कात्यायन (वररुचि) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) के बीच समानता
कात्यायन (वररुचि) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): कात्यायन (गोमिलपुत्र), अन्य कात्यायन।
कात्यायन (गोमिलपुत्र)
गोमिलपुत्र कात्यायन ने छंदोपरिशिष्टकर्मप्रदीप की रचना की है। कुछ लोगों का अनुमान है कि श्रौतसूत्रकार कात्यायन और स्मृतिप्रणेता कात्यायन एक ही व्यक्ति हैं। परंतु यह सिद्धांत ठीक नहीं जान पड़ता। हरिवशंपुराण में विश्वामित्रवंशीय "कति" के पुत्र कात्यायन गण का नामोल्लेख है। कात्यायन गण में वेदशाखा के प्रवर्तक अनेक व्यक्ति हुए हैं और इन्हीं में से एक याज्ञवल्क्य शुक्लयजु: अर्थात् वाज़सनेयि शाखा के प्रवर्तक हैं। श्रोत सूत्रकार कात्यायन इसी वाजसनेयि शाखा के अनुवर्तक हैं। इसी से यह अनुमान होता है कि विश्वामित्रवंशीय याज्ञवल्क्य के अनुवर्ती कात्यायन ऋर्षि ही कात्यायन श्रौतसूत्र के रचियिता हैं और गोमिलपुत्र कात्यायन स्मृतिकार हैं। .
कात्यायन (गोमिलपुत्र) और कात्यायन (वररुचि) · कात्यायन (गोमिलपुत्र) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) ·
अन्य कात्यायन
वार्तिककार कात्यायन वररुचि और प्राकृतप्रकाशकार वररुचि दो व्यक्ति हैं। प्राकृतप्रकाशकार वररुचि "वासवदत्ता" के प्रणेता सुबंधु के मामा होने से छठी सदी के हर्ष विक्रमादित्य के समसामयिक थे, जबकि पाणिनीय सूत्रों के वार्तिककार इससे बहुत पूर्व हो चुके थे। अशोक के शिलालेख में वररुचि का उल्लेख है। प्राकृतप्रकाशकार वररुचि का गोत्र भी यद्यपि कात्यायन था, इसी एक आधार पर वार्तिककार और प्राकृतप्रकाशकार एक ही व्यक्ति नहीं माने जा सकते, क्योंकि अशोक के लेख की प्राकृत वररुचि की प्राकृत स्पष्ट ही नवीन मालूम पड़ती है। फलत: अशोक के पूर्ववर्ती कात्यायन वररुचि वार्तिककार हैं और अशोक के परवर्ती वररुचि प्राकृतप्रकाशकार। मद्रास से जो "चतुर्भाणी" प्रकाशित हुई है, उसमें "उभयसारिका" नामक भाण को वररुचिकृत नहीं है, क्योंकि वार्तिककार वररुचि "तद्धितप्रिय" नाम से प्रसिद्ध रहे हैं और "उभयसारिका" में तद्धितों के प्रयोग अति अल्प मात्रा में हैं। संभवत: यह वररुचि कोई अन्य व्यक्ति है। हुयेनत्सांग ने बुद्धनिर्वाण से प्राय: ३०० वर्ष बाद हुए पालिवैयाकरण जिस कात्यायन की अपने भ्रमण वृत्तांत में चर्चा की है, वह कात्यायन भी वार्तिककार से भिन्न व्यक्ति है। यह कात्यायन एक बौद्ध आचार्य था जिसने "अभिधर्मज्ञानप्रस्थान" नामक बौद्धशास्त्र की रचना की है। कात्याययन नाम का एक प्रधान जैन स्थावर भी हुआ है। आफ़्रेक्ट की हस्तलिखित ग्रंथसूची में वररुचि और कात्यायन के बनाए ग्रंथों की चर्चा की गई है। इन ग्रंथों में कितने वार्तिककार कात्यायन प्रणीत हैं, इसका निर्णय करना कठिन है। .
अन्य कात्यायन और कात्यायन (वररुचि) · अन्य कात्यायन और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) ·
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या कात्यायन (वररुचि) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) लगती में
- यह आम कात्यायन (वररुचि) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) में है क्या
- कात्यायन (वररुचि) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) के बीच समानता
कात्यायन (वररुचि) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) के बीच तुलना
कात्यायन (वररुचि) 10 संबंध है और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) 6 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 12.50% है = 2 / (10 + 6)।
संदर्भ
यह लेख कात्यायन (वररुचि) और कात्यायन (विश्वामित्रवंशीय) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: