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कार्बन और शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कार्बन और शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ के बीच अंतर

कार्बन vs. शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ

कार्बन का एक बहुरूप हीरा। कार्बन का एक अन्य बहुरूप ग्रेफाइट। पृथ्वी पर पाए जाने वाले तत्वों में कार्बन या प्रांगार एक प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस रासायनिक तत्त्व का संकेत C तथा परमाणु संख्या ६, मात्रा संख्या १२ एवं परमाणु भार १२.००० है। कार्बन के तीन प्राकृतिक समस्थानिक 6C12, 6C13 एवं 6C14 होते हैं। कार्बन के समस्थानिकों के अनुपात को मापकर प्राचीन तथा पुरातात्विक अवशेषों की आयु मापी जाती है। कार्बन के परमाणुओं में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण कार्बन के बहुत से परमाणु आपस में संयोग करके एक लम्बी शृंखला का निर्माण कर लेते हैं। इसके इस गुण के कारण पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों ही अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके विविध गुणों वाले कई बहुरूप हैं जिनमें हीरा, ग्रेफाइट काजल, कोयला प्रमुख हैं। इसका एक अपरूप हीरा जहाँ अत्यन्त कठोर होता है वहीं दूसरा अपरूप ग्रेफाइट इतना मुलायम होता है कि इससे कागज पर निशान तक बना सकते हैं। हीरा विद्युत का कुचालक होता है एवं ग्रेफाइट सुचालक होता है। इसके सभी अपरूप सामान्य तापमान पर ठोस होते हैं एवं वायु में जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस बनाते हैं। हाइड्रोजन, हीलियम एवं आक्सीजन के बाद विश्व में सबसे अधिक पाया जाने वाला यह तत्व विभिन्न रूपों में संसार के समस्त प्राणियों एवं पेड़-पौधों में उपस्थित है। यह सभी सजीवों का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है, मनुष्य के शरीर में इसकी मात्रा १८.५ प्रतिशत होती है और इसको जीवन का रासायनिक आधार कहते हैं। कार्बन शब्द लैटिन भाषा के कार्बो शब्द से आया है जिसका अर्थ कोयला या चारकोल होता है। कार्बन की खोज प्रागैतिहासिक युग में हुई थी। कार्बन तत्व का ज्ञान विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को भी था। चीन के लोग ५००० वर्षों पहले हीरे के बारे में जानते थे और रोम के लोग लकड़ी को मिट्टी के पिरामिड से ढककर चारकोल बनाते थे। लेवोजियर ने १७७२ में अपने प्रयोगो द्वारा यह प्रमाणित किया कि हीरा कार्बन का ही एक अपरूप है एवं कोयले की ही तरह यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस उत्पन्न करता है। कार्बन का बहुत ही उपयोगी बहुरूप फुलेरेन की खोज १९९५ ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों ने की। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष १९९६ ई. का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। . IUPAC प्रतीक चिन्ह शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अन्तरराष्ट्रीय संघ ((IUPAC: इंटरनैशनल यूनियन फॉर प्योर एंड एप्लाइड केमिस्ट्री) उच्चारणः आइ-यू-पैक)) एक गैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1919 में रसायन शास्त्र की उन्नति के लिए की गयी थी। इसके सदस्य राष्ट्रीय रसायन समितियाँ हैं। यह संगठन रासायनिक तत्वों और उनके यौगिकों के नामकरण के लिए मानक विकसित करने के लिए अधिकृत है, जो यह इसकी नाम और चिह्न की अन्तर्विभागीय समिति (आइ यू पी ए सी नॉमेनक्लॅचर) के माध्यम से करता है। यह अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान परिषद (आई सी एस यू) का भी एक सदस्य है। .

कार्बन और शुद्ध और अनुप्रयोगिक रसायन का अंतरराष्ट्रीय संघ के बीच समानता

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संदर्भ

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