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कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची

सूची कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की सूची

कुमाऊं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न निम्नलिखित सूची कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से सम्बद्ध राजकीय महाविद्यालयों की है: .

40 संबंधों: चम्पावत, चम्पावत जिला, चौखुटिया, टनकपुर, डीडीहाट तहसील, द्वाराहाट, देवीपुरा, श्री पूर्णागिरी टनकपुर तहसील, नैनीताल, नैनीताल जिला, पिथौरागढ़, पिथौरागढ़ जिला, बनबसा, बनेख-वालीकण्ड०२, पौडी तहसील, बलुवाकोट, धारचुला तहसील, बाजपुर, बागेश्वर, बागेश्वर जिला, बेरीनाग, भतरौजखान, बेतालघाट तहसील, भिकियासैंण, मुनस्‍यारी, मॉंसी, राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय, रानीखेत, रामनगर, उत्तराखण्ड, रुद्रपुर, लोहाघाट, सितारगंज, स्याल्दे, गरुङ तहसील, सोमेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड, हल्द्वानी, जैंती, कपकोट तहसील, खटीमा, गणाई गंगोली, गंगोलीहाट, कपकोट, काशीपुर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा जिला, उधम सिंह नगर जिला

चम्पावत

चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है। यह कस्बा समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

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चम्पावत जिला

चम्पावत भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। इसका मुख्यालय चंपावत में है। उत्तराखंड का ऐतिहासिक चंपावत जिला अपने आकर्षक मंदिरों और खूबसूरत वास्तुशिल्प के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियां अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहां पर है। समुद्र तल से 1615 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चंपावत कई सालों तक कुंमाऊं के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चंपावत में देखे जा सकते हैं। .

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चौखुटिया

चौखुटिया, अल्मोड़ा जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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टनकपुर

टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है। इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी। सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। .

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डीडीहाट तहसील

डीडीहाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय डीडीहाट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में धारचूला तहसील, पश्चिम में बेरीनाग तहसील, उत्तर में मुनस्यारी तहसील तथा दक्षिण में पिथौरागढ़ तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 363 गाँव आते हैं, और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 80411 है। .

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द्वाराहाट

द्वाराहाट उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले का एक कस्बा है जो रानीखेत से लगभग 21 किलोमीटर दूर स्थित है। द्वाराहाट में तीन वर्ग के मन्दिर हैं—कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत से मन्दिर प्रतिमाविहीन हैं। द्वाराहाट में गूजरदेव का मन्दिर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। .

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देवीपुरा, श्री पूर्णागिरी टनकपुर तहसील

देवीपुरा, श्री पूर्णागिरी टनकपुर तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्‍थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है। .

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नैनीताल जिला

नैनीताल जिला भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मूख्यालय नैनीताल है। नैनीताल जिला, कुमाऊँ मण्डल में स्थित है और इसके उत्तर में अल्मोड़ा जिला और दक्षिण में उधमसिंहनगर जिला है। हल्द्वानी इस जिले में सबसे बड़ा नगर है। .

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पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख शहर है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी है। सोर शब्द का अर्थ होता है-- सरोवर। यहाँ पर माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे। दिन-प्रतिदिन सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँपर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमी होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा। पर अधिकांश लोगों का मानना है कि यहाँ राय पिथौरा (पृथ्वीराज_चौहान) की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। राय पिथौरा ने नेपाल से कई बार टक्कर ली थी। यही राजा पृथ्वीशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। .

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पिथौरागढ़ जिला

पिथौरागढ़ भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। यह क्षेत्र 2,750 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। 2011 के जनसंख्या गणना के अनुसार यहाँ कुल 4,85,993 लोग रहते हैं। जिले का मुख्यालय पिथौरागढ़ है। यहाँ आधिकारिक रूप से और शिक्षा के लिए हिन्दी भाषा का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा यहाँ अधिक संख्या में कुमाऊँनी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। 24 फरवरी 1960 को पिथौरागढ़ की 30 पट्टियां और अल्मोड़े की दो पट्टियों को मिलाकर पिथौरागढ़ जिले का गठन किया गया था। .

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बनबसा

बनबसा उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले की श्री पूर्णागिरी तहसील में नेपाल सीमा पर स्थित एक जनगणना नगर है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। उत्तराखण्ड के जिले .

