26 संबंधों: चिंगहई, चीन, चीनी भाषा, टकलामकान, एशिया, तारिम द्रोणी, ताजिकिस्तान, तिब्बत, तिब्बत का पठार, पामीर पर्वतमाला, भारत, मध्य एशिया, मरूद्यान, मंगोल भाषा, मुज़ताग़ अता, योरुंगकाश नदी, राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन), ल्हासा, शिंजियांग, वेई नदी (चीन), गोबी मरुस्थल, गोलमुद, काराकाश नदी, कुनलुन देवी, कोंगुर ताग़, अक्साई चिन।
चिंगहई
चिंगहई (चीनी: 青海; अंग्रेजी: Qinghai, मंगोल: Көкнуур, कोक नूर; तिब्बती: མཚོ་སྔོན་) जनवादी गणराज्य चीन के पश्चिमी भाग में स्थित एक प्रांत है। इसकी राजधानी शिनिंग शहर है। यह प्रांत अधिकतर तिब्बत के पठार पर स्थित है और परंपरागत रूप से तिब्बती लोग इसके अधिकतर भाग को तिब्बत का एक क्षेत्र समझते हैं जिसका तिब्बती नाम 'आमदो' है। इस प्रान्त का नाम चिंगहई झील पर पड़ा है। ऐतिहासिक रूप से यह इलाक़ा चीन का भाग नहीं था बल्कि इसपर कई जातियों में खींचातानी चलती थी, जिनमें तिबाती, हान चीनी, मंगोल और तुर्की लोग शामिल थे। चीन की एक महत्वपूर्ण नदी ह्वांग हो (उर्फ़ 'पीली नदी') इसी प्रान्त के दक्षिणी भाग में जन्म लेती है जबकि यांग्त्से नदी और मिकोंग नदी इसके दक्षिण-पश्चिमी भाग में जन्मती हैं।, Shelley Jiang, Shelley Cheung, Macmillan, 2004, ISBN 978-0-312-32005-8,...
नई!!: कुनलुन पर्वत और चिंगहई · और देखें »
चीन
---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पूर्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और चीन · और देखें »
चीनी भाषा
चीनी भाषा (अंग्रेजी: Chinese; 汉语/漢語, पिनयिन: Hànyǔ; 华语/華語, Huáyǔ; या 中文 हुआ-यू, Zhōngwén श़ोंग-वॅन) चीन देश की मुख्य भाषा और राजभाषा है। यह संसार में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन एवं पूर्वी एशिया के कुछ देशों में बोली जाती है। चीनी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में आती है और वास्तव में कई भाषाओं और बोलियों का समूह है। मानकीकृत चीनी असल में एक 'मन्दारिन' नामक भाषा है। इसमें एकाक्षरी शब्द या शब्द भाग ही होते हैं और ये चीनी भावचित्र में लिखी जाती है (परम्परागत चीनी लिपि या सरलीकृत चीनी लिपि में)। चीनी एक सुरभेदी भाषा है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और चीनी भाषा · और देखें »
टकलामकान
अंतरिक्ष से ली गई टकलामकान की एक तस्वीर टकलामकान रेगिस्तान का एक दृश्य नक़्शे में टकलामकान टकलामकान मरुस्थल (उइग़ुर:, तेकलीमाकान क़ुम्लुक़ी) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका अधिकाँश भाग चीन द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग प्रांत में पड़ता है। यह दक्षिण से कुनलुन पर्वत शृंखला, पश्चिम से पामीर पर्वतमाला और उत्तर से तियन शान की पहाड़ियों द्वारा घिरा हुआ है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और टकलामकान · और देखें »
एशिया
एशिया या जम्बुद्वीप आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएं यूरोप से मिलती हैं, हालाँकि इन दोनों के बीच कोई सर्वमान्य और स्पष्ट सीमा नहीं निर्धारित है। