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कुजुल कडफिसेस और युएझ़ी लोग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कुजुल कडफिसेस और युएझ़ी लोग के बीच अंतर

कुजुल कडफिसेस vs. युएझ़ी लोग

यूनानी में लिखा है 'ΚΟΖΟΛΑ ΚΑΔΑΦΕΣ ΧΟϷΑΝΟΥ ΖΑΟΟΥ', 'कुजुल कडफिसेस ख़ोशानोउ ज़ाओओउ', यानि 'कुजुल कडफिसेस, कुषाणों का शासक' कुजुल कडफिसेस (Κοζουλου Καδφιζου, Kujula Kadphises) एक कुषाण राजकुंवर था जिसने पहली सदी ईसवी में युएझ़ी परिसंघ को संगठित किया और पहला कुषाण सम्राट बना। अफ़ग़ानिस्तान के बग़लान प्रान्त में सुर्ख़ कोतल नामक पुरातन स्थल में पाए गए रबातक शिलालेख के अनुसार कुजुल कडफिसेस प्रसिद्ध कुषाण सम्राट कनिष्क का पड़-दादा था। कुजुल के सिक्कों पर अक्सर खरोष्ठी और यूनानी लिपि मिलती है।, Ahmad Hasan Dani, Motilal Banarsidass Publishers, 1999, ISBN 978-81-208-1408-0,... समय के साथ मध्य एशिया में युएझ़ी लोगों का विस्तार, १७६ ईसापूर्व से ३० ईसवी तक यूइची (Yue-Tche) या युएझ़ी, युएज़ी या रुझ़ी (अंग्रेज़ी: Yuezhi, चीनी: 月支, 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें, यह 'झ' से भिन्न है) प्राचीन काल में मध्य एशिया में बसने वाली एक जाति थी। माना जाता है कि यह एक हिन्द-यूरोपीय लोग थे जो शायद तुषारी लोगों से सम्बंधित रहें हों। शुरू में यह तारिम द्रोणी के पूर्व के शुष्क घास के मैदानी स्तेपी इलाक़े के वासी थे, जो आधुनिक काल में चीन के शिंजियांग और गांसू प्रान्तों में पड़ता है। समय के साथ वे मध्य एशिया के अन्य इलाक़ों, बैक्ट्रिया और भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी क्षेत्रों में फैल गए। संभव है कि भारत के कुशान साम्राज्य की स्थापना में भी उनका हाथ रहा हो।, Madathil Mammen Ninan, 2008, ISBN 978-1-4382-2820-4,...

कुजुल कडफिसेस और युएझ़ी लोग के बीच समानता

कुजुल कडफिसेस और युएझ़ी लोग आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): कनिष्क, कुषाण राजवंश

कनिष्क

कनिष्क प्रथम (Κανηϸκι, Kaneshki; मध्य चीनी भाषा: 迦腻色伽 (Ka-ni-sak-ka > नवीन चीनी भाषा: Jianisejia)), या कनिष्क महान, द्वितीय शताब्दी (१२७ – १५० ई.) में कुषाण राजवंश का भारत का एक महान् सम्राट था। वह अपने सैन्य, राजनैतिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धियों तथा कौशल हेतु प्रख्यात था। इस सम्राट को भारतीय इतिहास एवं मध्य एशिया के इतिहास में अपनी विजय, धार्मिक प्रवृत्ति, साहित्य तथा कला का प्रेमी होने के नाते विशेष स्थान मिलता है। कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कडफिसेस का ही एक वंशज, कनिष्क बख्त्रिया से इस साम्राज्य पर सत्तारूढ हुआ, जिसकी गणना एशिया के महानतम शासकों में की जाती है, क्योंकि इसका साम्राज्य तरीम बेसिन में तुर्फन से लेकर गांगेय मैदान में पाटलिपुत्र तक रहा था जिसमें मध्य एशिया के आधुनिक उजबेकिस्तान तजाकिस्तान, चीन के आधुनिक सिक्यांग एवं कांसू प्रान्त से लेकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और समस्त उत्तर भारत में बिहार एवं उड़ीसा तक आते हैं। पर कुषाण।अभिगमन तिथि: १५ फ़रवरी, २०१७ इस साम्राज्य की मुख्य राजधानी पेशावर (वर्तमान में पाकिस्तान, तत्कालीन भारत के) गाँधार प्रान्त के नगर पुरुषपुर में थी। इसके अलावा दो अन्य बड़ी राजधानियां प्राचीन कपिशा में भी थीं। उसकी विजय यात्राओं तथा बौद्ध धर्म के प्रति आस्था ने रेशम मार्ग के विकास तथा उस रास्ते गांधार से काराकोरम पर्वतमाला के पार होते हुए चीन तक महायान बौद्ध धर्म के विस्तार में विशेष भूमिका निभायी। पहले के इतिहासवेत्ताओं के अनुसार कनिष्क ने राजगद्दी ७८ ई० में प्राप्त की, एवं तभी इस वर्ष को शक संवत् के आरम्भ की तिथि माना जाता है। हालांकि बाद के इतिहासकारों के मतानुसार अब इस तिथि को कनिष्क के सत्तारूढ़ होने की तिथि नहीं माना जाता है। इनके अनुमानानुसार कनिष्क ने सत्ता १२७ ई० में प्राप्त की थी। .

