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कल्प (वेदांग) और कल्पसूत्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कल्प (वेदांग) और कल्पसूत्र के बीच अंतर

कल्प (वेदांग) vs. कल्पसूत्र

कल्प वेद के छह अंगों (वेदांगों) में एक है जो कर्मकाण्डों का विवरण देता है। अन्य वेदांग हैं- शिक्षा (प्रातिशाख्यादि), व्याकरण, निरुक्त, छंदशास्त्र और ज्योतिष। अनेक वैदिक ऐतिहासिकों के मत से कल्पग्रंथ या कल्पसूत्र षट् वेदांगों में प्राचीनतम और वैदिक साहित्य के अधिक निकट हैं। षट् वेदांगों में कल्प का विशिष्ट महत्व है - क्योंकि जन्म, उपनयन, विवाह, अंत्येष्टि और यज्ञ जैसे विषय इसमें विहित हैं। . कल्पसूत्र से निम्नलिखित का बोध होता है-.

कल्प (वेदांग) और कल्पसूत्र के बीच समानता

कल्प (वेदांग) और कल्पसूत्र आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): कल्पसूत्र (जैन)

कल्पसूत्र (जैन)

1375-1400 की इस कल्पसूत्र पाण्डुलिपि में महावीर के जन्म का चित्रण है। कल्पसूत्र नामक जैनग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवनचरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। पारंपरिक रूप से मान्यता है कि इस ग्रन्थ की रचना महावर स्वामी के निर्वाण के १५० वर्ष बाद हुई। आठ दिवसीय पर्यूषण पर्व के समय जैन साधु एवं साध्वी कल्पसूत्र का पाठ एवं व्याख्या करते हैं। इस ग्रन्थ का बहुत अधिक आध्यात्मिक महत्व है इसलिये केवल साधु एवं साध्वी ही इसका वाचन करते हैं और सामान्य लोग इसे हृदयंगम करते हैं। .

कल्प (वेदांग) और कल्पसूत्र (जैन) · कल्पसूत्र और कल्पसूत्र (जैन) · और देखें »

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कल्प (वेदांग) और कल्पसूत्र के बीच तुलना

कल्प (वेदांग) 28 संबंध है और कल्पसूत्र 2 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.33% है = 1 / (28 + 2)।

संदर्भ

यह लेख कल्प (वेदांग) और कल्पसूत्र के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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