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी यूरेशिया भी कहा जाता है। एशियाई महाद्वीप भूमध्य सागर, अंध सागर, आर्कटिक महासागर, प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत शृंखला और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से एशिया को यूरोप से अलग करते है। कुछ सबसे प्राचीन मानव सभ्यताओं का जन्म इसी महाद्वीप पर हुआ था जैसे सुमेर, भारतीय सभ्यता, चीनी सभ्यता इत्यादि। चीन और भारत विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश भी हैं। पश्चिम में स्थित एक लंबी भू सीमा यूरोप को एशिया से पृथक करती है। तह सीमा उत्तर-दक्षिण दिशा में नीचे की ओर रूस में यूराल पर्वत तक जाती है, यूराल नदी के किनारे-किनारे कैस्पियन सागर तक और फिर काकेशस पर्वतों से होते हुए अंध सागर तक। रूस का लगभग तीन चौथाई भूभाग एशिया में है और शेष यूरोप में। चार अन्य एशियाई देशों के कुछ भूभाग भी यूरोप की सीमा में आते हैं। विश्व के कुल भूभाग का लगभग ३/१०वां भाग या ३०% एशिया में है और इस महाद्वीप की जनसंख्या अन्य सभी महाद्वीपों की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है, लगभग ३/५वां भाग या ६०%। उत्तर में बर्फ़ीले आर्कटिक से लेकर दक्षिण में ऊष्ण भूमध्य रेखा तक यह महाद्वीप लगभग ४,४५,७९,००० किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और अपने में कुछ विशाल, खाली रेगिस्तानों, विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों और कुछ सबसे लंबी नदियों को समेटे हुए है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और एशिया · और देखें »
तारिम द्रोणी
तारिम द्रोणी अंतरिक्ष से तारिम द्रोणी की तस्वीर तारिम क्षेत्र में मिला खरोष्ठी में लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी) तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)। वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और तारिम द्रोणी · और देखें »
ताजिकिस्तान
अंतरिक्ष से ताजिकिस्तान का मंज़र ताज़िकिस्तान (ताजिक: Тоҷикистон,, तोजिकिस्तोन) मध्य एशिया मे स्थित एक देश है जो चारों ओर से ज़मीन से घिरा (स्थलवेष्ठित) है। यह पहले सोवियत संघ का हिस्सा था और उस देश के विघटन के बाद सन् १९९१ में एक स्वतंत्र देश बना। १९९२-९७ के काल में गृहयुद्धों की मार झेल चुके इस देश की कूटनीतिक-भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। यह उज़बेकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, किर्गिज़स्तान तथा चीन के मध्य स्थित है। इसके अलावा पाकिस्तान के उत्तरी इलाके से इसे केवल अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त का पतला-सा वाख़ान गलियारा ही अलग करता है। ताजिकिस्तान की राजधानी दुशानबे शहर है और यहाँ की भाषा को ताजिक कहा जाता है जो फ़ारसी भाषा का एक रूप माना जाता है। इस भाषा को सीरीलिक अक्षरों में लिखा जाता है जिसमें रूसी तथा कुछ अन्य भाषाएँ भी लिखी जाती हैं। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और ताजिकिस्तान · और देखें »
तिब्बत
तिब्बत का भूक्षेत्र (पीले व नारंगी रंगों में) तिब्बत के खम प्रदेश में बच्चे तिब्बत का पठार तिब्बत (Tibet) एशिया का एक क्षेत्र है जिसकी भूमि मुख्यतः उच्च पठारी है। इसे पारम्परिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है। इसके प्रायः सम्पूर्ण भाग पर चीनी जनवादी गणराज्य का अधिकार है जबकि तिब्बत सदियों से एक पृथक देश के रूप में रहा है। यहाँ के लोगों का धर्म बौद्ध धर्म की तिब्बती बौद्ध शाखा है तथा इनकी भाषा तिब्बती है। चीन द्वारा तिब्बत पर चढ़ाई के समय (1955) वहाँ के राजनैतिक व धार्मिक नेता दलाई लामा ने भारत में आकर शरण ली और वे अब तक भारत में सुरक्षित हैं। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और तिब्बत · और देखें »
तिब्बत का पठार