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बनेख-वालीकण्ड०२, पौडी तहसील

बनेख-वालीकण्ड०२, पौडी तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत गढ़वाल मण्डल के पौड़ी जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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बलुवाकोट, धारचुला तहसील

बलुवाकोट, धारचुला तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथोरागढ जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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बाजपुर

बाजपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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बागेश्वर

बागेश्वर उत्तराखण्ड राज्य में सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित एक तीर्थ है। यह बागेश्वर जनपद का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यहाँ बागेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर है, जिसे स्थानीय जनता "बागनाथ" या "बाघनाथ" के नाम से जानती है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है। स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का बड़ा योगदान है। कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरवात सन १९२० ई. में की। सरयू एवं गोमती नदी के संगम पर स्थित बागेश्वर मूलतः एक ठेठ पहाड़ी कस्बा है। परगना दानपुर के 473, खरही के 66, कमस्यार के 166, पुँगराऊ के 87 गाँवों का समेकन केन्द्र होने के कारण यह प्रशासनिक केन्द्र बन गया। मकर संक्रान्ति के दौरान लगभग महीने भर चलने वाले उत्तरायणी मेले की व्यापारिक गतिविधियों, स्थानीय लकड़ी के उत्पाद, चटाइयाँ एवं शौका तथा भोटिया व्यापारियों द्वारा तिब्बती ऊन, सुहागा, खाल तथा अन्यान्य उत्पादों के विनिमय ने इसको एक बड़ी मण्डी के रूप में प्रतिष्ठापित किया। 1950-60 के दशक तक लाल इमली तथा धारीवाल जैसी प्रतिष्ठित वस्त्र कम्पनियों द्वारा बागेश्वर मण्डी से कच्चा ऊन क्रय किया जाता था। .

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बागेश्वर जिला

बागेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है। .

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बेरीनाग

बेरीनाग, जिसे बेड़ीनाग या बेणीनाग भी कहा जाता है, भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ जिनपद का एक नगर तथा तहसील मख्यालय है। .

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भतरौजखान, बेतालघाट तहसील

भतरौजखान, बेतालघाट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के नैनीताल जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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भिकियासैंण

भिकियासैंण रामगंगा नदी के किनारे पर उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह एक शहर तथा अल्मोड़ा जिले की भिक्यासैंण तहसील का मुख्यालय है, जिसके अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले के 376 गॉंव आते हैं। .

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मुनस्‍यारी

मुनस्‍यारी एक खूबसूरत पर्वतिय स्थल है। यह उत्‍तराखण्‍ड में जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है जो एक तरफ तिब्‍बत सीमा और दूसरी ओर नेपाल सीमा से लगा हुआ है। मुनस्‍यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्‍यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्‍व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्‍वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है, बाई तरफ नन्‍दा देवी और त्रिशूल पर्वत, दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्‍पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है। काठगोदाम, हल्‍द्वानी रेलवे स्‍टेशन से मुनस्‍यारी की दूरी लगभग 295 किलोमीटर है और नैनीताल से 265 किलोमीटर है। काठगोदाम से मुनस्‍यारी की यात्रा बस अथवा टैक्‍सी के माध्‍यम से की जा सकती है और रास्‍ते में कई खूबसूरत स्‍थल आते हैं। काठगोदाम से चलने पर भीमताल, जो कि नैनीताल से मात्र 10 किलोमीटर है, पड़ता है उसके बाद वर्ष भर ताजे फलों के लिए प्रसिद्ध भवाली है, अल्‍मोड़ा शहर और चितई मंदिर भी रास्‍ते में ही है। अल्‍मोड़ा से आगे प्रस्‍थान करने पर धौलछीना, सेराघाट, गणाई, बेरीनाग और चौकोड़ी है। बेरीनाग और चौकोड़ी अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां से आगे चलने पर थल, नाचनी, टिमटिया, क्‍वीटी, डोर, गिरगॉव, रातापानी और कालामुनि आते हैं। कालामुनि पार करने के बाद आता है मुनस्‍यारी, जिसकी खूबसूरती अपने आप में निराली है। मुनस्‍यारी में ठहरने के लिए काफी होटल, लॉज और गेस्‍ट हाउस है। गर्मी के सीजन में यहां के होटल खचाखच भरे रहते है इसलिए इस मौसम में वहां जाने से पहले ठहरने के लिए कमरे की बुकिंग जरूर करा लेना चाहिए क्‍योंकि इस समय में यहां पर देसी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ जाती है। विदेशी पर्यटक यहां खासकर ट्रैकिंग और माउंटेनियरिंग के लिए आते हैं। लोग पहाड़ी (स्‍थानीय बोली) बोलते है और हिन्‍दी भाषा का प्रयोग भी करते हैं। यहां के अधिकतर लोग कृषि कार्य में लगे हुए है। .

