क़ुरआन और नूह के बीच समानता
क़ुरआन और नूह आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): पृथ्वी, यहूदी, इस्लाम, अब्राहम।
पृथ्वी
पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .
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यहूदी
यहूदी जाति 'यहूदी' का मौलिक अर्थ है- येरूशलेम के आसपास के 'यूदा' नामक प्रदेशें का निवासी। यह प्रदेश याकूब के पुत्र यूदा के वंश को मिला था। बाइबिल में 'यहूदी' के निम्नलिखित अर्थ मिलते हैं- याकूब का पुत्र यहूदा, उनका वंश, उनकर प्रदेश, कई अन्य व्यक्तियों के नाम। यूदा प्रदेश (Kingdom of Juda) के निवासी प्राचीन इजरायल के मुख्य ऐतिहासिक प्रतिनिधि बन गए थे, इस कारण समस्त इजरायली जाति के लिये यहूदी शब्द का प्रयोग होने लगा। इस जाति का मूल पुरूष अब्राहम थे, अत: वे 'इब्रानी' भी कहलाते हैं। याकूब का दूसरा नाम था इजरायल, इस कारण 'इब्रानी' और 'यहूदी' के अतिरक्ति उन्हें 'इजरायली' भी कहा जाता है। यहूदी धर्म को मानने वालों को यहूदी (en:Jew) कहा जाता है। यहूदियों का निवास स्थान पारंपरिक रूप से पश्चिम एशिया में आज के इसरायल को माना जाता है जिसका जन्म १९४७ के बाद हुआ। मध्यकाल में ये यूरोप के कई क्षेत्रों में रहने लगे जहाँ से उन्हें उन्नीसवीं सदी में निर्वासन झेलना पड़ा और धीरे-धीरे विस्थापित होकर वे आज मुख्यतः इसरायल तथा अमेरिका में रहते हैं। इसरायल को छोड़कर सभी देशों में वे एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में रहते हैं। इन्का मुख्य काम व्यापार है। यहूदी धर्म को इसाई और इस्लाम धर्म का पूर्ववर्ती कहा जा सकता है। इन तीनों धर्मों को संयुक्त रूप से 'इब्राहिमी धर्म' भी कहते हैं। अल्लाह ने यहूदियों के बारे में पवित्र कुरान में कहा "ऐ बनी इसराइल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंने पहले तुम्हें दी और ये (भी तो सोचो) कि हमने तुमको सारे जहाँन के लोगों से बढ़ा दिया" (Sura 2-47) "और अपनी क़ौम से उन लोगों की हालत तो तुम बखू़बी जानते हो जो शम्बे (सनीचर) के दिन अपनी हद से गुज़र गए (कि बावजूद मुमानिअत शिकार खेलने निकले) तो हमने उन से कहा कि तुम राइन्दे गए बन्दर बन जाओ (और वह बन्दर हो गए)" (Sura2-65) "फिर तुममें से थोड़े आदमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले.और (वह वक़्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) से अहद लिया था कि आपस में खू़रेजि़याँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो .(कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये हैं कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खु़दा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो बस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि जि़न्दगी भर की रूसवाई हो और (आखि़रकार) क़यामत के दिन सख़्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खु़दा उससे ग़ाफि़ल नहीं है" (Sura 2-83,84,85) "और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को खु़दा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर ज़ुल्म करने वाले थे"(Sura2-92) "बनी इसराईल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंनं तुम को दी हैं और ये कि मैंने तुमको सारे जहाँन पर फज़ीलत दी " (Sura 2-122) "बेशक हम ने तौरेत नाजि़ल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफि़ज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे बस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो ख़्स ख़ुदा की नाजि़ल की हुयी (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफि़र हैं" (Sura 5-44) "(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दॅू (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो बस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज़्यादा दूर जा पहँचे हैं " (Sura 5-60) "यहूद तो कहते हैं कि अज़ीज़ ख़़ुदा के बेटे हैं और नुसैरा कहते हैं कि मसीहा (ईसा) ख़़ुदा के बेटे हैं ये तो उनकी बात है और (वह ख़ुद) उन्हीं के मुँह से ये लोग भी उन्हीं काफि़रों की सी बातें बनाने लगे जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं ख़़ुद उनको क़त्ल (तहस नहस) करके (देखो तो) कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं" (Sura 9-30) "ऐ बनी इसराइल हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाजि़ल किया.और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी कि़स्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ " (Sura 20-80,81) "और हमने बनी इसराईल को किताब (तौरेत) और हुकूमत और नबूवत अता की और उन्हें उम्दा उम्दा चीज़ें खाने को दीं और उनको सारे जहाँन पर फ़ज़ीलत दी.और उनको दीन की खुली हुई दलीलें इनायत की तो उन लोगों ने इल्म आ चुकने के बाद बस आपस की जि़द में एक दूसरे से एख़्तेलाफ़ किया कि ये लोग जिन बातों से एख़्तेलाफ़ कर रहें हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार उनमें फैसला कर देगा" (Sura 45-16,17) .
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इस्लाम
इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .
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अब्राहम
हज़रत इब्राहम(लगभग 1800 ई.पू.) ईश्वर के आदेश से मेसोपोतेमिया के ऊपर तथा हारान नामक शहरों को छोड़कर कनान और मिस्र चले गए। बाइबिल में इब्राहम का जो वृत्तांत मिलता है (उत्पत्ति ग्रंथ, अध्याय 11-25), उसकी रचना लगभग 900 ई.पू.
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- क्या क़ुरआन और नूह लगती में
- यह आम क़ुरआन और नूह में है क्या
- क़ुरआन और नूह के बीच समानता
क़ुरआन और नूह के बीच तुलना
क़ुरआन 53 संबंध है और नूह 14 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 5.97% है = 4 / (53 + 14)।
संदर्भ
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