तिब्बत का पठार हिमालय पर्वत शृंखला से लेकर उत्तर में टकलामकान रेगिस्तान तक फैला हुआ है तिब्बत का बहुत सा इलाक़ा शुष्क है तिब्बत का पठार (तिब्बती: བོད་ས་མཐོ།, बोड सा म्थो) मध्य एशिया में स्थित एक ऊँचाई वाला विशाल पठार है। यह दक्षिण में हिमालय पर्वत शृंखला से लेकर उत्तर में टकलामकान रेगिस्तान तक विस्तृत है। इसमें चीन द्वारा नियंत्रित बोड स्वायत्त क्षेत्र, चिंग हई, पश्चिमी सीश्वान, दक्षिण-पश्चिमी गांसू और उत्तरी यून्नान क्षेत्रों के साथ-साथ भारत का लद्दाख़ इलाक़ा आता है। उत्तर-से-दक्षिण तक यह पठार १,००० किलोमीटर लम्बा और पूर्व-से-पश्चिम तक २,५०० किलोमीटर चौड़ा है। यहाँ की औसत ऊँचाई समुद्र से ४,५०० मीटर (यानी १४,८०० फ़ुट) है और विशव के ८,००० मीटर (२६,००० फ़ुट) से ऊँचे सभी १४ पर्वत इसी क्षेत्र में या इसे इर्द-गिर्द पाए जाते हैं। इस इलाक़े को कभी-कभी "दुनिया की छत" कहा जाता है। तिब्बत के पठार का कुल क्षेत्रफल २५ लाख वर्ग किमी है, यानी भारत के क्षेत्रफल का ७५% और फ़्रांस के समूचे देश का चौगुना। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और तिब्बत का पठार · और देखें »
पामीर पर्वतमाला
पामीर (अंग्रेजी: Pamir Mountains, फ़ारसी), मध्य एशिया में स्थित एक प्रमुख पठार एवं पर्वत शृंखला है, जिसकी रचना हिमालय, तियन शान, काराकोरम, कुनलुन और हिन्दू कुश शृंखलाओं के संगम से हुआ है। पामीर विश्व के सबसे ऊँचे पहाड़ों में से हैं और १८वीं सदी से इन्हें 'विश्व की छत' कहा जाता है। इसके अलावा इन्हें इनके चीनी नाम 'कोंगलिंग' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ उगने वाले जंगली प्याज़ के नाम पर इन्हें प्याज़ी पर्वत भी कहा जाता था।, John Navazio, pp.
नई!!: कुनलुन पर्वत और पामीर पर्वतमाला · और देखें »
भारत
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और भारत · और देखें »
मध्य एशिया
मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.
नई!!: कुनलुन पर्वत और मध्य एशिया · और देखें »
मरूद्यान
ईनकेल्ट, यहूदिया मरूस्थल, इस्राइल में एक नखलिस्तान भौगोलिक संदर्भों में मरूद्यान, शाद्वल, मरूद्वीप अथवा नख़लिस्तान, किसी मरूस्थल में किसी झरने, चश्मा या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां किसी वनस्पति के उगने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध होती हैं। यदि यह क्षेत्र पर्याप्त रूप से बड़ा हो, तो यह पशुओं और मनुष्यों को भी प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराता है। मरूस्थलीय इलाकों में मरूद्यानों का हमेशा से व्यापार तथा परिवहन मार्गों के लिए विशेष महत्व का रहा है। पानी एवं खाद्य सामग्री की आपूर्ति के लिए काफिलों का मरूद्यानों से होकर गुज़रना आवश्यक है इसीलिए अधिकतर मामलों में किसी मरूद्यान पर राजनीतिक अथवा सैन्य नियंत्रण का तात्पर्य उस मार्ग पर होने वाले व्यापार पर नियंत्रण से भी है। उदहारण के तौर पर आधुनिक लीबिया में स्थित औजिला, घडामेस एवं कुफ्रा के मरूद्यान कई अवसरों पर सहारा के उत्तर-दक्षिणी एवं पूर्व-पश्चिमी व्यापार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। इका, पेरू में हुआकाचीना नखलिस्तान मरूद्यान किसी जलस्रोत जैसे कि भूमिगत नदी अथवा आर्टीसियन कूप आदि से निर्मित होते हैं, जहां जल दबाव द्वारा प्राकृतिक रूप से अथवा मानव निर्मित कुओं द्वारा सतह तक पहुंच सकता है। समय समय पर होने वाली वृष्टि भी किसी मरूद्यान के भूमिगत स्रोत को प्राकृतिक को जल उपलब्ध कराती है, जैसे कि टुयात.
