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कलचुरी और गुर्जर प्रतिहार राजवंश

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कलचुरी और गुर्जर प्रतिहार राजवंश के बीच अंतर

कलचुरी vs. गुर्जर प्रतिहार राजवंश

कलचुरी वंश बुंदेलखंड का एक महत्‍वपूर्ण शासक रहा है। उनके शासनकाल के दौरान बुंदेलखंड में कई युद्ध हुए और निरंतर अनिश्चय का वातावरण रहा। कलचुरी वंश लगभग तीन सौ वर्ष तक दक्षिणी बुंदेलखंड का शासक रहा। बारहवीं शताब्दी में चंदेल शासकों की बढ़ती शक्ति के कारण कलचुरियों का पराभव हुआ। कलचुरी शैवोपासक थे इसलिए उनके बनवाए मदिरों में शिव मंदिर अधिक हैं। उनमें त्रिदेवों की पूजा भी होती थी। स्‍थापत्‍य और मूर्तिकला को कलचुरियों ने काफी प्रोत्‍साहन दिया। ऐसी भी धारणा है कि समाज में विभिन्न वर्गों में उपजातियों का निर्माण इसी काल में हुआ था। श्रेणी:बुंदेलखंड. प्रतिहार वंश मध्यकाल के दौरान मध्य-उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में राज्य करने वाला राजवंश था, जिसकी स्थापना नागभट्ट नामक एक सामन्त ने ७२५ ई॰ में की थी। इस राजवंश के लोग स्वयं को राम के अनुज लक्ष्मण के वंशज मानते थे, जिसने अपने भाई राम को एक विशेष अवसर पर प्रतिहार की भाँति सेवा की। इस राजवंश की उत्पत्ति, प्राचीन कालीन ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख से ज्ञात होती है। अपने स्वर्णकाल में साम्राज्य पश्चिम में सतुलज नदी से उत्तर में हिमालय की तराई और पुर्व में बगांल असम से दक्षिण में सौराष्ट्र और नर्मदा नदी तक फैला हुआ था। सम्राट मिहिर भोज, इस राजवंश का सबसे प्रतापी और महान राजा थे। अरब लेखकों ने मिहिरभोज के काल को सम्पन्न काल बताते हैं। इतिहासकारों का मानना है कि गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने भारत को अरब हमलों से लगभग ३०० वर्षों तक बचाये रखा था, इसलिए गुर्जर प्रतिहार (रक्षक) नाम पड़ा। गुर्जर प्रतिहारों ने उत्तर भारत में जो साम्राज्य बनाया, वह विस्तार में हर्षवर्धन के साम्राज्य से भी बड़ा और अधिक संगठित था। देश के राजनैतिक एकीकरण करके, शांति, समृद्धि और संस्कृति, साहित्य और कला आदि में वृद्धि तथा प्रगति का वातावरण तैयार करने का श्रेय प्रतिहारों को ही जाता हैं। गुर्जर प्रतिहारकालीन मंदिरो की विशेषता और मूर्तियों की कारीगरी से उस समय की प्रतिहार शैली की संपन्नता का बोध होता है। .

कलचुरी और गुर्जर प्रतिहार राजवंश के बीच समानता

कलचुरी और गुर्जर प्रतिहार राजवंश आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): चन्देल, बुन्देलखण्ड

चन्देल

खजुराहो का कंदरीय महादेव मंदिर चन्देल वंश मध्यकालीन भारत का प्रसिद्ध राजवंश, जिसने 08वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच, बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया। चंदेल वंश के शासकों का बुंदेलखंड के इतिहास में विशेष योगदान रहा है। उन्‍होंने लगभग चार शताब्दियों तक बुंदेलखंड पर शासन किया। चन्देल शासक न केवल महान विजेता तथा सफल शासक थे, अपितु कला के प्रसार तथा संरक्षण में भी उनका महत्‍वपूर्ण योगदान रहा। चंदेलों का शासनकाल आमतौर पर बुंदेलखंड के शांति और समृद्धि के काल के रूप में याद किया जाता है। चंदेलकालीन स्‍थापत्‍य कला ने समूचे विश्‍व को प्रभावित किया उस दौरान वास्तुकला तथा मूर्तिकला अपने उत्‍कर्ष पर थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं खजुराहो के मंदिर। .

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बुन्देलखण्ड

बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है।इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है.

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कलचुरी और गुर्जर प्रतिहार राजवंश के बीच तुलना

कलचुरी 2 संबंध है और गुर्जर प्रतिहार राजवंश 95 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 2.06% है = 2 / (2 + 95)।

संदर्भ

यह लेख कलचुरी और गुर्जर प्रतिहार राजवंश के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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