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किन्नर (हीन ग्रह) और बिखरा चक्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

किन्नर (हीन ग्रह) और बिखरा चक्र के बीच अंतर

किन्नर (हीन ग्रह) vs. बिखरा चक्र

सौर मण्डल की कुछ वस्तुएँ - हरे रंग में काइपर घेरे की वस्तुएँ हैं - किन्नर नारंगी रंग की वह वस्तुएँ हैं जो काइपर घेरे के अन्दर लेकिन क्षुद्रग्रह घेरे के बाहर हैं किन्नर या सॅन्टॉर ऐसे हीन ग्रह को कहा जाता है जिसमें क्षुद्रग्रह (ऐस्टरौएड) और धूमकेतु (कॉमॅट) दोनों के लक्षण हों। इनका नाम किन्नर नाम की काल्पनिक जाती पर पड़ा है जो घोड़े और मनुष्य का मिश्रण थे। किन्नरों की कक्षाएँ ऐसी होती हैं के वे एक या एक से अधिक गैस दानव ग्रहों की कक्षाओं को पार करते हैं। इनकी कक्षाएँ बहुत ही बेढंगी होती हैं और अक्सर बड़े ग्रहों के पास आने से उनके गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से बदलती रहती हैं। ज़्यादातर किन्नरों का जीवनकाल १० लाख वर्षों से अधिक नहीं होता। या तो वे सूरज या किसी बड़े ग्रह से टकरा जाते हैं, या फिर किसी बड़े ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से गुलेल की तरह सौर मंडल के बाहर फेंक दिए जाते हैं। . डिस्नोमिआ भी देखा जा सकता है बिखरा चक्र या स्कैटर्ड डिस्क (अंग्रेज़ी:scattered disk) हमारे सौर मण्डल का एक बाहरी क्षेत्र है। यह वरुण-पार वस्तुओं के बड़े क्षेत्र का एक उपक्षेत्र है। इसमें बहुत से बर्फ़ीले हीन ग्रह हैं लेकिन यह अधिकतर एक-दुसरे से काफ़ी दूर हैं जिस से यह क्षेत्र बहुत ख़ाली सा है। माना जाता है के इनमें से कुछ हमारे सौर मण्डल के गैस दानव ग्रहों के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से इस क्षेत्र में फेंके गए हैं। इनमें से बहुत सी वस्तुएँ सूरज की परिक्रमा बड़ी टेढ़ी-मेढ़ी कक्षाओं में कर रहे हैं, जो इस बात का संकेत है के इन्हें किसी बड़े ग्रह ने अपने गुरुत्वाकर्षण के थपेड़ों से इन्हें गुलेल की तरह यहाँ फेंक दिया है। यह वस्तुएँ परिक्रमा करते हुए कभी तो सूरज से ३५ खगोलीय इकाई की दूरी पर पहुँच जाती हैं और फिर कभी १०० ख॰ई॰ से भी दूर चली जाती हैं। ऍरिस, जो सौर मण्डल का सब से बड़ा बौना ग्रह है, बिखरे चक्र की सब से बड़ी ज्ञात वस्तु भी है। .

किन्नर (हीन ग्रह) और बिखरा चक्र के बीच समानता

किन्नर (हीन ग्रह) और बिखरा चक्र आम में 5 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): सौर मण्डल, हीन ग्रह, गुरुत्वाकर्षण, गैस दानव, कक्षा (भौतिकी)

सौर मण्डल

सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

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हीन ग्रह

हीन ग्रह ऐसी खगोलीय वस्तुओं को कहा जाता है जो सौर मण्डल में सूरज की परिक्रमा तो करती हैं लेकिन ना तो वह इतनी बड़ी हैं के उन्हें ग्रह या बौना ग्रह बुलाया जाए और न ही वे धूमकेतु की श्रेणी में आती हैं। "हीन ग्रह केंद्र" नाम का संगठन ऐसे हीन ग्रहों के नाम और कक्षाएँ दर्ज करता है और यहाँ पर ५ लाख से अधिक हीन ग्रहों को दर्ज किया गया है। इनमें से सर्वाधिक हीन ग्रह सौर मंडल के क्षुद्रग्रह घेरे में पाए जाते हैं। .

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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गैस दानव

हमारे सौर मण्डल के चार गैस दानव - सूर्य के आगे दर्शाए गए गैस दानव उन ग्रहों को कहा जाता है जिनमें मिटटी-पत्थर की बजाय ज़्यादातर गैस ही गैस होती है और जिनका आकार बहुत ही विशाल होता है। हमारे सौर मण्डल में चार ग्रह इस श्रेणी में आते हैं - बृहस्पति, शनि, अरुण (युरेनस)) और वरुण (नॅप्टयून)। इनमें पायी जाने वाली गैस ज़्यादातर हाइड्रोजन और हीलियम होती है, हालाँकि इनमें अक्सर और गैसें भी मिलती हैं, जैसे कि अमोनिया। अन्य सौर मंडलों में बहुत से गैस दानव ग्रह पाए जा चुके हैं। .

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कक्षा (भौतिकी)

दिक् में एक बिंदु के इर्द-गिर्द अपनी अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा करती दो अलग आकारों की वस्तुएँ भौतिकी में कक्षा या ऑर्बिट दिक् (स्पेस) में स्थित एक बिंदु के इर्द-गिर्द एक मार्ग को कहते हैं जिसपर चलकर कोई वस्तु उस बिंदु की परिक्रमा करती है। खगोलशास्त्र में अक्सर उस बिंदु पर कोई बड़ा तारा या ग्रह स्थित होता है जिसके इर्द-गिर्द कोई छोटा ग्रह या उपग्रह अपनी कक्षा में उसकी परिक्रमा करता है। यदि खगोलीय वस्तुओं की कक्षाओं को देखा जाए तो कई भिन्न तरह की कक्षाएँ देखी जाती हैं - कुछ गोलाकार हैं, कुछ अण्डाकार हैं और कुछ इन से अधिक पेचीदा हैं। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना * श्रेणी:ज्योतिष पक्ष.

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

किन्नर (हीन ग्रह) और बिखरा चक्र के बीच तुलना

किन्नर (हीन ग्रह) 10 संबंध है और बिखरा चक्र 11 है। वे आम 5 में है, समानता सूचकांक 23.81% है = 5 / (10 + 11)।

संदर्भ

यह लेख किन्नर (हीन ग्रह) और बिखरा चक्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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