नई!!: कुनलुन पर्वत और मरूद्यान · और देखें »
मंगोल भाषा
मंगोल भाषा बोलने वाले क्षेत्र मंगोल भाषा अलताइक भाषाकुल की तथा योगात्मक बनावट की भाषा है। यह मुख्यत: अनतंत्र मंगोल, भीतरी मंगोल के स्वतंत्र प्रदेश, बुरयात (Buriyad) मंगोल राज्य में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अरिरिक्त इसके बोलनेवाले मंचूरिया, चीन के कुछ क्षेत्र और तिब्बत तथा अफगानिस्तान आदि में भी पाए जाते हैं। अनुमान है कि इन सब क्षेत्रों में मंगोल भाषा बोलनेवालों की संख्या कोई 40 लाख होगी। इन विशाल क्षेत्रों में रहनेवाले मंगोल जाति के सब लोगों के द्वारा स्वीकृत कोई एक आदर्श भाषा नहीं है। परंतु तथाकथित मंगोलिया के अंदर जनतंत्र मंगोल की हलहा (Khalkha) बोली धीरे-धीरे आदर्श भाषा का पद ग्रहण कर रही है। स्वयं मंगोलिया के लोग भी इस हलहा बोली को परिष्कृत बोली मानते हैं और इसी बोली के निकट भविष्य में आदर्श भाषा बनने की संभावना है। प्राचीन काल में मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक मंगोल पढ़े-लिखे लोगों में आदर्श भाषा मानी जाती थी। परंतु अब यह मंगोल लिपि जनतंत्र मंगोलिया द्वारा त्याग दी गई है और इसकी जगह रूसी लिपि से बनाई गई नई मंगोल लिपि स्वीकार की गई है। इस प्रकार अब मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली साहित्यिक भाषा कम और नव मंगोल लिपि में लिखी जानेवाली हलहा बोली अधिक मान्य समझी जाने लगी है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और मंगोल भाषा · और देखें »
मुज़ताग़ अता
काराकोरम राजमार्ग से मुज़ताग़ अता का नज़ारा इस नक़्शे में मुज़ताग़ अता संख्यांक ४३ है (बाएँ, ऊपर की तरफ़) मुज़ताग़ अता या मुज़ताग़ाता (उइग़ुर:, अंग्रेज़ी: Muztagh Ata) तिब्बत के पठार के उत्तरी छोर की पहाड़ियों का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। इसकी ऊँचाई ७,५४६ मीटर है और उइग़ुर भाषा में इसके नाम 'मुज़' (बर्फ़), 'ताग़' (पर्वत) और 'अता' (पिता) जोड़कर बना है, यानि इसका पूरा मतलब 'पिता बर्फ़-पर्वत' है। मुज़ताग़ अता को कभी-कभी कुनलुन शान पर्वत-शृंखला का हिस्सा माना जाता है हालांकि भौगोलिक दृष्टि से यह पामीर पर्वतों के ज़्यादा समीप है। अपनी पश्चिमी मुख की आसान ढलान और शिनजियांग के शुष्क वातावरण की वजह से यह विश्व के ७,००० मीटर से ऊँचे पहाड़ों में चढ़ने में सबसे आसान वालों में से एक माना जाता है। यह कोंगुर ताग़ से ज़रा दक्षिण में है, जो कुनलुन शान का सबसे ऊँचा पहाड़ है।, Gyurme Dorje, Footprint Travel Guides, 1999, ISBN 978-1-900949-33-0,...
