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कलीसिया और मरियम (ईसा मसीह की माँ)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कलीसिया और मरियम (ईसा मसीह की माँ) के बीच अंतर

कलीसिया vs. मरियम (ईसा मसीह की माँ)

कलीसिया (लातिनी:Ecclesia, एक्क्लेसिया) अथवा चर्च का अर्थ ईसाई धर्म के अन्तर्गत आने वाले किसी भी धार्मिक संगठन या साम्प्रदाय को कहा जाता है। कलीसिया, का शाब्दिक अर्थ है लोगों का समूह या सभा। कलीसिया कुछ विशेष ईसाइ विश्वासियों का संगठन या समूह, को कहते हैं, जिन्हें ईसाई मान्यता के अनुसार, एकमात्र परमेश्वर में विस्वास हो तथा उनके पुत्र ईसा मसीह पर विश्वास हो। विश्वासियों के इस समुदाय के सदस्य इस तरह देश-काल से परे एक सार्वभौमिक कलीसिया के भाग होते हैं। यह सार्वभौमिक कलीसिया एक वैश्विक समुदाय के समान है जिसमें हर विश्वासी एक अंग का कार्य करता है। . मरियम यीशु मसीह की माँ का नाम था, जो "ख़ुदावंद की माँ " या "मुक़द्दस कुँआरी मरियम" भी कहलातीं हैं। उनकी कहानी बाईबल के नया नियम में बताई गई है। वे फ़िलिस्तीन के इलाक़े गलील के शहर नासिरत में रहनेवाली एक जन्मजात यहूदी औरत थीं। इंजील ब-मुताबिक़ मत्ती, इंजील ब-मुताबिक़ लूक़ा और क़ुरान में बताया गया है कि वे कुँआरी थीं ईसाईयों का मान्यता है कि किसी इंसानी दख़्ल के बिना, मरियम पवित्र आत्मा के क़ुदरत से गर्भ रहीं, क्योंकि वे ईश्वर की चुनिंदा हस्ती थीं। इस्लाम में माना जाता है कि मरियम महज़ ईश्वर की अभिलाषा से गर्भ रहीं। उस समय, मरियम की मंगनी यूसुफ़ से हो चुकी थी। यूसुफ़ के साथ शादी करने के बाद वे बैतलहम चलीं गईं, जहां पर ईसा मसीह पैदा हुआ। ईसाई धर्म में माना जाता है कि पुराने नियम (पुराने अहदनामा) में नबियों ने कुँआरी से जन्म की भविष्यवाणी भी की है: "देखो, कुँआरी पेट रहेगी और उसको बेटा होगा" (अशाया 14:7) नये नियम में मरियम की कहानी शुरु होती जब जिब्राइल फ़रिश्ता उनके सामने ज़ाहिर होकर उन्हें ऐलान करता है कि ईश्वर ने उनको आनेवाले मसीह की माँ बनने के लिए चुना है। गिरजे के परंपराओं और चंद प्राचीन अपोक्रिफ़ा के मुताबिक़, मरियम के माँ-बाप हन्ना और योआकीम नामी दो बुज़ुर्ग लोग थे। ईसाई धर्म में मरियम के प्रति मान्यताएं विभिन्न हैं, जैसे कि मरियम की "बेदाग़ पैदाइश" और "जन्नत में चढ़ाव".

कलीसिया और मरियम (ईसा मसीह की माँ) के बीच समानता

कलीसिया और मरियम (ईसा मसीह की माँ) आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): बाइबिल

बाइबिल

बाइबिल (अथवा बाइबल, Bible, अर्थात "किताब") ईसाई धर्म(मसीही धर्म) की आधारशिला है और ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं: पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध अर्थात् पूर्वविधान यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु उसे अपौरुषेय नहीं कहा जा सकता। ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है। मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है। बाइबिल में प्रसंगवश लौकिक ज्ञान विज्ञान संबंधी बातें भी आ गई हैं; उनपर तात्कालिक धारणाओं की पूरी छाप है क्योंकि बाइबिल उनके विषय में शायद ही कोई निर्देश देना चाहती है। मानव जाति के इतिहास की ईश्वरीय व्याख्या प्रस्तुत करना और धर्म एवं मुक्ति को समझना, यही बाइबिल का प्रधान उद्देश्य है, बाइबिल की तत्संबंधी शिक्षा में कोई भ्रांति नहीं हो सकती। उसमें अनेक स्थलों पर मनुष्यों के पापाचरण का भी वर्णन मिलता है। ऐसा आचरण अनुकरणीय आदर्श के रूप में नहीं प्रस्तुत हुआ है किंतु उसके द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य कितने कलुषित हैं और उनको ईश्वर की मुक्ति की कितनी आवश्यकता है। .

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कलीसिया और मरियम (ईसा मसीह की माँ) के बीच तुलना

कलीसिया 13 संबंध है और मरियम (ईसा मसीह की माँ) 4 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.88% है = 1 / (13 + 4)।

संदर्भ

यह लेख कलीसिया और मरियम (ईसा मसीह की माँ) के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: