कवि और बाबा (बहुविकल्पी)
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कवि और बाबा (बहुविकल्पी) के बीच अंतर
कवि vs. बाबा (बहुविकल्पी)
कवि वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। इसीलिये वैदिक काल में ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन: अर्थात् ऋषि को मन्त्रदृष्टा और कवि को क्रान्तदर्शी कहा गया है। "जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" इस लोकोक्ति को एक दोहे के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गयी है: "जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ, कवि पहुँचे तत्काल। दिन में कवि का काम क्या, निशि में करे कमाल।।" ('क्रान्त' कृत मुक्तकी से साभार) . बाबा और उस जैसे शब्दों का प्रयोग निम्नलिखित कारणों से किया जाता है: .
कवि और बाबा (बहुविकल्पी) के बीच समानता
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संदर्भ
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