नई!!: कुनलुन पर्वत और मुज़ताग़ अता · और देखें »
योरुंगकाश नदी
योरुंगकाश नदी चीन के शिंजियांग प्रांत की कुनलुन पहाड़ी क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली एक नदी का नाम है। यह २०० किमी तक पूर्व की ओर बहती है और फिर २०० किमी उत्तर की तरफ, जिसके बाद यह प्रसिद्ध ख़ोतान नगर से उत्तर में निकलती है। इसके बाद यह टकलामकान रेगिस्तान में काराकाश नदी के साथ मिलकर फिर रेगिस्तानी रेतों में सूख जाती है, हालाँकि किसी-किसी मौसम में इसको पार करके इसका कुछ पानी तारिम नदी में जाकर विलय हो जाता है। इसके पूरे जलसम्भर का क्षेत्रफल लगभग १४,५७५ वर्ग किमी है। योरुंगकाश और काराकाश नदियाँ ख़ोतान शहर के लिए मुख्य पानी का स्रोत हैं।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, Clarendon Press, 1907,...
नई!!: कुनलुन पर्वत और योरुंगकाश नदी · और देखें »
राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन)
तिब्बत के रुतोग ज़िले में तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग पर लगी एक शिला राजमार्ग २१९ अक्साई चिन (गुलाबी रंग वाला क्षेत्र) से निकलता हुआ शिंजियांग और तिब्बत को जोड़ता है राष्ट्रीय राजमार्ग २१९, जिसे तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग भी कहा जाता है, चीन द्वारा निर्मित एक राजमार्ग है जो भारत की सीमा के नज़दीक शिंजियांग प्रान्त के कारगिलिक शहर से लेकर तिब्बत के शिगात्से विभाग के ल्हात्से शहर तक जाता है। इसकी कुल लम्बाई २,७४३ किलोमीटर है। इसका निर्माण सन् १९५१ में शुरू किया गया था और यह सड़क १९५७ तक पूरी हो गई। यह राजमार्ग भारत के अक्साई चिन इलाक़े से निकलता है जिसपर चीन ने १९५० के दशक में क़ब्ज़ा कर लिया था और जिसको लेकर १९६२ का भारत-चीन युद्ध भी भड़क गया। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन) · और देखें »
ल्हासा
ल्हासा चीन के स्वायत्त प्रांत तिब्बत की राजधानी है। श्रेणी:तिब्बत के नगर श्रेणी:ल्हासा विभाग श्रेणी:तिब्बत के विभाग श्रेणी:चीनी जनवादी गणराज्य के नगर.
नई!!: कुनलुन पर्वत और ल्हासा · और देखें »
शिंजियांग
चीन का नक़्शा, शिंजियांग गहरे लाल रंग में शिन्जियांग में काराकोरम राजमार्ग के नज़दीक का दृश्य तियांची सरोवर बुरचिन ज़िले में एक नदी शिंजियांग (उइग़ुर:, अंग्रेज़ी: Xinjiang, चीनी: 新疆) जनवादी गणराज्य चीन का एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है। ये एक रेगिस्तानी और शुष्क इलाक़ा है इसलिए इस की आबादी बहुत कम है। शिंजियांग की सरहदें दक्षिण में तिब्बत और भारत, दक्षिण-पूर्व में चिंग हई और गांसू, पूर्व में मंगोलिया, उत्तर में रूस और पश्चिम में क़ाज़क़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से मिलती हैं। भारत का अक्साई चिन का इलाका भी, जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है, प्रशासनिक रूप से शिंजियांग में शामिल है।, S. Frederick Starr, M.E. Sharpe, 2004, ISBN 978-0-7656-1318-9 शिंजियांग की राजधानी उरुमची नाम का शहर है, जबकि इसका सबसे बड़ा नगर काश्गर है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और शिंजियांग · और देखें »
वेई नदी (चीन)
वेई नदी का जलसम्भर क्षेत्र पश्चिमी झोऊ राजवंश (१०५०-७७१ ईपू) के ज़माने में चीनी आबादियाँ - इसमें वेई के किनारे लोगों के बसेरे साफ़ दिखते हैं वेई नदी या वेई हो (渭河, वेई हो; We River) चीन के गांसू और शान्शी प्रान्तों में बहने वाली ८१८ की लम्बी एक नदी है जो प्रसिद्ध पीली नदी (ह्वांग हो) की सबे बड़ी उपनदी भी है। वेई नदी का स्रोत गांसू प्रांत के वेईयुआन ज़िले (Weiyuan) में है - दरसल चीनी भाषा में 'वेई युआन' का मतलब ही 'वेई का स्रोत' है। वेई नदी का कुल जलसम्भर क्षेत्रफल १,३५,००० वर्ग किमी है। इसकी मुख्य उपनदियाँ लुओ नदी, जिंग नदी और चिशुई नदी हैं।, Tetsuya Kusuda, World Scientific, 2010, ISBN 978-981-4280-95-2,...
