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कारपैथी पर्वत और द्वितीय विश्वयुद्ध

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कारपैथी पर्वत और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अंतर

कारपैथी पर्वत vs. द्वितीय विश्वयुद्ध

अंतरिक्ष से ली गई कारपैथी पर्वत क्षेत्र की तस्वीर कारपैथी पर्वत (Carpathian Mountains) पूर्वी और मध्य यूरोप में स्थित लगभग १,५०० किमी लम्बी एक पर्वतमाला है। १,७०० किमी चलने वाली स्कैंडीनेवियाई पर्वतमाला के बाद यह यूरोप की दूसरी सब से लम्बी पर्वत शृंखला है। इसमें यूरोप के वन्य जीवन एक बड़ा हिस्सा रहता है, जिसमें भूरे भालू, भेड़िये, शाम्वा और लिंक्स शामिल हैं। यूरोप में मिलने वाली पौधों-वृक्षों की जातियों में से एक-तिहाई इन्ही पहाड़ों में मिलती है। रूस के अलावा, यूरोप के वनों का बड़ा अंश कारपैथी क्षेत्र में ही स्थित है। यह पहाड़ चेक गणतंत्र, स्लोवाकिया, पोलैंड, हंगरी, युक्रेन और रूमानिया में विस्तृत हैं, लेकिन इनका सबसे बड़ा फैलाव रूमानिया में है। पारंपरिक रूप से कारपैथी पर्वतों को तीन भागों में देखा जाता है: पश्चिमी कारपैथी (चेक गणतंत्र, पोलैंड व स्लोवाकिया), मध्य कारपैथी (दक्षिणपूर्वी पोलैंड, पूर्वी स्लोवाकिया, युक्रेन व रूमानिया और दक्षिणी कारपैथी (रूमानिया व सर्बिया)। करपैथियों की सबसे ऊँची उपश्रेणी का नाम तात्रा पर्वत शृंखला (Tatra Range) है, जिन्हें अनौपचारिक रूप से 'ऊँचे तात्रा' (High Tatras) भी कहा जाता है। कारपैथी पर्वतों का सबसे ऊँचा पहाड़ - स्लोवाकिया में स्थित २,६५५ मीटर (८,७११ फ़ुट) लम्बा गेरलाचोव्सकी श्तित (Gerlachovský štít) - इसी तात्रा श्रेणी का हिस्सा है।, Lucinda Mallows, Bradt Travel Guides, 2007, ISBN 978-1-84162-188-3,... The highest peak in the entire Carpathians is Gerlachovsky stit (2,655m) in the High Tatras... . द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

कारपैथी पर्वत और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच समानता

कारपैथी पर्वत और द्वितीय विश्वयुद्ध आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पोलैंड, यूरोप

पोलैंड

पोलैंड आधिकारिक रूप से पोलैंड गणराज्य एक मध्य यूरोप राष्ट्र है। पोलैंड पश्चिम में जर्मनी, दक्षिण में चेक गणराज्य और स्लोवाकिया, पूर्व में युक्रेन, बेलारूस और लिथुआनिया एवं उत्तर में बाल्टिक सागर व रूस के कालिनिनग्राद ओब्लास्ट के द्वारा घिरा हुआ है। पोलैंड का कुल क्षेत्रफ़ल ३ लगभग लाख वर्ग कि.मि. (1.20 लाख वर्ग मील) है, जिससे ये दुनिया का ६९वां व युरोप का ९वां विशालतम राष्ट्र बन जाता है। लगभग 4 करोड़ की जनसंख्या के साथ यह दुनिया का ३३वां सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाता है। एक राष्ट्र के रूप में पोलैंड की स्थापना को इसके शासक मिस्जको प्रथम द्वारा ९६६ इसवी में इसाई धर्म को राष्ट्रधर्म बनाने के साथ जोड़ कर देखा जाता है। तत्कालीन समय में पोलैंड का आकार वर्तमान पोलैंड के जैसा ही था। १०२५ में पोलैंड राजाओं के अधीन आया और १५६९ में पोलैंड ने लिथुआनिया के ग्रैंड डचि के साथ मिलकर पोलिश-लिथुआनियन कामनवेल्थ की स्थापना करते हुए एक लंबे रिश्ते की नींव डाली। ये कामनवेल्थ १७९५ में तोड़ दिया गया और पोलैंड को आस्ट्रिया, रूस और प्रुसिया के बीच बांट लिया गया। पोलैंड ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद १९१८ में अपनी स्वाधीनता पुनः हसिल की मगर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय फ़िर से पराधीन होकर नाजी जर्मनी और सोवियत संघ के अधीन चला गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में पोलैंड ने अपने साठ लाख नागरिकों को खो दिया। कई साल बाद पोलैंड रूस से प्रभावित एक साम्यवादी गणराज्य के रूप में ईस्टर्न ब्लॉक में उभरा। १९८९ में साम्यवादी शासन का पतन हुआ और पोलैंड एक नये राष्ट्र के रूप में उभरा जिसे सांविधानिक तौर पे "तृतीय पोलिश गणतंत्र" कहा जाता है। पोलैंड एक स्वयंशासित स्वतंत्र राष्ट्र है जो कि सोलह अलग-अलग वोइवोदेशिप या राज्यों (पोलिश: वोयेवुद्ज़त्वो) को मिलाकर गठित हुआ है। पोलैंड यूरोपीय संघ, नाटो एवं ओ.ई.सि.डी का सदस्य राष्ट्र है। .

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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कारपैथी पर्वत और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच तुलना

कारपैथी पर्वत 14 संबंध है और द्वितीय विश्वयुद्ध 60 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 2.70% है = 2 / (14 + 60)।

संदर्भ

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