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कुषाण राजवंश

कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं। कुछ विद्वानो इनका सम्बन्ध रबातक शिलालेख पर अन्कित शब्द गुसुर के जरिये गुर्जरो से भी बताते हैं। सर्वाधिक प्रमाणिकता के आधार पर कुषाण वन्श को चीन से आया हुआ माना गया है। लगभग दूसरी शताब्दी ईपू के मध्य में सीमांत चीन में युएझ़ी नामक कबीलों की एक जाति हुआ करती थी जो कि खानाबदोशों की तरह जीवन व्यतीत किया करती थी। इसका सामना ह्युगनु कबीलों से हुआ जिसने इन्हें इनके क्षेत्र से खदेड़ दिया। ह्युगनु के राजा ने ह्यूची के राजा की हत्या कर दी। ह्यूची राजा की रानी के नेतृत्व में ह्यूची वहां से ये पश्चिम दिशा में नये चरागाहों की तलाश में चले। रास्ते में ईली नदी के तट पर इनका सामना व्ह्सुन नामक कबीलों से हुआ। व्ह्सुन इनके भारी संख्या के सामने टिक न सके और परास्त हुए। ह्यूची ने उनके चरागाहों पर अपना अधिकार कर लिया। यहां से ह्यूची दो भागों में बंट गये, ह्यूची का जो भाग यहां रुक गया वो लघु ह्यूची कहलाया और जो भाग यहां से और पश्चिम दिशा में बढा वो महान ह्यूची कहलाया। महान ह्यूची का सामना शकों से भी हुआ। शकों को इन्होंने परास्त कर दिया और वे नये निवासों की तलाश में उत्तर के दर्रों से भारत आ गये। ह्यूची पश्चिम दिशा में चलते हुए अकसास नदी की घाटी में पहुँचे और वहां के शान्तिप्रिय निवासिओं पर अपना अधिकार कर लिया। सम्भवतः इनका अधिकार बैक्ट्रिया पर भी रहा होगा। इस क्ष्रेत्र में वे लगभग १० वर्ष ईपू तक शान्ति से रहे। चीनी लेखक फान-ये ने लिखा है कि यहां पर महान ह्यूची ५ हिस्सों में विभक्त हो गये - स्यूमी, कुई-शुआंग, सुआग्म,,। बाद में कुई-शुआंग ने क्यु-तिसी-क्यो के नेतृत्व में अन्य चार भागों पर विजय पा लिया और क्यु-तिसी-क्यो को राजा बना दिया गया। क्यु-तिसी-क्यो ने करीब ८० साल तक शासन किया। उसके बाद उसके पुत्र येन-काओ-ट्चेन ने शासन सम्भाला। उसने भारतीय प्रान्त तक्षशिला पर विजय प्राप्त किया। चीनी साहित्य में ऐसा विवरण मिलता है कि, येन-काओ-ट्चेन ने ह्येन-चाओ (चीनी भाषा में जिसका अभिप्राय है - बड़ी नदी के किनारे का प्रदेश जो सम्भवतः तक्षशिला ही रहा होगा)। यहां से कुई-शुआंग की क्षमता बहुत बढ़ गयी और कालान्तर में उन्हें कुषाण कहा गया। .

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कुजुल कडफिसेस और युएझ़ी लोग के बीच तुलना

कुजुल कडफिसेस 9 संबंध है और युएझ़ी लोग 20 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 6.90% है = 2 / (9 + 20)।

संदर्भ

यह लेख कुजुल कडफिसेस और युएझ़ी लोग के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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