कवि और ग्रंथसूची
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कवि और ग्रंथसूची के बीच अंतर
कवि vs. ग्रंथसूची
कवि वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। इसीलिये वैदिक काल में ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन: अर्थात् ऋषि को मन्त्रदृष्टा और कवि को क्रान्तदर्शी कहा गया है। "जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" इस लोकोक्ति को एक दोहे के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गयी है: "जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ, कवि पहुँचे तत्काल। दिन में कवि का काम क्या, निशि में करे कमाल।।" ('क्रान्त' कृत मुक्तकी से साभार) . ग्रैज विश्वविद्यालय के पुस्तकालय की ग्रन्थसूची ग्रंथसूची से तातपर्य अंग्रेजी शब्द 'बिब्लियोग्रैफी' से है, जो बहुत ही व्यापक है तथा जिसकी किसी एक निश्चित परिभाषा के संबंध में विद्वानों में मतभेद है। 1961 में पेरिस में यूनेस्को के सहयोग से 'इफ्ला' (इंटरनेशनल फेडरेशन ऑव लाइब्रेरी एसोसिएशंस) की जो कानफरेंस हुई थी, उसमें इस शब्द की परिभाषा के प्रश्न पर भी विचार किया गया था और सर्वसंमति से अंतत: इस शब्द की निम्नलिखित परिभाषा स्वीकृत की गई थी: 'इफ्ला' द्वारा स्वीकृत उक्त परिभाषा में मुख्य तीन अर्थ शामिल किए गए हैं.
कवि और ग्रंथसूची के बीच समानता
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संदर्भ
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