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कपोलकल्पना और फ्रैंकनस्टाइन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

कपोलकल्पना और फ्रैंकनस्टाइन के बीच अंतर

कपोलकल्पना vs. फ्रैंकनस्टाइन

कपोलकल्पना या काल्पनिक साहित्य (fiction; हिन्दी में फ़िक्शन) एक कहानी या अभिविन्यास हैं जो कल्पना से व्युत्पन्न होती हैं ― अन्य शब्दों में, जो इतिहास या तथ्यों पर सख्ती से आधारित न हो।William Harmon and C. Hugh Holman A Handbook to Literature (7th edition). फ्रैंकनस्टाइन; ऑर, द मॉडर्न प्रोमिथियस, जो साधारणतः फ्रैंकनस्टाइन नाम से विख्यात है, मेरी शेली द्वारा लिखा गया एक उपन्यास है। शेली ने अट्ठारह साल की उम्र में इसे लिखना शुरू किया था और उपन्यास के प्रकाशन के समय वह बीस वर्ष की थीं। इसका पहला संस्करण 1818 में लंदन में अज्ञात रूप से प्रकाशित किया गया। शेली का नाम फ्रांस में प्रकाशित दूसरे संस्करण में अंकित था। उपन्यास का शीर्षक का संबंध एक वैज्ञानिक विक्टर फ्रैंकनस्टाइन से है, जो जीवन को उत्पन्न करने का तरीका सीख जाता है और मानव की तरह दिखने वाले एक प्राणी का सृजन करता है, जो औसत से कहीं ज़्यादा विशालकाय और शक्तिशाली होता है। लोकप्रिय संस्कृति में, "फ्रैंकनस्टाइन" को एक दैत्य समझा जाता है, जो गलत है। फ्रैंकनस्टाइन में गॉथिक उपन्यासों और रूमानी आंदोलन के कुछ पहलुओं का समावेश है। यह औद्योगिक क्रांति में आधुनिक मानव के विस्तार के खिलाफ भी एक चेतावनी देता है, जिसका संकेत उपन्यास के उपशीर्षक, द मॉर्डन प्रोमिथियस में मिलता है। इस उपन्यास का साहित्य और लोकप्रिय संस्कृति पर काफ़ी प्रभाव रहा है और यह कई डरावनी कहानियों और फिल्मों का आधार भी बना है। .

कपोलकल्पना और फ्रैंकनस्टाइन के बीच समानता

कपोलकल्पना और फ्रैंकनस्टाइन आम में 4 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): फ़िल्म, साहित्य, कहानी, उपन्यास

फ़िल्म

फ़िल्म, चलचित्र अथवा सिनेमा में चित्रों को इस तरह एक के बाद एक प्रदर्शित किया जाता है जिससे गति का आभास होता है। फ़िल्में अकसर विडियो कैमरे से रिकार्ड करके बनाई जाती हैं, या फ़िर एनिमेशन विधियों या स्पैशल इफैक्ट्स का प्रयोग करके। आज ये मनोरंजन का महत्त्वपूर्ण साधन हैं लेकिन इनका प्रयोग कला-अभिव्यक्ति और शिक्षा के लिए भी होता है। भारत विश्व में सबसे अधिक फ़िल्में बनाता है। फ़िल्म उद्योग का मुख्य केन्द्र मुंबई है, जिसे अमरीका के फ़िल्मोत्पादन केन्द्र हॉलीवुड के नाम पर बॉलीवुड कहा जाता है। भारतीय फिल्मे विदेशो में भी देखी जाती है .

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साहित्य

किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें आदिवासी भाषाओं में मिलता है। इस दृष्टि से आदिवासी साहित्य सभी साहित्य का मूल स्रोत है। .

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कहानी

कथाकार (एक प्राचीन कलाकृति)कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं। प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं। 'गुणढ्य' की "वृहत्कथा" को, जिसमें 'उदयन', 'वासवदत्ता', समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं का बाहुल्य है, प्राचीनतम रचना कहा जा सकता है। वृहत्कथा का प्रभाव 'दण्डी' के "दशकुमार चरित", 'बाणभट्ट' की "कादम्बरी", 'सुबन्धु' की "वासवदत्ता", 'धनपाल' की "तिलकमंजरी", 'सोमदेव' के "यशस्तिलक" तथा "मालतीमाधव", "अभिज्ञान शाकुन्तलम्", "मालविकाग्निमित्र", "विक्रमोर्वशीय", "रत्नावली", "मृच्छकटिकम्" जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके पश्‍चात् छोटे आकार वाली "पंचतंत्र", "हितोपदेश", "बेताल पच्चीसी", "सिंहासन बत्तीसी", "शुक सप्तति", "कथा सरित्सागर", "भोजप्रबन्ध" जैसी साहित्यिक एवं कलात्मक कहानियों का युग आया। इन कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होता है। प्रायः कहानियों में असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई गई हैं। .

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उपन्यास

उपन्यास गद्य लेखन की एक विधा है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

कपोलकल्पना और फ्रैंकनस्टाइन के बीच तुलना

कपोलकल्पना 17 संबंध है और फ्रैंकनस्टाइन 26 है। वे आम 4 में है, समानता सूचकांक 9.30% है = 4 / (17 + 26)।

संदर्भ

यह लेख कपोलकल्पना और फ्रैंकनस्टाइन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: