कल्पना और जादुई यथार्थवाद
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कल्पना और जादुई यथार्थवाद के बीच अंतर
कल्पना vs. जादुई यथार्थवाद
विगत प्रत्यक्षानात्मक अनुभवों (पास्ट पर्सेप्चुअल एक्स्पीरिएन्सेज़) का बिंबों और विचारों (इमेजेज़ ऐंड आइडियाज़) के रूप में, विचारणात्मक स्तर पर, रचनात्मक नियोजन कल्पना (इमैजिनेशन) है। कल्पना की मानसिक प्रक्रिया के अतंर्गत वास्तव में दो प्रकार की मानसिक प्रक्रियाएँ निहित हैं – प्रथम, विगत संवेदनशीलताओं का प्रतिस्मरण, बिंबों एवं विचारों के रूप अर्थात स्मृति, द्वितीय, उन प्रतिस्मृत अनुभवों की एक नए संयोजन में रचना। लेकिन कल्पना में इन दोनों प्रकार की क्रियाओं का इतना अधिक सम्मिश्रण रहता है कि न तो इनका अलग-अलग अध्ययन ही किया जा सकता है और न इनकी अलग-अलग स्पष्ट अनुभूति ही व्यक्तिविशेष को हो पाती है। इसी कारण कल्पना को एक उच्चस्तरीय जटिल प्रकार की मानसिक प्रक्रिया कहा जाता है। . जादुई यथार्थवाद सौंदर्य या फिक्शन की एक शैली है जिस में असली दुनिया के साथ जादुई तत्वों का मिश्रण होता है। हालाँकि यह सबसे अधिक एक साहित्यिक शैली के रूप में प्रयोग किया जाता है, जादुई यथार्थवाद फिल्म और दृश्य कला के लिए भी लागू होता है। .
कल्पना और जादुई यथार्थवाद के बीच समानता
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संदर्भ
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