नई!!: कुनलुन पर्वत और वेई नदी (चीन) · और देखें »
गोबी मरुस्थल
गोबी मरुस्थल, चीन और मंगोलिया में स्थित है। यह विश्व के सबसे बड़े मरुस्थलों में से एक है। गोबी दुनिया के ठंडे रेगिस्तानों में एक है, जहां तापमान शून्य से चालीस डिग्री नीचे तक चला जाता है। गोबी मरुस्थल एशिया महाद्वीप में मंगोलिया के अधिकांश भाग पर फैला हुआ है। यह मरुस्थल संसार के सबसे मरुस्थलों में से एक है। 'गोबी' एक मंगोलियन शब्द है, जिसका अर्थ होता है- 'जलरहित स्थान'। आजकल गोबी मरूस्थल एक रेगिस्तान है, लेकिन प्राचीनकाल में यह ऐसा नहीं था। इस क्षेत्र के बीच-बीच में समृद्धशाली भारतीय बस्तियाँ बसी हुई थीं। गोबी मरुस्थल पश्चिम में पामीर की पूर्वी पहाड़ियों से लेकर पूर्व में खिंगन पर्वतमालाओं तक तथा उत्तर में अल्ताई, खंगाई तथा याब्लोनोई पर्वतमालाओं से लेकर दक्षिण में अल्ताइन तथा नानशान पहाड़ियों तक फैला है। इस मरुस्थल का पश्चिमी भाग तारिम बेसिन का ही एक हिस्सा है। यह संसार का पांचवां बड़ा और एशिया का सबसे विशाल रेगिस्तान है। सहारा रेगिस्तान की भांति ही इस रेगिस्तान को भी तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है- 1.
नई!!: कुनलुन पर्वत और गोबी मरुस्थल · और देखें »
गोलमुद
गोलमुद रेल स्टेशन चीन के नक़्शे पर गोलमुद की स्थिति गोलमुद (मंगोलियाई: Голмуд; तिब्बती: ན་གོར་མོ་; चीनी: 格尔木), जिसे चीनी लोग कभी-कभी 'गीरमू' उच्चारित करते हैं, पश्चिमी चीन के चिंगहई प्रांत में एक शहर और ज़िले का नाम है। यह चिंगहई प्रांत की दूसरा सब से बड़ा नगर और तिब्बत के पठार पर स्थित तीसरा सब से बड़ा नगर है। सन् १९९९ की जनगणना में इसकी आबादी लगभग २ लाख थी और इस ज़िले का क्षेत्रफल लगभग १२४,५०० वर्ग किमी है। इस शहर का नाम मंगोल भाषा से लिया गया है जिसकी पश्चिमी उपभाषा में इसका अर्थ 'नदियाँ' होता है। गोलमुद कुनलुन पर्वतों के काफ़ी पास है और यह पहाड़ शहर के दक्षिण में पड़ते हैं। उत्तर में चाई एर्हान (Cai Erhan) नाम की एक खारी झील स्थित है जो पर्यटकों के लिए दिलचस्प मानी जाती है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और गोलमुद · और देखें »
काराकाश नदी
तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग से पश्चिमी कुनलुन पर्वतों में काराकाश नदी का नज़ारा काराकाश नदी भारत के अक्साई चिन क्षेत्र के कराकोरम पर्वतों में सुम्दे इलाक़े से उत्पन्न होकर चीन के शिंजियांग प्रांत की कुनलुन पहाड़ी क्षेत्र से गुज़रकर टकलामकान रेगिस्तान में जाने वाली एक नदी का नाम है। वर्तमान में अक्साई चिन पर चीन का क़ब्ज़ा है इसलिए वह इस पूरी नदी को अपना ही मानता है। इस नदी में हरे और सफ़ेद रंग के हरिताश्म (जेड) के मूल्यवान पत्थर मिलते हैं, जिस से इसका नाम भी पड़ा है। कुछ दूरी पर इसके साथ-साथ एक योरुंगकाश नाम की अन्य नदी भी चलती है। यह दोनों नदियाँ प्रसिद्ध ख़ोतान नगर के लिए मुख्य पानी का स्रोत हैं।