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कल हो ना हो और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कल हो ना हो और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार के बीच अंतर

कल हो ना हो vs. फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार

कल हो ना हो 2003 में बनी हिन्दी भाषा की नाटकीय प्रेमकहानी फ़िल्म है। इस फ़िल्म के द्वारा निखिल आडवाणी ने निर्देशक के रूप में बॉलीवुड में पदार्पण किया। इस फिल्म में जया बच्चन, शाहरुख खान, सैफ अली खान और प्रीति जिंटा प्रमुख भूमिका में हैं, जिसमें सुषमा सेठ, रीमा लागू, लिलेट दुबे और डेलनाज़ पॉल भूमिकाओं का समर्थन करते हैं। धर्मा प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनी इस फ़िल्म को यश जौहर एवं करण जौहर ने निर्माण किया। सगीत शंकर एहसान लॉय ने दिया और गीत जावेद अख्तर ने लिखे। फिल्म को सकारात्मक आलोचनात्मक प्रतिक्रिया मिली और यह व्यावसायिक रूप से साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बनी थी। इसने 2004 में दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, आठ फिल्मफेयर पुरस्कार, तेरह अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार, तीन स्टार स्क्रीन पुरस्कार और दो ज़ी सिने पुरस्कार जीते। . फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार फ़िल्मफ़ेयर पत्रिका द्वारा प्रति वर्ष दिया जाने वाला पुरस्कार है। यह हिन्दी फ़िल्म में सबसे बेहतर अभिनय के लिये फ़िल्म के सहायक अभिनेता को फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार समारोह में दिया जाता है। .

कल हो ना हो और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार के बीच समानता

कल हो ना हो और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, सैफ़ अली ख़ान

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे पुरानी और प्रमुख घटनाओं में से एक रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले 1954 में हुई जब राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की भी स्थापना हुई थी। पुरस्कार जनता के मत एवं ज्यूरी के सदस्यों के मत दोनों के आधार पर दी हर साल दी जाती है। .

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सैफ़ अली ख़ान

सैफ़ अली ख़ान (जन्म: 16 अगस्त, 1970) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता हैं। उनके पिता मंसूर अली ख़ान पटौदी एक मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी एवं माँ शर्मिला टैगोर हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर अभिनेत्री हैं। उनके पूर्वज पटौदी रियासत के नवाब थे | उन्होंने अपना शालेय जीवन लॉरेंस स्कूल, सनावर और लाकर्स पार्क स्कूल, हेर्टफोर्डशिरे,इंग्लैंड में पूरा किया | जिसके बाद महाविद्यालीन पढाई के लिए वह विंचेस्टर कॉलेज इंडिपेंडेंट स्कूल फॉर बॉयज इन यूनाइटेड किंगडम चले गए | अपनी पढ़ाई पूरी कर लौटने के बाद उन्होंने २ महीनो तक दिल्ली स्थित एक एडवरटाइजिंग फर्म के लिए काम किया | उसके बाद उनके पारिवारिक मित्र के कहने पर उन्होंने कपड़ो के ब्रांड "ग्वालियर सुइटिंग्स" के लिए कुछ विज्ञापनों में काम किया | पर किसी कारणवश वह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया और उन्हें मुंबई आना पड़ा | जहां से उन्होंने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की | उनकी पहली फिल्म "परंपरा" १९९२ में रिलीज़ हुई थी, जो बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पायी। उन्होंने 2010 में पद्म श्री को चौथा सबसे बड़ा भारतीय नागरिक पुरस्कार प्राप्त किया। .

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कल हो ना हो और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार के बीच तुलना

कल हो ना हो 61 संबंध है और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार 103 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 1.22% है = 2 / (61 + 103)।

संदर्भ

यह लेख कल हो ना हो और फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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