ष पूर्व हिमालय में कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश, मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। भारतीय ग्रंथ गीता में भी इसका उल्लेख मिलता है (गीता:10.25)। .

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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कश्मीर हिमालय

कश्मीर हिमालय, जिन्हें पंजाब हिमालय या पश्चिमी हिमालय भी कहा जाता है, हिमालय पर्वत श्रंखला के चार क्षैतिज विभाजनों में से एक है। सिंधु नदी से सतलुज नदी के बीच फैली लगभग ५६० किलोमीटर लम्बी हिमालय श्रंखला को ही कश्मीर हिमालय कहा जाता है। कश्मीर, जम्मू तथा हिमाचल में स्थित इस पर्वत श्रंखला के पूर्व में कुमाऊँ हिमालय स्थित हैं। ज़ंस्कार और पीर पंजाल कश्मीर हिमालय की प्रमुख पर्वतमालाएं हैं। नंगा परबत यहाँ की सबसे ऊँची चोटी है। सिंधु नदी की पाँचों प्रमुख सहयोगी नदियों (झेलम, चेनाब, रावी, व्यास, तथा सतलुज) का उद्गम कश्मीर हिमालय में ही होता है। हिमचाल प्रदेश में स्थित डलहौजी यहाँ का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। .

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कामेट पर्वत

कामेट पर्वत (तिब्बती:कांग्मेद), भारत के गढ़वाल क्षेत्र में नंदा देवी पर्वत के बाद सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। तह ७,७५६-मीटर (२५,४४६ फुट) ऊंचा है। यह उत्तराखंड राज्य के चमोली जिला में तिब्बत की सीमा के निकट स्थित है। यह भारत में तीसरा शबसे ऊंचा शिखर है (हालांकि भारत के अनुसार इसका स्थान बहुत बाद में आता है, जो कि पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित हिमालय की बहुत सी चोटियों के बाद आता है)। विश्व में इसका २९वां स्थान है। कामेट शिखर को ज़ांस्कर शृंखला का भाग और इसका सबसे ऊंचा शिखर माना जाता है। यह हिमालय की मुख्य शृंखला के उत्तर में सुरु नदी एवं ऊपरी करनाली नदी के बीच स्थित है। देखने में यह एक विशाल पिरामिड जैसा दिखाई देता है, जिसके चपटे शिखर पर दो चोटियां हैं। कामेट शिखर का नाम अंग्रेजी भाषा का नहीं, बल्कि तिब्बती भाषा के शब्द ‘कांग्मेद’ शब्द के आधार पर रखा गया है। इसीलिये इसे कामेट भी कहा जाटा है। तिब्बती लोग इसे कांग्मेद पहाड़ कहते हैं। कामेट पर्वत तीन प्रमुख हिमशिखरों से घिरा है। इनके नाम अबी गामिन, माना पर्वत तथा मुकुट पर्वत हैं। कामेट शिखर के पूर्व में स्थित विशाल ग्लेशियर को पूर्वी कामेट ग्लेशियर कहते हैं और पश्चिम में पश्चिमी कामेट ग्लेशियर है। .

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काली नदी, उत्तराखण्ड

काली नदी, जिसे महाकाली, कालीगंगा या शारदा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बहने वाली एक नदी है। इस नदी का उद्गम स्थान वृहद्तर हिमालय में ३,६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित कालापानी नामक स्थान पर है, जो उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में है। इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लीख दर्रे के निकट भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। अपने उपरी मार्ग पर यह नदी नेपाल के साथ भारत की निरंतर पूर्वी सीमा बनाती है, जहां इसे महाकाली कहा जाता है। यह नदी उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहुँचने पर शारदा नदी के नाम से भी जानी जाती है। काली नदी का झुकाव क्षेत्र लगभग १५,२६० वर्ग किलोमीटर है, जिसका एक बड़ा हिस्सा (लगभग ९,९४३ वर्ग किमी) उत्तराखण्ड में है, और शेष नेपाल में है। काली नदी उत्तराखण्ड राज्य की चार प्रमुख नदियों में एक है, और इस कारण इसे उत्तराखण्ड के राज्य-चिह्न पर भी दर्शाया गया है।यह नदी कालापानी में ३,६०० मीटर से उतरकर २०० मीटर ऊँचे तराई मैदानों में प्रवेश करती है, और इस कारण यह जल विद्युत उत्पादन के लिए अपार संभावना उपलब्ध कराती है। भारतीय नदियों को इंटर-लिंक करने की परियोजना के हिमालयी घटक में कई परियोजनाओं के लिए इस नदी को भी स्रोत के रूप में प्रस्तावित किया गया है। सरयू नदी काली की सबसे बड़ी सहायक नदी है। कूटी, धौलीगंगा, गोरी, चमेलिया, रामगुण, लढ़िया अन्य प्रमुख सहायक नदियां हैं। तवाघाट, धारचूला, जौलजीबी, झूलाघाट, पंचेश्वर, टनकपुर, बनबसा तथा महेन्द्रनगर इत्यादि नदी के तट पर बसे प्रमुख नगर हैं। .