, Sir Aurel Stein, Archaeological Survey of India, Clarendon Press, 1907,...
नई!!: कुनलुन पर्वत और काराकाश नदी · और देखें »
कुनलुन देवी
कुनलुन शान शृंखला के पश्चिमी भाग में स्थित है कुनलुन देवी (अंग्रेज़ी: Kunlun Goddess, कुनलुन गॉडॅस), जिसे चीनी भाषा में लिउशी शान भी कहा जाता है मध्य एशिया की कुनलुन पर्वत शृंखला का सब से ऊँचा पर्वत है। यह चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत और शिंजियांग प्रान्तों की सीमा पर स्थित है। कुनलुन देवी की ऊँचाई ७,१६७ मीटर (२३,५१४ फ़ुट) है।http://www.peakbagger.com/peak.aspx?pid.
नई!!: कुनलुन पर्वत और कुनलुन देवी · और देखें »
कोंगुर ताग़
कोंगुर ताग़ का नज़ारा कोंगुर ताग़ (उइग़ुर:, मंगोल: Хонгор Таг, अंग्रेज़ी: Kongur Tagh) कुनलुन शान पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ है। वैसे तो यह ७,६४९ मीटर (२५,०९५ फ़ुट) ऊँचा पर्वत अपने समीपी मुज़ताग़ अता पहाड़ (जो कुनलुन शान का दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है) के बहुत पास है, लेकिन अधिक दुर्गम स्थल में होने से कम जाना जाता है। आधुनिक काल में काराकोरम राजमार्ग के बन जाने से अब कोंगुर ताग़ तक पहुँचना आसान हो गया है। यह चीन के शिनजियांग प्रांत का सबसे ऊँचा पर्वत भी है। पामीर पर्वतों के नज़दीक होने से कोंगुर ताग़ को कभी-कभी उस पर्वतमाला का हिस्सा भी माना जाता है।, Gyurme Dorje, Footprint Travel Guides, 1999, ISBN 978-1-900949-33-0,...
नई!!: कुनलुन पर्वत और कोंगुर ताग़ · और देखें »
अक्साई चिन
अक्साई चिन या अक्सेचिन (उईग़ुर:, सरलीकृत चीनी: 阿克赛钦, आकेसैचिन) चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है। ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है। भारत से तुर्किस्तान का व्यापार मार्ग लद्दाख़ और अक्साई चिन के रास्ते से होते हुए काश्गर शहर जाया करता था।, Prakash Charan Prasad, Abhinav Publications, 1977, ISBN 978-81-7017-053-2 १९५० के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक ज़िले का हिस्सा बनाया है। .
नई!!: कुनलुन पर्वत और अक्साई चिन · और देखें »
यहां पुनर्निर्देश करता है:
कुनलुन, कुनलुन पर्वत शृंखला, कुनलुन पर्वतों, कुनलुन शान।