क़ुरआन और रिचर्ड डॉकिन्स
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क़ुरआन और रिचर्ड डॉकिन्स के बीच अंतर
क़ुरआन vs. रिचर्ड डॉकिन्स
'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों (रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | . रिचर्ड डॉकिन्स जन्म 26 मार्च 1941) एक ब्रिटिश क्रम-विकासवादी जीवविज्ञानी और लेखक हैं। 1995 से 2008 के दौरान वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रफ़ेसर थे। 1976 में प्रकाशित हुई किताब "द सॅल्फ़िश जीन" ("स्वार्थी जीन") के ज़रिये उन्होंने जीन-केन्द्रित क्रम-विकास (gene-centred view of evolution) मत और "मीम" परिकल्पना को लोकप्रिय बनाया। इस किताब के अनुसार जीव-जंतु जीन को ज़िदा रखने का एक ज़रिया हैं। उदाहरण के लिए: एक माँ अपने बच्चों की सुरक्षा इसलिए करती है ताकि वह अपनी जीन ज़िन्दा रख सके। रिचर्ड डॉकिन्स एक नास्तिक हैं और "भगवान ने दुनिया बनाई" मत के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। 2006 में प्रकाशित द गॉड डिलुज़न ("भगवान का भ्रम") में उन्होंने कहा है कि किसी दैवीय विश्व-निर्माता के अस्तित्व में विश्वास करना बेकार है और धार्मिक आस्था एक भ्रम मात्र है। जनवरी 2010 तक इस किताब के अंग्रेज़ी संस्करण की 2,000,000 से अधिक प्रतियाँ बेची जा चुकी हैं और 31 भाषाओं में इसके अनुवाद कियी जा चुके हैं। .
क़ुरआन और रिचर्ड डॉकिन्स के बीच समानता
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संदर्भ
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