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केदारनाथ कस्बा

केदारनाथ हिमालय पर्वतमाला में बसा भारत के उत्तरांचल राज्य का एक कस्बा है। यह रुद्रप्रयाग की एक नगर पंचायत है। यह हिन्दू धर्म के अनुयाइयों के लिए पवित्र स्थान है। यहाँ स्थित केदारनाथ मंदिर का शिव लिंग १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिन्दू धर्म के उत्तरांचल के चार धाम और पंच केदार में गिना जाता है। श्रीकेदारनाथ का मंदिर ३,५९३ मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ एक भव्य एवं विशाल मंदिर है। इतनी ऊँचाई पर इस मंदिर को कैसे बनाया गया, इस बारे में आज भी पूर्ण सत्य ज्ञात नहीं हैं। सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा। राजा केदार ने सात महाद्वीपों पर शासन और वे एक बहुत पुण्यात्मा राजा थे। उनकी एक पुत्री थी वृंदा जो देवी लक्ष्मी की एक आंशिक अवतार थी। वृंदा ने ६०,००० वर्षों तक तपस्या की थी। वृंदा के नाम पर ही इस स्थान को वृंदावन भी कहा जाता है। यहाँ तक पहुँचने के दो मार्ग हैं। पहला १४ किमी लंबा पक्का पैदल मार्ग है जो गौरीकुण्ड से आरंभ होता है। गौरीकुण्ड उत्तराखंड के प्रमुख स्थानों जैसे ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून इत्यादि से जुड़ा हुआ है। दूसरा मार्ग है हवाई मार्ग। अभी हाल ही में राज्य सरकार द्वारा अगस्त्यमुनि और फ़ाटा से केदारनाथ के लिये पवन हंस नाम से हेलीकाप्टर सेवा आरंभ की है और इनका किराया उचित है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद कर दिया जाता है और केदारनाथ में कोई नहीं रुकता। नवंबर से अप्रैल तक के छह महीनों के दौरान भगवान केदा‍रनाथ की पालकी गुप्तकाशी के निकट उखिमठ नामक स्थान पर स्थानांतरित कर दी जाती है। यहाँ के लोग भी केदारनाथ से आस-पास के ग्रामों में रहने के लिये चले जाते हैं। वर्ष २००१ की भारत की जनगणना के अनुसार केदारनाथ की जनसंख्या ४७९ है, जिसमें ९८% पुरुष और २% महिलाएँ है। साक्षरता दर ६३% है जो राष्ट्रीय औसत ५९.५% से अधिक है (पुरुष ६३%, महिला ३६%)। ०% लोग ६ वर्ष से नीचे के हैं। .

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असम हिमालय

असम हिमालय (Assam Himalaya) हिमालय के उस भाग का पारम्परिक नाम है जो पश्चिम में भूटान की पूर्वी सीमा से लेकर पूर्व में त्संगपो नदी के बड़े मोड़ तक विस्तृत है। हिमालय के इस खण्ड का सर्वोच्च पर्वत नमचा बरवा है। अन्य उल्लेखनीय पर्वत ग्याला पेरी, कंगतो पर्वत और न्येग्यी कन्संग हैं। "असम" नाम होने के बावजूद इसके पर्वत दक्षिणपूर्वी तिब्बत, उत्तरी असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में फैले हुए हैं। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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छोटा चार धाम

छोटा चारधाम या चारधाम, हिन्दू धर्म के हिमालय पर्वतों में स्थित पवित्रतम तीर्थ परिपथों में से एक है। यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में स्थित है और इस परिपथ के चार धाम हैं: बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री। इनमें से बद्रीनाथ धाम, भारत के चार धामों का भी उत्तरी धाम है। यद्यपि इन चारों स्थलों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं लेकिन इनकों चारधाम के रूप में एक इकाई के रूप में देखा जाता है। .

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