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कारपैथी पर्वत और भूविज्ञान

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कारपैथी पर्वत और भूविज्ञान के बीच अंतर

कारपैथी पर्वत vs. भूविज्ञान

अंतरिक्ष से ली गई कारपैथी पर्वत क्षेत्र की तस्वीर कारपैथी पर्वत (Carpathian Mountains) पूर्वी और मध्य यूरोप में स्थित लगभग १,५०० किमी लम्बी एक पर्वतमाला है। १,७०० किमी चलने वाली स्कैंडीनेवियाई पर्वतमाला के बाद यह यूरोप की दूसरी सब से लम्बी पर्वत शृंखला है। इसमें यूरोप के वन्य जीवन एक बड़ा हिस्सा रहता है, जिसमें भूरे भालू, भेड़िये, शाम्वा और लिंक्स शामिल हैं। यूरोप में मिलने वाली पौधों-वृक्षों की जातियों में से एक-तिहाई इन्ही पहाड़ों में मिलती है। रूस के अलावा, यूरोप के वनों का बड़ा अंश कारपैथी क्षेत्र में ही स्थित है। यह पहाड़ चेक गणतंत्र, स्लोवाकिया, पोलैंड, हंगरी, युक्रेन और रूमानिया में विस्तृत हैं, लेकिन इनका सबसे बड़ा फैलाव रूमानिया में है। पारंपरिक रूप से कारपैथी पर्वतों को तीन भागों में देखा जाता है: पश्चिमी कारपैथी (चेक गणतंत्र, पोलैंड व स्लोवाकिया), मध्य कारपैथी (दक्षिणपूर्वी पोलैंड, पूर्वी स्लोवाकिया, युक्रेन व रूमानिया और दक्षिणी कारपैथी (रूमानिया व सर्बिया)। करपैथियों की सबसे ऊँची उपश्रेणी का नाम तात्रा पर्वत शृंखला (Tatra Range) है, जिन्हें अनौपचारिक रूप से 'ऊँचे तात्रा' (High Tatras) भी कहा जाता है। कारपैथी पर्वतों का सबसे ऊँचा पहाड़ - स्लोवाकिया में स्थित २,६५५ मीटर (८,७११ फ़ुट) लम्बा गेरलाचोव्सकी श्तित (Gerlachovský štít) - इसी तात्रा श्रेणी का हिस्सा है।, Lucinda Mallows, Bradt Travel Guides, 2007, ISBN 978-1-84162-188-3,... The highest peak in the entire Carpathians is Gerlachovsky stit (2,655m) in the High Tatras... . पृथ्वी के भूवैज्ञनिक क्षेत्र पृथ्वी से सम्बंधित ज्ञान ही भूविज्ञान कहलाता है।भूविज्ञान या भौमिकी (Geology) वह विज्ञान है जिसमें ठोस पृथ्वी का निर्माण करने वाली शैलों तथा उन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे शैलों, भूपर्पटी और स्थलरूपों का विकास होता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं जैसे, खनिज शास्त्र, तलछट विज्ञान, भूमापन और खनन इंजीनियरी इत्यादि। इसके अध्ययन बिषयों में से एक मुख्य प्रकरण उन क्रियाओं की विवेचना है जो चिरंतन काल से भूगर्भ में होती चली आ रही हैं एवं जिनके फलस्वरूप भूपृष्ठ का रूप निरंतर परिवर्तित होता रहता है, यद्यपि उसकी गति साधारणतया बहुत ही मंद होती है। अन्य प्रकरणों में पृथ्वी की आयु, भूगर्भ, ज्वालामुखी क्रिया, भूसंचलन, भूकंप और पर्वतनिर्माण, महादेशीय विस्थापन, भौमिकीय काल में जलवायु परिवर्तन तथा हिम युग विशेष उल्लेखनीय हैं। भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, उसकी संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास (भूवैज्ञानिक कालों) आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है। .

कारपैथी पर्वत और भूविज्ञान के बीच समानता

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संदर्भ

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