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मॉंसी

मॉंसी एक गाँव है जो रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर चौखुटिया (गनांई) तहसील के तल्ला गेवाड़ पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह मूलत: मासीवाल नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दुओं का पुश्तैनी गाँव है। यह अपनी ऐतिहासिक व सॉस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा समतल उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

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राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय

राधेहरि राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय उत्तराखण्ड राज्य के काशीपुर नगर में स्थित कुमाऊं विश्वविद्यालय से संबद्ध एक कॉलेज है। यह काशीपुर शहर से लगभग 3 किमी दूर नैनीताल रोड पर स्थित है। यह कुमाऊं विश्वविद्यालय के सबसे बड़े कॉलेजों में एक है, जहां स्नातक तथा परास्नातक पाठ्यक्रमों का आयोजन वाणिज्य, मानविकी व विज्ञान संकायों के तहत किया जाता है। .

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रानीखेत

रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है। १८६९ में ब्रिटिश सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना रानीखेत में की, और भारतीय गर्मियों से बचने के लिए हिल स्टेशन के रूप में इस नगर का प्रयोग किया जाने लगा। ब्रिटिश राज के दौरान एक समय में, यह शिमला के स्थान पर भारत सरकार के ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में भी प्रस्तावित किया गया था। १९०० में इसकी गर्मियों की ७,७०५ जनसंख्या थी, और उसी साल की सर्दियों की जनसंख्या १९०१ में ३,१५३ मापी गई थी। स्वच्छ सर्वेक्षण २०१८ के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है। .

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रामनगर, उत्तराखण्ड

रामनगर, उत्तराखण्ड, भारत के नैनीताल ज़िले में स्थित एक कस्बा और नगर निगम बोर्ड है। यह जिला मुख्यालय नैनीताल से ६५ किमी और देश की राजधानी दिल्ली से लगभग २६० किमी की दूरी पर स्थित है। रामनगर, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। यह कस्बा इस राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेशद्वार है। आसपास के अन्य प्रसिद्ध स्थल हैं गर्जिया देवी मन्दिर और सीता बनी मन्दिर। .

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रुद्रपुर

रुद्रपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद का एक नगर है। जनसंख्या के आधार पर यह कुमाऊँ का दूसरा, जबकि उत्तराखण्ड का पांचवां सबसे बड़ा नगर है। इस नगर की स्थापना कुमाऊँ के राजा रुद्र चन्द ने सोलहवीं शताब्दी में की थी, और तब यह तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) का निवास स्थल हुआ करता था। यह दिल्ली तथा देहरादून से २५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रपुर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र होने के साथ साथ उधम सिंह नगर जनपद का मुख्यालय भी है। .

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लोहाघाट

लोहाघाट भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के चम्पावत जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध शहर, नगर पंचायत और हिल स्टेशन है। मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चारों ओर से छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा यह नगर पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। जनपद मुख्यालय से 13 किमी उत्तर की ओर टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग में लोहावती नदी के किनारे देवीधार, फोर्ती, मायावती, एबटमाउंट, मानेश्वर, बाणासुर का किला, झूमाधूरी आदि विशेष धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों के मध्य स्थित होने से इस नगर की सुन्दरता और बढ़ जाती है। जनपद का यह मुख्य शहर जहां से ग्रामीण क्षेत्रों को आवागमन होता है, प्रमुख व्यापारिक स्थल भी है। इसलिए इसे जनपद चम्पावत का हृदयस्थल कहा जाता है। देवदार वनों से घिरे इस नगर की समुद्रतल से ऊँचाई लगभग ५५०० फ़ीट है। .

