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किशोरावस्था और यूटा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

किशोरावस्था और यूटा के बीच अंतर

किशोरावस्था vs. यूटा

किशोरावस्था मनुष्य के जीवन का बसंतकाल माना गया है। यह काल बारह से उन्नीस वर्ष तक रहता है, परंतु किसी किसी व्यक्ति में यह बाईस वर्ष तक चला जाता है। यह काल भी सभी प्रकार की मानसिक शक्तियों के विकास का समय है। भावों के विकास के साथ साथ बालक की कल्पना का विकास होता है। उसमें सभी प्रकार के सौंदर्य की रुचि उत्पन्न होती है और बालक इसी समय नए नए और ऊँचे ऊँचे आदर्शों को अपनाता है। बालक भविष्य में जो कुछ होता है, उसकी पूरी रूपरेखा उसकी किशोरावस्था में बन जाती है। जिस बालक ने धन कमाने का स्वप्न देखा, वह अपने जीवन में धन कमाने में लगता है। इसी प्रकार जिस बालक के मन में कविता और कला के प्रति लगन हो जाती है, वह इन्हीं में महानता प्राप्त करने की चेष्टा करता और इनमें सफलता प्राप्त करना ही वह जीवन की सफलता मानता है। जो बालक किशोरावस्था में समाज सुधारक और नेतागिरी के स्वप्न देखते हैं, वे आगे चलकर इन बातों में आगे बढ़ते है। पश्चिम में किशोर अवस्था का विशेष अध्ययन कई मनोवैज्ञानिकों ने किया है। किशोर अवस्था काम भावना के विकास की अवस्था है। कामवासना के कारण ही बालक अपने में नवशक्ति का अनुभव करता है। वह सौंदर्य का उपासक तथा महानता का पुजारी बनता है। उसी से उसे बहादुरी के काम करने की प्रेरणा मिलती है। किशोर अवस्था शारीरिक परिपक्वता की अवस्था है। इस अवस्था में बच्चे की हड्डियों में दृढ़ता आती है; भूख काफी लगती है। कामुकता की अनुभूति बालक को 13 वर्ष से ही होने लगती है। इसका कारण उसके शरीर में स्थित ग्रंथियों का स्राव होता है। अतएव बहुत से किशोर बालक अनेक प्रकार की कामुक क्रियाएँ अनायास ही करने लगते हैं। जब पहले पहल बड़े लोगों को इसकी जानकारी होती है तो वे चौंक से जाते हैं। आधुनिक मनोविश्लेषण विज्ञान ने बालक की किशोर अवस्था की कामचेष्टा को स्वाभाविक बताकर, अभिभावकों के अकारण भय का निराकरण किया है। ये चेष्टाएँ बालक के शारीरिक विकास के सहज परिणाम हैं। किशोरावस्था की स्वार्थपरता कभी कभी प्रौढ़ अवस्था तक बनी रह जाती है। किशोरावस्था का विकास होते समय किशोर को अपने ही समान लिंग के बालक से विशेष प्रेम होता है। यह जब अधिक प्रबल होता है, तो समलिंगी कामक्रियाएँ भी होने लगती हैं। बालक की समलिंगी कामक्रियाएँ सामाजिक भावना के प्रतिकूल होती हैं, इसलिए वह आत्मग्लानि का अनुभव करता है। अत: वह समाज के सामने निर्भीक होकर नहीं आता। समलिंगी प्रेम के दमन के कारण मानसिक ग्रंथि मनुष्य में पैरानोइया नामक पागलपन उत्पन्न करती है। इस पागलपन में मनुष्य एक ओर अपने आपको अत्यंत महान व्यक्ति मानने लगता है और दूसरी ओर अपने ही साथियों को शत्रु रूप में देखने लगता है। ऐसी ग्रंथियाँ हिटलर और उसके साथियों में थीं, जिसके कारण वे दूसरे राष्ट्रों की उन्नति नहीं देख सकते थे। इसी के परिणामस्वरूप द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ा। किशोर बालक उपर्युक्त मन:स्थितियों को पार करके, विषमलिंगी प्रेम अपने में विकसित करता है और फिर प्रौढ़ अवस्था आने पर एक विषमलिंगी व्यक्ति को अपना प्रेमकेंद्र बना लेता है, जिसके साथ वह अपना जीवन व्यतीत करता है। कामवासना के विकास के साथ साथ मनुष्य के भावों का विकास भी होता है। किशोर बालक के भावोद्वेग बहुत तीव्र होते हैं। वह अपने प्रेम अथवा श्रद्धा की वस्तु के लिए सभी कुछ त्याग करने को तैयार हो जाता है। इस काल में किशोर बालकों को कला और कविता में लगाना लाभप्रद होता है। ये काम बालक को समाजोपयोगी बनाते हैं। किशोर बालक सदा असाधारण काम करना चाहता है। वह दूसरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है। जब तक वह इस कार्य में सफल होता है, अपने जीवन को सार्थक मानता है और जब इसमें वह असफल हो जाता है तो वह अपने जीवन को नीरस एवं अर्थहीन मानने लगता है। किशोर बालक के डींग मारने की प्रवृत्ति भी अत्यधिक होती है। वह सदा नए नए प्रयोग करना चाहता है। इसके लिए दूर दूर तक घूमने में उसकी बड़ी रुचि रहती है। किशोर बालक का बौद्धिक विकास पर्याप्त होता है। उसकी चिंतन शक्ति अच्छी होती है। इसके कारण उसे पर्याप्त बौद्धिक कार्य देना आवश्यक होता है। किशोर बालक