कुण्डलिनी और मानव शरीर
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कुण्डलिनी और मानव शरीर के बीच अंतर
कुण्डलिनी vs. मानव शरीर
योग सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के मेरुदंड के नीचे एक ऊर्जा संग्रहीत होती है जिसके जाग्रत होने पर स्वयंज्ञान की प्राप्ति होती है। इसका ज़िक्र उपनिषदों और शाक्त विचारधारा के अन्दर कई बार आया है। ऊर्जा का यह रूप (क्वाईल या कुंडली) एक सांप के साढ़े तीन कुंडली (लपेटे हुए) मारकर बैठे हुए रूप से मिलती है। इसके अनुसार ध्यान और आसन करने से, यह ऊर्जा मेरु के नीचे से होकर मस्तिष्क तक 7 चक्रों से होकर गुजरती है। . मानव शरीर मानव शरीर एक मानव जीव की संपूर्ण संरचना है, जिसमें एक सिर, गर्दन, धड़, दो हाथ और दो पैर होते हैं। किसी मानव के वयस्क होने तक उसका शरीर लगभग 50 ट्रिलियन कोशिकाओं, जो कि जीवन की आधारभूत इकाई हैं, से मिल कर बना होता है। इन कोशिकाओं के जीववैज्ञानिक संगठन से अंतत: पूरे शरीर की रचना होती है। .
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संदर्भ
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