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सितारगंज

सितारगंज, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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स्याल्दे, गरुङ तहसील

स्याल्दे, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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सोमेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, उत्तराखण्ड

सोमेश्वर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तराखण्ड के 70 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। अल्मोड़ा जिले में स्थित यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है। 2012 में इस क्षेत्र में कुल 75,643 मतदाता थे। .

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हल्द्वानी

हल्द्वानी, उत्तराखण्ड के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है जो काठगोदाम के साथ मिलकर हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम बनाता है। हल्द्वानी उत्तराखण्ड के सर्वाधिक जनसँख्या वाले नगरों में से है और इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" भी कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे "हल्द्वेणी" भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ "हल्दू" (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था। सन् १८१६ में गोरखाओं को परास्त करने के बाद गार्डनर को कुमाऊँ का आयुक्त नियुक्त किया गया। बाद में जॉर्ज विलियम ट्रेल ने आयुक्त का पदभार संभाला और १८३४ में "हल्दु वनी" का नाम हल्द्वानी रखा। ब्रिटिश अभिलेखों से हमें ये ज्ञात होता है कि इस स्थान को १८३४ में एक मण्डी के रूप में उन लोगों के लिए बसाया गया था जो शीत ऋतु में भाभर आया करते थे। .

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जैंती, कपकोट तहसील

जैंती, कपकोट तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। उत्तराखण्ड के जिले .

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खटीमा

खटीमा भारत के उत्तराखण्ड राज्य के ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित एक नगर निगम बोर्ड है। .

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गणाई गंगोली

गणाई गंगोली भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के पिथौरागढ़ जनपद का एक गाँव तथा बाजार है, जो इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा-बेरीनाग-डीडीहाट राज्य राजमार्ग ३ पर सेराघाट से १० किलोमीटर की दूरी पर स्थित गणाई गंगोली कुल्यूर नदी के किनारे बसा हुआ है। .

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गंगोलीहाट

गंगोलीहाट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक नगर और तहसील मुख्यालय है, जो हाट कलिका मंदिर नामक सिद्धपीठ के लिये प्रसिद्ध है। इस सिद्ध पीठ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा की गयी। हाट कलिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षक मानी जाती है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से ७७ किलोमीटर की दूरी पर है तथा सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। .

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कपकोट

कपकोट भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक नगर है। सरयू नदी के तट पर बसा कपकोट जनपद मुख्यालय, बागेश्वर से २५ किमी की दूरी पर स्थित है, और कपकोट तहसील का मुख्यालय है, जो क्षेत्रफल के आधार पर बागेश्वर जनपद की सबसे बड़ी तहसील है। .

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काशीपुर

काशीपुर निम्न में से कोई हो सकता है.

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कुमाऊँ विश्वविद्यालय

कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल, उत्तराखण्ड में स्थित है। विश्वविद्यालय की स्थापना १ मार्च १९७३ में उप्र राज्य अधिनियम के अन्तर्गत हुई थी। विश्वविद्यालय के दो कैम्पस है नैनीताल और अल्मोड़ा में और पूरे कुमाऊँ क्षेत्र में २७ महाविद्यालय इससे संबद्धीकृत हैं। भीमताल में एक और कैम्पस बनाया जा रहा है, जो व्यवसायिक, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की माँग को पूरा करेगा। उत्कृष्ट शिक्षण और उच्च गुणवत्ता शोध के साथ-साथ चौतरफा विकास इस विध्वविद्यालय का ध्येय है और मुख्य बल कुमाऊँ क्षेत्र पर है। .

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अल्मोड़ा जिला

अल्मोड़ा भारत के उत्तराखण्ड नामक राज्य में कुमांऊँ मण्डल के अन्तर्गत एक जिला है। इस जिले का मुख्यालय भी अल्मोड़ा में ही है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। .

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उधम सिंह नगर जिला

उधमसिंहनगर भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। जिले का मुख्यालय रुद्रपुर है। उधमसिंह नगर पहले नैनीताल जिले में था। लेकिन अक्टूबर 1995 में इसे अलग जिला बना दिया गया। इस जिले का नाम स्वर्गीय उधम सिंह के नाम पर रखा गया है। उधम सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड होने के पश्चात् इन्होंने ही जनरल डायर की हत्या की थी। .

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