में अभिनय करने, भाषणा देने तथा लेख लिखने की सहज रुचि होती है। अतएव कुशल शिक्षक इन साधनों द्वारा किशोर का बौद्धिक विकास करते हैं। किशोर बालक की सामाजिक भावना प्रबल होती है। वह समाज में सम्मानित रहकर ही जीना चाहता है। वह अपने अभिभावकों से भी सम्मान की आशा करता है। उसके साथ 10, 12 वर्ष के बालकों जैसा व्यवहार करने से, उसमें द्वेष की मानसिक ग्रंथियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, जिससे उसकी शक्ति दुर्बल हो जाती है और अनेक प्रकार के मानसिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। बालक का जीवन दो नियमों के अनुसार विकसित होता है, एक सहज परिपक्वता का नियम और दूसरा सीखने का नियम। बालक के समुचित विकास के लिए, हमें उसे जल्दी जल्दी कुछ भी न सिखाना चाहिए। सीखने का कार्य अच्छा तभी होता है जब वह सहज रूप से होता है। बालक जब सहज रूप से अपनी सभी मानसिक अवस्थाएँ पार करता है तभी वह स्वस्थ और योग्य नागरिक बनता है। कोई भी व्यक्ति न तो एकाएक बुद्धिमान होता है और न परोपकारी बनता है। उसकी बुद्धि अनुभव की वृद्धि के साथ विकसित होती है और उसमें परोपकार, दयालुता तथा बहादुरी के गुण धीरे धीरे ही आते हैं। उसकी इच्छाओं का विकास क्रमिक होता है। पहले उसकी न्यून कोटि की इच्छाएँ जाग्रत होती हैं और जब इनकी समुचित रूप से तृप्ति होती है तभी उच्च कोटि की इच्छाओं का आविर्भाव होता है। यह मानसिक परिपक्वता के नियम के अनुसार है। ऐसे ही व्यक्ति के चरित्र में स्थायी सद्गुणों का विकास होता है और ऐसा ही व्यक्ति अपने कार्यों से समाज को स्थायी लाभ पहुँचाता है। . संयुक्त राज्य अमेरिका में यूटा राज्य की भौगोलिक स्थिति यूटा (अंग्रेज़ी: Utah) संयुक्त राज्य अमेरिका की मुख्यभूमि के पश्चिमी अर्ध-भाग के मध्य में स्थित एक राज्य है। 4 जनवरी 1896 को अमेरिकी संघ में सम्मिलित होने वाला यह 45वाँ राज्य था। यह अमेरिका का क्षेत्रफल के आधार पर तेरहवाँ सबसे बड़ा, जनसंख्या के आधार पर तेतीसवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या घनत्व के आधार पर दसवाँ सबसे कम सघन राज्य है। यूटा का क्षेत्रफल 2,19,887 वर्ग किमी है और कुल जनसंख्या लगभग 29 लाख है जिसमें से 80% के लगभग लोग सॉल्ट लेक सिटी केन्द्रित वॉसाच फ़्रण्ट के आसपास निवास करते हैं। इस राज्य का जनसंख्या घनत्व 13.2/किमी2 है। यूटा की सीमाएँ पूर्व में कॉलोराडो, पूर्वोत्तर में वायोमिंग, उत्तर में इडाहो, दक्षिण में एरिज़ोना, और पश्चिम में नेवादा राज्यों से मिलती हैं। दक्षिण-पश्चिम में नया मेक्सिको का एक कोना भी यूटा की सीमा से मिलता है। लगभग 62% यूटावासी मॉर्मन सम्प्रदाय (ईसाई धर्म का एक सम्प्रदाय) को मानने वाले हैं और यह सम्प्रदाय यूटा की संस्कृति और दैनिक जीवन को बहुत प्रभावित करता है। चर्च ऑफ़ जीज़स क्राइस्ट ऑफ़ लेटर डे सेण्ट्स का वैश्विक मुख्यालय इस राज्य की राजधानी सॉल्ट लेक सिटी में स्थित है। यूटा अमेरिका का धार्मिक दृष्टि से सर्वाधिक सजातीय राज्य है और मॉर्मन सम्प्रदाय की बहुलता वाला एकमात्र राज्य है और एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ की अधिकतर जनसंख्या केवल एक ही चर्च की सदस्य है। यह राज्य परिवहन, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और शोध, सरकारी सेवाओं, और खनन का एक केन्द्र है; और बाहरी मनोरंजन के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। 2013 में संयुक्त राज्य जनगणना ब्यूरो के अनुमान अनुसार यूटा की जनसंख्या अमेरिका में दूसरी सर्वाधिक तेजी से बढ़ रही है। सेण्ट जॉर्ज 2000 से 2005 के बीच सबसे तेजी से बढ़ने वाला महानगरीय क्षेत्र था। यूटा की मध्य-मूल्य औसत आय भी अमेरिकी राज्यों में 14वें स्थान पर थी और समायोजित जीवन यापन की लागत के आधार पर दूसरे। इस राज्य की मध्य-मूल्य औसत आय 50,614 $ है। एक 2012 गैलप राष्ट्रीय सर्वेक्षण अनुसार यूटा समग्र रूप से 13 दूरन्देशी मापकों के आधार पर रहने के लिए "सबसे अच्छा राज्य" था जैसे आर्थिक, जीवन-शैली, और स्वास्थ्य सम्बन्धी अवेक्षणी मात्रिक इत्यादि। .

किशोरावस्था और यूटा के बीच समानता

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किशोरावस्था और यूटा के बीच तुलना

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संदर्भ

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