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क़्वीन (बैंड) और रेडियो

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

क़्वीन (बैंड) और रेडियो के बीच अंतर

क़्वीन (बैंड) vs. रेडियो

क़्वीन एक ब्रिटिश रॉक बैंड है, जिसका गठन में लंदन में 1970 में हुआ था। फ्रेडी मर्करी (मुख्य गायक, पियानो वादक), ब्रायन में (मुख्य गिटार वादक, गायक), रोजर टेलर (ड्रम, आवाज), और जॉन डीकॉन (बास गिटार) उसके शुरुवाती सदस्य थे। क़्वीन्स के शुरुवाती कार्य प्रगतिशील रॉक, हार्ड रॉक और हैवी मेटल से प्रभावित थे। लेकिन बैंड बाद में धीरे-धीरे वो और अधिक पारंपरिक, पॉप रॉक और रेडियो प्रिय संगीत करने लगता है। इसके गठन से पहले, ब्रायन मई और रोजर टेलर एक साथ एक बैंड स्माइल में करते थे। फ्रेडी मर्करी (जाने जाते हैं, अपने जन्म के नाम फारोख "ईेडी" बुल्सारा से) स्माइल के एक प्रशंसक थे जिन्होंने उन्हें अधिक विस्तृत मंच और रिकॉर्डिंग तकनीकों के साथ प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया। मर्करी १९७० में बैंड में शामिल हो गए और बैंड का नया नाम, क्वीन रखने का सुझाव दिया। जॉन डीकॉन १९७३ में बैंड के पहले एल्बम की रिकॉर्डिंग से पहले बैंड में भर्ती किये गये थे। क़्वीन १९७४ में ब्रिटेन के संगीत बाजार में अपने दूसरे एल्बम, क़्वीन २ के साथ उतरे, लेकिन वर्षांत में शीयर हर्ट अटैक व 1975 में एल्बम ए नाइट एट ओपेरा ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय सफलता व ख्याति दिलाई। एल्बम के गाने विशेष रूप से बोहेमियन धुन ९ हफ्तों तक संगीत बाजार में शीर्ष पर रहा और बैंड व उसके वीडियो को प्रसिद्ध कर दिया। उनके 1977 के एलबम न्यूज ऑफ़ द वर्ल्ड के गाने,"वी विल रॉक यू" और "वी आर चैम्पियन" खेल आयोजनों के लिये मुख्य जोशीले धुन बन गए। 1980 के दशक की शुरुवात में, क़्वीन दुनिया में सबसे बड़ा स्टेडियम रॉक बैंड बन गया था। उनका 1985 का लाइव एड संगीत कार्यक्रम इतिहास के विभिन्न संगीत प्रदर्शनों में सर्वश्रेष्ठ में से एक और 2005 में किये गये एक औद्योगिक सर्वेक्षण के अनुसार सबसे अच्छा माना गया। 1991 में मर्करी की ब्रोन्कोनिमोनिया से मृत्यु हो गई। डीकॉन 1997 में सेवानिवृत्त हो गये। तब से ब्रायन और फ्रेडी ने कभी कभी एक साथ प्रदर्शन किया है। श्रेणी:संगीत बैंड. कुछ पुराने रेडियो (रिसिवर) 24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वॉयलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी। इससे पहले जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन 1900 में इंग्लैंड से अमरीका बेतार संदेश भेजकर व्यक्तिगत रेडियो संदेश भेजने की शुरुआत कर दी थी, पर एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई। ली द फोरेस्ट और चार्ल्स हेरॉल्ड जैसे लोगों ने इसके बाद रेडियो प्रसारण के प्रयोग करने शुरु किए। तब तक रेडियो का प्रयोग सिर्फ नौसेना तक ही सीमित था। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद किसी भी गैर फौज़ी के लिये रेडियो का प्रयोग निषिद्ध कर दिया गया। .

क़्वीन (बैंड) और रेडियो के बीच समानता

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संदर्भ

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