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काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर और प्राकृत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर और प्राकृत के बीच अंतर

काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर vs. प्राकृत

महामहोपाध्याय काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर (७ अगस्त १८९० -- ०१ दिसम्बर १९७६) मराठी के साथ-साथ अर्धमागधी, प्राकृत और संस्कृत के अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान थे। उनका जन्म सतारा के सुप्रसिद्ध संस्कृत विद्वानों के अभ्यंकर परिवार में हुआ था। वे महामहोपाध्याय वासुदेव महादेव अभ्यंकर के पुत्र थे। उनकी शिक्षा पाठशाला के पारम्परिक परिवेश में तथा पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में हुई। उन्होने १९१३ में मुम्बई सरकार के शिक्षा विभाग में सेवा से आरम्भ की और १९४५ में अहमदाबाद के गुजरात महाविद्यालय से सेवानिवृत हुए। . सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र । इसकी रचना मूलतः तीसरी-चौथी शताब्दी ईसापूर्व में की गयी थी। भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम प्राकृत है और उन भाषाओं में जो ग्रंथ रचे गए उन सबको समुच्चय रूप से प्राकृत साहित्य कहा जाता है। विकास की दृष्टि से भाषावैज्ञानिकों ने भारत में आर्यभाषा के तीन स्तर नियत किए हैं - प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन। प्राचीन स्तर की भाषाएँ वैदिक संस्कृत और संस्कृत हैं, जिनके विकास का काल अनुमानत: ई. पू.

काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर और प्राकृत के बीच समानता

काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर और प्राकृत आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मराठी भाषा, संस्कृत भाषा, अर्धमागधी

मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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अर्धमागधी

मध्य भारतीय आर्य परिवार की भाषा अर्धमागधी संस्कृत और आधुनिक भारतीय भाषाओं के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह प्राचीन काल में मगध की साहित्यिक एवं बोलचाल की भाषा थी। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने इसी भाषा में अपने धर्मोपदेश किए थे। आगे चलकर महावीर के शिष्यों ने भी महावीर के उपदेशों का संग्रह अर्धमागधी में किया जो आगम नाम से प्रसिद्ध हुए। .

अर्धमागधी और काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर · अर्धमागधी और प्राकृत · और देखें »

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काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर और प्राकृत के बीच तुलना

काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर 9 संबंध है और प्राकृत 20 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 10.34% है = 3 / (9 + 20)।

संदर्भ

यह लेख काशिनाथ वासुदेव अभ्यंकर और प्राकृत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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